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Join NowBanke Bihari Temple: वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर परिसर में एक ऐसा ऐतिहासिक क्षण आया, जिसका इंतजार दशकों से हो रहा था. अधिकारी, गोस्वामी, पुलिस बल और कुछ चुनिंदा सेवायतों की मौजूदगी में सबकी निगाहें एक ही जगह पर टिकी हुई थीं – वह खजाने का कमरा, जिसका दरवाजा पिछले 54 सालों से बंद था. कहा जाता है कि इस कमरे में इतिहास सांस लेता है और यहीं पर आस्था और रहस्य का अनूठा संगम बसता है.
धनतेरस पर खुला आधी सदी पुराना राज़
यह घटना धनतेरस के शुभ दिन की है. जब लोग अपने घरों में लक्ष्मी पूजन की तैयारी कर रहे थे, ठीक उसी समय बांके बिहारी मंदिर में आधी सदी से बंद पड़े एक कमरे को खोला जा रहा था. यह महत्वपूर्ण निर्णय एक हाई पावर कमेटी के आदेश पर लिया गया. जैसे ही कमरे का भारी दरवाजा चरमराते हुए खुला, वहां मौजूद हर एक शख्स की आंखें आश्चर्य से फटी रह गईं.
अंदर का दृश्य किसी पुरानी, रहस्यमयी कहानी के पन्नों जैसा था. चारों ओर सीलन की एक अजीब गंध फैली हुई थी, दीवारों पर धूल की मोटी परतें जमी थीं और फर्श पानी से भरा हुआ था. लेकिन यह वैसा खजाना बिल्कुल नहीं था, जैसी कि आम तौर पर कल्पना की जाती है – यहाँ सोने-चांदी के ढेर या रत्नजड़ित मुकुट नहीं थे. इसके बजाय, कुछ चांदी के पात्र और बर्तन मिले, जो समय की धूल में लिपटे हुए थे.
तहखाने में मिले दो सांप, मचा हड़कंप
जैसे ही जांच टीम ने सफाई का काम शुरू किया, अचानक एक अप्रत्याशित हलचल हुई. कुछ लोग डरकर पीछे हट गए, जबकि कुछ ने अपनी टॉर्च की रोशनी जमीन पर डाली. वहां दो छोटे सर्प रेंग रहे थे. इस रहस्यमयी घटना के बाद तुरंत वन विभाग की टीम को सूचित किया गया. मौके पर पहुंची टीम ने दोनों सांपों को बड़ी सावधानी से पकड़कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ दिया. कुछ पलों के लिए पूरा माहौल किसी रहस्य और रोमांच से भर गया.
यह पूरी कार्रवाई लगभग तीन घंटे तक चली. इस दौरान, मंदिर के सेवायत गोस्वामियों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच लगातार चर्चा होती रही, और कुछ मौकों पर तीखी बहस भी हुई. कुछ गोस्वामी इस बात से नाराज थे कि हाई पावर कमेटी को मंदिर की सदियों पुरानी परंपराओं में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. उन्होंने “हाई पावर कमेटी हाय-हाय, दिनेश गोस्वामी हाय-हाय” जैसे नारे भी लगाए. वहीं दूसरी ओर, अधिकारी शांतिपूर्वक अपनी कार्रवाई को पूरा करने में जुटे रहे.
कमरे के अंदर की स्थिति काफी खराब थी. फर्श पर कीचड़ और पानी भरा हुआ था, दीवारों पर फफूंद लगी थी और हर तरफ एक अजीब सी नमी महसूस हो रही थी. यह सब मिलकर उस कमरे को और भी रहस्यमयी बना रहे थे.
अधिकारियों ने दी जानकारी
सीओ सदर, संदीप कुमार ने बताया कि हाई पावर कमेटी के निर्देशों का पालन करते हुए खजाने को खोला गया था और जांच के दौरान केवल कुछ चांदी के बर्तन और पात्र ही मिले हैं. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई अभी जारी रहेगी और हाई पावर कमेटी के अगले निर्देश के बाद खजाने को फिर से खोला जा सकता है. फिलहाल, उस रहस्यमयी कमरे को दोबारा सील कर दिया गया है.
सेवादारों ने किया खुलासा
मंदिर के एक सेवायत, घनश्याम गोस्वामी ने भी इस बात की पुष्टि की कि कमरे से केवल कुछ धातु के बर्तन ही मिले हैं. उन्होंने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि हाई पावर कमेटी से जुड़े लोगों को ही अंदर जाने की अनुमति दी गई, जबकि पारंपरिक रूप से यह अधिकार मंदिर के चार मनोनीत गोस्वामियों का होता है.
वृंदावन में फैली खबर, लोगों में बढ़ी उत्सुकता
खजाना खुलने की खबर पूरे वृंदावन में आग की तरह फैल गई. भक्तों और स्थानीय निवासियों में इसे लेकर कौतूहल और भी बढ़ गया. हर कोई बस यही जानना चाहता था – आखिर 54 सालों से बंद उस कमरे में क्या मिला? क्या वहां कोई दिव्य वस्तु छिपी हुई थी? या फिर यह केवल बीते समय की कुछ भूली-बिसरी यादें थीं? मंदिर के बाहर भक्तों की भारी भीड़ जमा हो गई, जो श्रद्धा और रहस्य की इस अनूठी कहानी में डूबी हुई थी. तीन घंटे की लंबी कार्रवाई के बाद, कमरे पर फिर से ताला लगा दिया गया. लेकिन इस बार, सैकड़ों लोग इस ऐतिहासिक घटना के गवाह बने, जिन्होंने आधी सदी के बाद मंदिर के इस रहस्यमयी दरवाजे के अंदर की एक झलक देखी.