UP BJP President List: 14 दिसंबर को खत्म होगा सस्पेंस, क्या ओबीसी चेहरे पर फिर दांव खेलेगी पार्टी?

Published On: December 12, 2025
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UP BJP President List: 14 दिसंबर को खत्म होगा सस्पेंस, क्या ओबीसी चेहरे पर फिर दांव खेलेगी पार्टी?

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UP BJP President List: उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस वक्त सबसे बड़ा सवाल यही गूंज रहा है—”आखिर भारतीय जनता पार्टी के यूपी प्रदेश अध्यक्ष (UP BJP President) की कुर्सी पर अब कौन विराजमान होगा?” लखनऊ के सियासी गलियारों में गहमागहमी तेज हो गई है। ताज़ा अपडेट के मुताबिक, बीजेपी 13 दिसंबर को लखनऊ में नामांकन प्रक्रिया पूरी करेगी और बहुत संभावना है कि 14 दिसंबर को नए सेनापति के नाम का औपचारिक ऐलान कर दिया जाए।

बीजेपी के 45 सालों के सुनहरे इतिहास को खंगालें तो पता चलता है कि पार्टी ने हमेशा जातीय समीकरणों को साधते हुए ही नेतृत्व सौंपा है। माधो प्रसाद त्रिपाठी से शुरू हुआ यह कारवां आज चौधरी भूपेंद्र सिंह तक पहुंच चुका है।

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आइए, एक नज़र डालते हैं बीजेपी के उन 14 शूरवीरों पर जिन्होंने 1980 से लेकर 2025 तक उत्तर प्रदेश में पार्टी की नींव को मजबूत किया।

1. माधो प्रसाद त्रिपाठी: नींव रखने वाले पहले अध्यक्ष (1980-1984)

यूपी बीजेपी के इतिहास के पहले पन्ने पर माधो प्रसाद त्रिपाठी का नाम दर्ज है। 1980 में जब बीजेपी अस्तित्व में आई, तब उन्हें ही प्रदेश की कमान सौंपी गई। 1984 तक अध्यक्ष रहे त्रिपाठी की ही देखरेख में बीजेपी ने यूपी में अपनी जमीन तैयार करनी शुरू की थी।

2. कल्याण सिंह: हिंदुत्व के फायरब्रांड नेता (1984-1990)

माधो प्रसाद के बाद कमान सौंपी गई लोधी समाज के कद्दावर नेता कल्याण सिंह (Kalyan Singh) को। राम मंदिर आंदोलन के दौरान उनकी भूमिका ऐतिहासिक रही। वे बाद में 19 महीनों तक मुख्यमंत्री भी रहे। हालांकि, पार्टी से उनके रिश्तों में खटास भी आई और उन्होंने 1999 और 2009 में पार्टी छोड़ी, लेकिन 2014 में उनकी ‘घर वापसी’ हुई और उन्हें राजस्थान और हिमाचल का राज्यपाल भी बनाया गया।

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3. कलराज मिश्र: इकलौते ‘डबल’ अध्यक्ष (1991-1997 और 2000-2002)

बीजेपी के इतिहास में कलराज मिश्र एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्हें दो बार प्रदेश अध्यक्ष बनने का सौभाग्य मिला।

  • पहला कार्यकाल (1991-1997): यह वो दौर था जब ‘मंडल-कमंडल’ की राजनीति अपने चरम पर थी और अयोध्या आंदोलन इतिहास लिख रहा था।

  • दूसरा कार्यकाल (2000-2002): ओम प्रकाश सिंह के बाद पार्टी ने दोबारा उन पर भरोसा जताया।

4. राजनाथ सिंह: ‘क्षत्रिय’ कुल के सूर्य (1997-2000)

वर्तमान में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने 1997 से 2000 तक पार्टी की कमान संभाली। हैदरगढ़ से दो बार विधायक चुने गए राजनाथ बाद में यूपी के मुख्यमंत्री भी बने और पार्टी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

5. ओम प्रकाश सिंह: सात महीने का कार्यकाल (2000)

कुर्मी समाज के बड़े नेता ओम प्रकाश सिंह ने जनवरी 2000 से अगस्त 2000 तक, यानी केवल 7 महीने अध्यक्ष पद संभाला। वे सात बार विधायक और प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे।

6. विनय कटियार: राम मंदिर आंदोलन का चेहरा (2002-2004)

कलराज मिश्र के दूसरे कार्यकाल के बाद, फायरब्रांड नेता और कुर्मी समाज से आने वाले विनय कटियार को अध्यक्ष बनाया गया। यह नियुक्ति 2004 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर की गई थी।

