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Join NowUttar Pradesh: भारतीय रेलवे (Indian Railways) के इतिहास में एक नया सुनहरा अध्याय जुड़ने जा रहा है। अब वो दिन दूर नहीं जब पटरियों पर डीजल का काला धुआं या बिजली के तारों का जाल नहीं, बल्कि अत्याधुनिक तकनीक से लैस हाइड्रोजन ट्रेन (Hydrogen Train) दौड़ती नजर आएगी। जी हां, हरियाणा के लोगों के लिए यह खबर किसी दिवाली से कम नहीं है क्योंकि जींद और सोनीपत के बीच देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन चलाने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है।
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लेकिन खुशियां यहीं नहीं रुकतीं, हरियाणा के बाद यह ट्रेन उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कई प्रमुख शहरों को भी अपनी रफ़्तार से जोड़ेगी। आइये विस्तार से जानते हैं कि यह ट्रेन कैसी है, इसका रूट क्या होगा और आम यात्रियों को इससे क्या फायदा मिलने वाला है।
हरियाणा से होगी शुरुआत, फिर यूपी में मचेगी धूम
रेलवे के सूत्रों और आरडीएसओ (RDSO) के मुताबिक, सबसे पहले इस ट्रेन का संचालन हरियाणा के जींद-सोनीपत रूट पर किया जाएगा। इस रूट को ट्रायल और शुरुआती संचालन के लिए चुना गया है। जैसे ही यहां ट्रेन सफलतापूर्व पटरियों पर दौड़ भरेगी, अगला नंबर उत्तर प्रदेश का होगा।
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उत्तर रेलवे (Northern Railway) ने जो खाका तैयार किया है, उसके अनुसार यूपी के धार्मिक और वीआईपी शहरों को इसमें प्राथमिकता दी गई है।
भविष्य में इन रूटों पर दौड़ सकती है ट्रेन:
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लखनऊ से कानपुर (Lucknow to Kanpur)
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अयोध्या (Ayodhya)
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वाराणसी (Varanasi)
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गोरखपुर (Gorakhpur)
खास बात यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने आईआईटी बीएचयू (IIT BHU) और गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MMMUT) में ‘ग्रीन हाइड्रोजन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ स्थापित करने की मंजूरी दे दी है। इसके तहत बनारस से गोरखपुर के बीच हाइड्रोजन ट्रेन चलाने की योजना पर भी तेजी से काम चल रहा है।
‘नमो ग्रीन रेल’: स्वदेशी तकनीक का बेहतरीन नमूना
चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) ने कमाल कर दिखाया है। भारतीय इंजीनियरों ने देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन सेट तैयार कर ली है, जिसे ‘नमो ग्रीन रेल’ (Namo Green Rail) नाम दिया गया है। इसे चेन्नई के अन्नानगर यार्ड में भेज दिया गया है।
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ट्रायल कैसे होगा?
आरडीएसओ की निगरानी में इसका कड़ा ट्रायल होगा। ट्रायल को एकदम असली जैसा बनाने के लिए ट्रेन में उतना ही वजन (रेत की बोरियां या डमी वेट) रखा जाएगा, जितना यात्रियों से खचाखच भरने पर होता है। यह ट्रेन सुरक्षा के हर मानक पर खरी उतरने के बाद ही आपके लिए उपलब्ध होगी।
1 किलो हाइड्रोजन में कितनी दूर जाएगी ट्रेन?
यह सवाल हर किसी के मन में है कि आखिर इसकी ‘माइलेज’ क्या होगी? आरडीएसओ के रिसर्च एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अमित श्रीवास्तव बताते हैं कि अनुमान के मुताबिक, एक किलोग्राम हाइड्रोजन में यह ट्रेन लगभग सवा किलोमीटर (1.25 km) तक चलेगी।
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ट्रेन की लंबाई: इसमें करीब 10 डिब्बे होंगे।
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इंजन: आगे और पीछे पावर कार (Power Car) होंगी।
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रफ़्तार: ट्रायल के बाद इसकी असली स्पीड पता चलेगी, लेकिन यह डीजल ट्रेनों से कहीं ज्यादा स्मूथ होगी।
आरडीएसओ महानिदेशक उदय बोरवणकर ने हाल ही में लखनऊ में बताया था कि उनका लक्ष्य सिर्फ हाइड्रोजन ट्रेन नहीं, बल्कि 250 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार वाली सेमी-हाईस्पीड ट्रेनों पर भी काम करना है।
पर्यावरण को मिलेगी बड़ी राहत (Environmental Impact)
आजकल एक 12 डिब्बों वाली डीजल पैसेंजर ट्रेन 1 किलोमीटर चलने में 6 लीटर डीजल पी जाती है। वहीं एक्सप्रेस ट्रेन 4.5 लीटर डीजल फूंक देती है। जरा सोचिये, इससे कितना प्रदूषण होता है!
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इलेक्ट्रिक ट्रेनें प्रदूषण तो नहीं करतीं, लेकिन वो बिजली 20 यूनिट प्रति किमी खाती हैं, जो कहीं न कहीं कोयले से ही बन रही हो सकती है।
हाइड्रोजन ट्रेन इन सबकी छुट्टी कर देगी। यह सिर्फ पानी (भाप) छोड़ेगी। जींद में इसके लिए एक स्पेशल हरित हाइड्रोजन उत्पादन संयंत्र (Green Hydrogen Plant) लगाया जा रहा है, जो पानी से गैस बनाएगा।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी संसद में जानकारी
रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने हाल ही में 10 दिसंबर को लोकसभा में बताया कि भारत की पहली हाइड्रोजन-चलित ट्रेन सेट का निर्माण पूरा हो गया है। यह ‘मेक इन इंडिया’ की एक बहुत बड़ी कामयाबी है। जींद में हाइड्रोजन प्लांट का काम जोरों पर है, और जल्द ही देशवासी इस ऐतिहासिक पल के गवाह बनेंगे। तो तैयार हो जाइये, छुक-छुक गाड़ी का जमाना गया, अब बारी है ‘ग्रीन रेल’ की, जो हमें एक प्रदूषण मुक्त भविष्य की ओर ले जाएगी।















