डेस्क। Chanakya Niti: महान कूटनीतिज्ञ, विद्वान और रणनीतिकार आचार्य चाणक्य (Acharya Chankya) ने अपनी नीति शास्त्र में मनुष्य के जीवन से जुड़ी तमाम पहलुओं के बारे में विस्तार से जिक्र भी किया है।
उनके द्वारा बताई गई बातें आज भी जीवन में सही प्रतीत साबित होती हैं और अगर आप भी जीवन की परेशानियों से बचना चाहते हैं तो आचार्य चाणक्य के इन दो श्लोकों को अपने जीवन में याद से उतार लें। तो आइए जानते हैं क्या कहती है चाणक्य नीति…
नखीनां च नदीनां च शृंगीणां शस्त्रपाणिनाम्।
विश्वासो नैव कर्तव्यो स्त्रीषु राजकुलेषु च।।
इस श्लोक का अर्थ है कि, ‘नखीनाम्’ अर्थात बड़े-बड़े नाखूनों वाले शेर और चीते आदि प्राणियों, विशाल नदियों, ‘शृंगीणाम्’ अर्थात बड़े-बड़े सींग वाले सांड़ आदि पशुओं, शस्त्र धारण करने वालों, स्त्रियों और राजा से संबंधित कुल वाले इंसानों पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए।
वरयेत् कुलजां प्राज्ञो विरूपामपि कन्यकाम्।
रूपवर्ती न नीचस्य विवाहः सदृशे कुले ।।
इस श्लोक का अर्थ- इस श्लोक में चाणक्य बताते है कि बुद्धिमान व्यक्ति को चाहिए कि वह श्रेष्ठ कुल में उत्पन्न हुई कुरूप या सौंदर्य हीन कन्या से भी विवाह करें लेकिन कभी भी नीच कुल में पैदा हुई सुंदर कन्या से विवाह न करें और आचार्य ने कहा है कि शादी-विवाह हमेशा अपने समान कुल में ही करना चाहिए।