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Join NowPawan Singh: बिहार की राजनीति में सन्नाटा भले ही दिखता हो, लेकिन भीतर ही भीतर एक ऐसा तूफान सुलग रहा है जिसकी तपिश दिल्ली तक महसूस की जा रही है। सवाल सिर्फ एक है—इस बार बिहार से राज्यसभा कौन जाएगा?
साल 2025 के विधानसभा चुनाव की गहमागहमी के बाद अब सारा ध्यान राज्यसभा चुनाव 2026 की उन 5 सीटों पर टिक गया है, जो खाली हो रही हैं। वर्तमान संख्या बल को देखें तो यह लगभग साफ है कि पाँचों की पाँचों सीटें NDA (एनडीए) के खाते में जा सकती हैं। लेकिन असली पेंच प्रत्याशियों के नामों और ‘जातीय समीकरणों’ में फंसा हुआ है।
वो 5 चेहरे जिनका कार्यकाल हो रहा है समाप्त
नए साल 2026 की शुरुआत के साथ ही राजद (RJD) के प्रेम चंद गुप्ता और एडी सिंह, जेडीयू (JDU) के दिग्गज नेता व राज्यसभा उपसभापति हरिवंश नारायण, रामनाथ ठाकुर और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उपेंद्र कुशवाहा का कार्यकाल समाप्त होने वाला है। राजद के लिए इस बार राह मुश्किल है, जबकि सत्ताधारी गठबंधन में नए चेहरों की एंट्री की संभावना प्रबल है।
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क्या पवन सिंह बनेंगे ‘माननीय’? भाजपा का बड़ा सस्पेंस
राजनीतिक गलियारों में जिस नाम की सबसे ज्यादा गूँज है, वह है भोजपुरी पावर स्टार पवन सिंह। चर्चा है कि 2025 के चुनाव में भाजपा के लिए धुआंधार प्रचार करने का इनाम उन्हें राज्यसभा भेजकर दिया जा सकता है। लेकिन यहाँ एक बड़ा ‘किंतु-परंतु’ खड़ा है।
बीजेपी हमेशा अपने ‘AP’ यानी अगड़ा-पिछड़ा समीकरण को साधने के लिए जानी जाती है। अगर पार्टी कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन को उच्च सदन भेजती है, तो वे एक सवर्ण चेहरा होंगे। ऐसे में क्या दूसरी सीट पर पवन सिंह (जो कि एक और सवर्ण चेहरा होंगे) को बिठाकर पार्टी पिछड़ों और अति-पिछड़ों को नाराज करने का जोखिम उठाएगी? क्या शाहाबाद के लोकसभा नतीजों का दर्द पार्टी भूल पाएगी? जानकारों की मानें तो पवन सिंह को MLC बनाकर खुश रखने का विकल्प भी टेबल पर है।
नीतीश कुमार की ‘नो एक्सपेरिमेंट’ नीति!
जनता दल यूनाइटेड (JDU) के खेमे से खबर पक्की मानी जा रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने पुराने भरोसेमंद चेहरों—हरिवंश नारायण और रामनाथ ठाकुर पर ही दांव लगाएंगे। हरिवंश जहाँ पार्टी के बौद्धिक और कूटनीतिक चेहरे हैं, वहीं रामनाथ ठाकुर (जो फिलहाल मोदी सरकार में मंत्री भी हैं) अति-पिछड़ा राजनीति का सबसे बड़ा स्तंभ हैं। इन दोनों को रिपीट कर नीतीश अपनी सवर्ण-पिछड़ा संतुलन की सोशल इंजीनियरिंग को बरकरार रखेंगे।
चिराग पासवान और ‘मां’ का इमोशनल दांव
2025 चुनाव की सीट-शेयरिंग के वक्त जब चिराग पासवान 40 सीटों की मांग पर अड़े थे, तब उन्हें एक राज्यसभा सीट का वादा भी किया गया था। चर्चा गर्म है कि चिराग अपनी मां रीना पासवान को राज्यसभा भेजकर अपने पिता रामविलास पासवान की विरासत को सम्मान देना चाहते हैं। अगर ऐसा होता है, तो एनडीए के भीतर दलित वोटों की पकड़ और मजबूत होगी।
उपेंद्र कुशवाहा का क्या होगा?
एक समय बिहार की राजनीति में बड़ा दखल रखने वाले उपेंद्र कुशवाहा के लिए राहें धुंधली नजर आ रही हैं। माना जा रहा है कि इस बार भाजपा उन्हें ‘ड्रॉप’ कर सकती है और उनके बदले किसी पिछड़े या कुर्मी-कोइरी (लव-कुश) चेहरे को राज्यसभा भेजकर 2025 और आगे की राह आसान करना चाहेगी।
बिहार में राज्यसभा की जंग केवल सदन में सीट पाने की नहीं, बल्कि 2029 की जमीन तैयार करने की है। क्या भाजपा ‘पावर स्टार’ के साथ अपनी चमक बढ़ाएगी, या सोशल इंजीनियरिंग के पुराने फार्मूले पर ही टिकेगी? फिलहाल पटना से दिल्ली तक कयासों का दौर जारी है। सस्पेंस बरक़रार है……












