Indian Army Drone Deal: 5000 करोड़ की महा-खरीद, दुश्मन के ‘जैमर्स’ भी नहीं रोक पाएंगे ये स्वदेशी काल

Published On: December 15, 2025
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Indian Army Drone Deal: 5000 करोड़ की महा-खरीद, दुश्मन के 'जैमर्स' भी नहीं रोक पाएंगे ये स्वदेशी काल

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Indian Army Drone Deal: भारतीय सेना (Indian Army) अब अपनी ताकत में ऐसा इजाफा करने जा रही है, जिससे सीमा पार बैठे दुश्मनों के होश फाख्ता हो जाएंगे। आधुनिक युद्ध (Modern Warfare) के नियमों को बदल देने वाली एक बड़ी खबर सामने आई है। सेना ने 5,000 करोड़ रुपये के स्वदेशी ड्रोन (Indigenous Drones) खरीदने का मेगा प्लान तैयार कर लिया है।

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यह सिर्फ एक खरीदारी नहीं है, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ की हुंकार है। खास बात यह है कि ये वो आम ड्रोन नहीं हैं जो छोटी-मोटी निगरानी करें, बल्कि ये ‘दुश्मन के घर में घुसकर’ तबाही मचाने वाले साइलेंट किलर्स हैं। इन ड्रोनों को खरीदने से पहले सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor)’ जैसी बेहद कठिन और युद्ध जैसी परिस्थितियां तैयार करके इनकी अग्निपरीक्षा ली है।

3 तरह के ‘हवाई योद्धा’ करेंगे दुश्मन का खात्मा

ET की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सेना जिन ड्रोनों का जखीरा तैयार कर रही है, वे दुश्मन को तीन अलग-अलग मोर्चों पर घेरकर नेस्तनाबूद करेंगे।

  1. आत्मघाती या कामिकेज ड्रोन (Kamikaze Drones):
    ये सबसे खतरनाक होते हैं। इन्हें आप हवा में उड़ते हुए बम समझ सकते हैं। ये ‘शॉर्ट रेंज’ के लिए होते हैं। मिशन मिलते ही ये दुश्मन के टैंक, बंकर या ठिकाने पर गिरकर खुद को उड़ा लेते हैं और दुश्मन को ख़त्म कर देते हैं।

  2. पिनपॉइंट स्ट्राइक ड्रोन (Precision Munition Drones):
    ये लंबी दूरी (Long Range) तक जाकर अपने टारगेट को ढूंढते हैं। इनकी खूबी यह है कि ये चुपचाप शिकार की पहचान करते हैं और एकदम सटीक निशाना लगाकर (Pin-point accuracy) हमला करते हैं। ये अपना काम करके वापस लौटने में भी सक्षम हैं।

  3. जासूसी ड्रोन (Surveillance UAVs):
    जंग में जानकारी ही सबसे बड़ा हथियार है। ये ड्रोन तीसरी आंख का काम करेंगे और दुश्मन की हर हरकत की लाइव फीड कंट्रोल रूम को भेजेंगे।

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ड्रैगन की चाल होगी फेल: ‘जैमिंग’ और ‘स्पूफिंग’ का नहीं होगा असर

दुश्मन अक्सर भारतीय ड्रोनों का रास्ता भटकाने के लिए GPS स्पूफिंग (Spoofing) और सिग्नल जैमिंग (Jamming) का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन नए 5000 करोड़ के ड्रोन इस तकनीक की काट हैं।

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टेस्टिंग के दौरान सेना ने एक विशेष ‘इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर टेस्टिंग एरिया’ बनाया। वहां ऐसे हालात पैदा किए गए जहाँ सामान्य रडार और सिग्नल्स काम करना बंद कर दें (बिल्कुल ऑपरेशन सिंदूर की तरह)। ये स्वदेशी ड्रोन उस ‘डेथ ज़ोन’ में भी न सिर्फ उड़े, बल्कि सटीक निशाना भी लगाया। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया गया कि ये ऊंचाई वाले बर्फीले इलाकों (High Altitude Areas) में भी पूरी ताकत से काम कर सकें।

‘नो चाइनीज पार्ट’ पॉलिसी (No Chinese Parts)

सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सेना ने एक कड़ा नियम बनाया है। इन ड्रोनों की ‘जन्म कुंडली’ जांची गई है ताकि यह पक्का हो सके कि इनमें चीन का कोई भी पुर्जा (Chinese Part) इस्तेमाल नहीं हुआ है। डाटा चोरी और सुरक्षा सेंध से बचने के लिए आईटी डिपार्टमेंट और सेना ने मिलकर यह स्क्रीनिंग की है। ये खरीदारी ‘आपातकालीन खरीद शक्तियों’ (Emergency Procurement Powers) के तहत की जा रही है, जो अपने आप में इसकी गंभीरता को दर्शाता है।

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किसने मारी बाजी? सरकारी और प्राइवेट कंपनियों की चांदी

इस डील में मेक इन इंडिया का जलवा है। घरेलू कंपनियों ने बड़े-बड़े ठेके अपने नाम किए हैं:

  • म्यूनिशन्स इंडिया लिमिटेड (Munitions India Ltd): इस सरकारी कंपनी ने शानदार प्रदर्शन किया है। उन्हें लगभग 500 करोड़ रुपये के ‘लोइटरिंग म्यूनिशन्स’ (Loitering Munitions) का कॉन्ट्रैक्ट मिला है।

  • प्राइवेट सेक्टर का धमाका: न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजीज (NewSpace Research) और एसएमपीपी प्राइवेट लिमिटेड (SMPP Pvt Ltd) ने मिलकर 725 करोड़ रुपये का बड़ा ऑर्डर हासिल किया है। ये कंपनियां सर्विलांस और स्ट्राइक ड्रोन बनाएंगी।

  • आइडियाफोर्ज (IdeaForge) और जेएसडब्ल्यू (JSW): आइडियाफोर्ज ने निगरानी करने वाले ड्रोनों के लिए, जबकि जेएसडब्ल्यू ने वर्टिकल टेकऑफ (बिना रनवे के सीधे ऊपर उड़ने वाले) ड्रोनों में अपना लोहा मनवाया है।

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भारत की यह तैयारी बता रही है कि भविष्य के युद्ध अब जमीन पर कम और आसमान में ज्यादा लड़े जाएंगे, और भारतीय सेना इसका ‘किंग’ बनने की राह पर है।

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