Chitrakoot Treasury Scam: चित्रकूट कोषागार में 43 करोड़ का महाघोटाला, सरकार ने बदला भुगतान का पूरा नियम, अब ऐसे मिलेगी पेंशन और एरियर

Published On: December 12, 2025
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Chitrakoot Treasury Scam: चित्रकूट कोषागार में 43 करोड़ का महाघोटाला, सरकार ने बदला भुगतान का पूरा नियम, अब ऐसे मिलेगी पेंशन और एरियर

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Chitrakoot Treasury Scam: उत्तर प्रदेश के चित्रकूट कोषागार (Chitrakoot Treasury) में हुए 43.13 करोड़ रुपये के भारी-भरकम गबन ने पूरे प्रशासनिक अमले की नींद उड़ा दी है। सरकारी खजाने में सेंध लगाने का यह खेल इतना शातिराना था कि एक वरिष्ठ बाबू (Senior Clerk) ने कंप्यूटर की कोडिंग से छेड़छाड़ कर करोड़ों रुपये उड़ा दिए।

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इस महाघोटाले के पर्दाफाश होने के बाद योगी सरकार (Yogi Government) ने अब एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। सरकार ने साफ कर दिया है कि भविष्य में ऐसी किसी भी धांधली को रोकने के लिए ‘एनआईसीएस सॉफ्टवेयर’ (NICS Software) की व्यवस्था को पूरी तरह बदल दिया जाएगा।

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घोटाले की जड़ पर प्रहार: अलग हुआ पेंशन और एरियर का रास्ता

पहले एक ही सॉफ्टवेयर और एक ही प्रक्रिया के जरिए नियमित पेंशन (Pension) और बकाया राशि यानी एरियर (Pension Arrears) का भुगतान हो जाता था। इसी खामी का फायदा उठाकर चित्रकूट कोषागार के लिपिक ने घोटाला किया। उसने पेंशन की आड़ में एरियर के नाम पर करोड़ो रुपये फर्जी खातों में डाल दिए।

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अब शासन ने सख्त आदेश जारी किए हैं:

  1. नया सॉफ्टवेयर अपडेट: एनआईसीएस सॉफ्टवेयर को एक नए ढांचे में विकसित (Re-engineered) किया जाएगा।

  2. अलग-अलग बिल: अब पेंशन और एरियर के बिल एक साथ जनरेट नहीं होंगे। दोनों के लिए अलग-अलग लिंक बनाए गए हैं।

  3. विशिष्ट पहचान (Unique Identity): पेंशन और एरियर के भुगतान को अलग पहचान देने के लिए सिस्टम में अतिरिक्त जानकारी और सुरक्षा कोड जोड़े जाएंगे।

  4. बंटवारा अनिवार्य: सॉफ्टवेयर में जनरेट होने वाले बिलों को अब अलग-अलग लाभार्थियों (Beneficiaries) के बीच स्पष्ट रूप से बांटा जाएगा, ताकि कोई एक ही व्यक्ति (या जालसाज) एक साथ कई ट्रांजैक्शन न कर सके।

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सभी जिलाधिकारियों (DMs) और वरिष्ठ कोषाधिकारियों (Treasury Officers) को तत्काल प्रभाव से इस नई व्यवस्था को लागू करने के कड़े निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

43 करोड़ की हेराफेरी: 7 साल तक चलता रहा खेल

हैरानी की बात यह है कि सरकारी नाक के नीचे यह खेल वर्ष 2018 से 2025 तक यानी पूरे 7 साल तक चलता रहा और किसी को कानो-कान खबर नहीं हुई। चित्रकूट कोषागार से इन सात सालों के दौरान नियम-कायदों को ताक पर रखकर करोड़ों रुपये निजी खातों में भेजे जाते रहे।

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जब ऑडिट हुआ और मामला खुला, तो पता चला कि एक वरिष्ठ लिपिक ने सॉफ्टवेयर में लूपहोल का फायदा उठाया था। जागरण और अन्य मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस हेराफेरी में उड़ाए गए पैसों में से अब तक 3.62 करोड़ रुपये की रिकवरी की जा चुकी है, लेकिन असली रकम अब भी बहुत बड़ी है।

24 जिलों में हड़कंप, 93 खातों की एसटीएफ जांच

सरकार इस घोटाले को लेकर कोई भी नरमी बरतने के मूड में नहीं है। मामले की जांच एसटीएफ (Special Task Force – STF) को सौंप दी गई है।

  • संदेह के घेरे में 93 पेंशनर्स: जांच में सामने आया है कि 93 विशिष्ट खातों में यह रकम भेजी गई थी। इन सभी खाताधारकों की कुंडली खंगाली जा रही है।

  • ऑडिट का आदेश: सरकार ने एहतियात के तौर पर प्रदेश के 24 अन्य जिलों के कोषागारों की भी गहन जांच (Forensic Audit) के आदेश दिए हैं। आशंका है कि यह खेल सिर्फ चित्रकूट तक सीमित नहीं हो सकता।

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पारदर्शिता की नई पहल

शासन ने स्पष्ट संदेश दिया है कि पेंशनरों के पैसे पर डाका डालने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। नई व्यवस्था का उद्देश्य वित्तीय प्रणाली (Financial System) को इतना पारदर्शी और मजबूत बनाना है कि कोई चाहकर भी “कोडिंग का खेल” न खेल सके। यह नई तकनीक उन लाखों ईमानदार पेंशनरों के लिए राहत की खबर है, जो अपने बुढ़ापे की लाठी यानी पेंशन के लिए सरकार पर निर्भर हैं। अब उनका पैसा पूरी तरह सुरक्षित रहेगा।

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