7. केशरी नाथ त्रिपाठी: राजनीति के विद्वान (2004-2007)

पांच बार विधायक और यूपी विधानसभा के स्पीकर रह चुके केशरी नाथ त्रिपाठी ने जुलाई 2004 से 2007 तक पार्टी का नेतृत्व किया। बाद में उन्होंने बिहार, पश्चिम बंगाल और मिजोरम के राज्यपाल के रूप में सेवाएं दीं।

8. डॉ. रमापति राम त्रिपाठी (2007-2010)

2007 में पार्टी ने देवरिया सांसद डॉ. रमापति राम त्रिपाठी पर दांव खेला। वह तीन साल तक अध्यक्ष रहे और पार्टी संगठन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई।

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9. सूर्य प्रताप शाही (2010-2012)

वर्तमान योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री, भूमिहार समाज के नेता सूर्य प्रताप शाही ने 2010 से 2012 तक कमान संभाली। वे 1985 से अब तक पांच बार विधायक रह चुके हैं।

10. लक्ष्मीकांत वाजपेयी: 2014 की ऐतिहासिक जीत के नायक (2012-2016)

लक्ष्मीकांत वाजपेयी का कार्यकाल बीजेपी के लिए स्वर्ण युग साबित हुआ। उनके अध्यक्ष रहते हुए ही 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यूपी में रिकॉर्ड तोड़ जीत हासिल की थी।

11. केशव प्रसाद मौर्य: पिछड़ों का बड़ा चेहरा (2016-2017)

मौर्य समाज से आने वाले केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में ही बीजेपी ने 2017 में यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई और 14 साल का वनवास खत्म किया। बाद में वे डिप्टी सीएम बने।

12. डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय (2017-2019)

ब्राह्मण चेहरा महेंद्र नाथ पांडेय के नेतृत्व में बीजेपी ने 2019 लोकसभा चुनाव में 62 सीटें जीतीं। हालांकि, यह 2014 के मुकाबले 9 सीटें कम थीं, लेकिन प्रदर्शन शानदार माना गया।

13. स्वतंत्र देव सिंह (2019-2022)

कुर्मी समाज के नेता स्वतंत्र देव सिंह के नेतृत्व में बीजेपी ने 2022 का विधानसभा चुनाव जीता और लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की।

14. चौधरी भूपेंद्र सिंह: पश्चिमी यूपी के कद्दावर नेता (2022-2025)

जाट समाज से आने वाले और पश्चिमी यूपी में मजबूत पकड़ रखने वाले भूपेंद्र सिंह चौधरी मौजूदा अध्यक्ष हैं। उनके नेतृत्व में 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी को झटका लगा और वे 33 सीटों पर सिमट गए। लेकिन हालिया उपचुनावों में 9 में से 6 सीटें जीतकर उन्होंने शानदार वापसी के संकेत दिए।

जातीय गणित: ब्राह्मणों का दबदबा या पिछड़ों की भागीदारी?

बीजेपी के 45 सालों के इतिहास में एक रोचक पैटर्न सामने आया है। अब तक पार्टी ने 6 ब्राह्मण अध्यक्ष दिए हैं, जो सबसे ज्यादा है। इसके अलावा 3 कुर्मी, 1 लोधी, 1 मौर्य, 1 भूमिहार और 1 जाट नेता को कमान सौंपी गई।

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अगला अध्यक्ष कौन? रेस में हैं ये 5 बड़े नाम

सियासी पंडितों का मानना है कि ‘इंडिया गठबंधन’ (INDIA Alliance) के जातिगत जनगणना और पीडीए (PDA) कार्ड को काटने के लिए बीजेपी एक बार फिर गैर-यादव ओबीसी (Non-Yadav OBC) चेहरे पर दांव लगा सकती है।

रेस में जिन नामों की चर्चा सबसे ज्यादा है, वे हैं:

  • ओबीसी वर्ग से:

    1. पंकज चौधरी (कुर्मी समाज – केंद्रीय मंत्री)

    2. बीएल वर्मा (कुर्मी/लोधी फैक्टर – केंद्रीय राज्य मंत्री)

    3. धर्मपाल लोधी (कल्याण सिंह की विरासत का आधार)

  • ब्राह्मण चेहरे:

    1. हरीश द्विवेदी (बस्ती से पूर्व सांसद और असम प्रभारी)

    2. गोविंद नारायण शुक्ला (संगठन के अनुभवी महामंत्री)

14 दिसंबर को पर्दा उठ जाएगा कि क्या बीजेपी 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए किसी ओबीसी चेहरे को आगे करेगी या फिर ब्राह्मण कार्ड खेलकर सभी को चौंका देगी।


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