Manipur violence: मणिपुर में मेइती समुदाय को एससी श्रेणी में शामिल कराने की मांग के विरोध में हुई रैली के बाद हिंसा काफी भड़क गई है। गुस्साई भीड़ ने भाजपा विधायक वुंगजागिन वाल्टे पर गुरुवार को इंफाल में हमला भी किया। भाजपा विधायक पर उस वक्त हमला किया गया, जब वो सूबे के सीएम एन बीरेन सिंह से मुलाकात कर प्रदेश सचिवालय को लौट रहे थे। मणिपुर में आदिवासियों और बहुसंख्यक मेइती समुदाय के बीच हिंसा भड़कने के बाद राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति भी बिगड़ गई है। जिसको देखते हुए बुधवार रात स्थिति को संभालने के लिए सेना और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया था। हालात को और ज्यादा बिगड़ता देख राज्य गृह विभाग ने शूट एट साइट का आदेश जारी किया है और मणिपुर में भड़की हिंसा से आठ जिलों पर इसका प्रभाव पड़ता दिखाई दे रहा हैं।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, जिले के थानलॉन से तीन बार के विधायक वाल्टे पर उस वक्त हमला किया गया जब वो इंफाल में अपने सरकारी आवास को जा रहे थे। आक्रोशित भीड़ ने विधायक और उनके ड्राइवर पर भी हमला किया है। जबकि उनके PSO भागने में सफल रहे। साथ ही विधायक वुंगजागिन वाल्टे की हालत काफी गंभीर बनी हुई है। उनको इंफाल के क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में भर्ती भी कराया गया है। जहां उनका इलाज जारी रहा है। वाल्टे कुकी समुदाय से आते हैं। वो पिछली बीजेपी सरकार में मणिपुर के जनजातीय मामलों और पहाड़ी मंत्री रहे थे।
जानिए क्या है पूरे बवाल की जड़?
इस पूरी हिंसा की वजह कब्जा बताया जा रहा है। मेतेई समुदाय की आबादी यहां 53 फीसदी से ज्यादा है और वो सिर्फ घाटी में बस सकते हैं। वहीं, नागा और कुकी समुदाय की आबादी 40 फीसदी के आसपास है और वो पहाड़ी इलाकों में बसे हैं साथ ही जो राज्य का 90 फीसदी इलाका है वो मणिपुर में एक कानून है।
इसके मुताबिक, आदिवासियों के लिए कुछ खास प्रावधान किए गए हैं। इसके तहत, पहाड़ी इलाकों में सिर्फ आदिवासी ही बस सकते हैं चूंकि मेतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं प्राप्त है, इसलिए वो पहाड़ी इलाकों में नहीं बस सकते। जबकि, नागा और कुकी जैसे आदिवासी समुदाय चाहें तो घाटी वाले इलाकों में जाकर भी रह सकते हैं। मैतेई और नागा-कुकी के बीच विवाद की यही असल वजह भी मानी जा रही है इसलिए मैतेई ने भी खुद को अनुसूचित जाति का दर्जा दिए जाने की मांग करी थी।