डेस्क। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) ने हाल ही में मुस्लिम पवित्र पुस्तक कुरान जलाने की घटनाओं की निंदा करने के लिए बुधवार को मतदान का आयोजन किया। कई देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन करने से इनकार भी कर दिया वहीं इन देशों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जोड़कर देखा और कहा कि ऐसे प्रस्तावों का समर्थन नहीं किया जा सकता।
मुस्लिम पवित्र पुस्तक के अपमान की निंदा के बावजूद इस वोटिंग पर देशों के बीच सहमति नहीं, बल्कि बड़ा विभाजन भी देखने को मिला है। यूरोप और अमेरिका के देशों ने बोला है कि इस प्रस्ताव पर यदि मेहनत की जाती तो शायद सर्वसम्मति से फैसला हो सकता था।
वहीं पिछले महीने स्टॉकहोम की मुख्य मस्जिद के बाहर एक इराकी शरणार्थी द्वारा कुरान की प्रति के कुछ पन्ने जलाने की घटना को लेकर पाकिस्तान और इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के अन्य देशों ने यह मुद्दा भी उठाया था। इस घटना को लेकर पूरे मुस्लिम जगत में बड़ी प्रतिक्रिया भी सामने आई। संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकार निकाय ने धार्मिक घृणा का मुकाबला करने पर ओआईसी के प्रस्ताव का समर्थन किया, जिसके पक्ष में 28 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में 12 वोट पड़े और सात वोट अनुपस्थित भी रहे थे।
अर्जेंटीना, चीन, क्यूबा, भारत, दक्षिण अफ्रीका, यूक्रेन और वियतनाम ने प्रस्ताव का समर्थन किया है। चीन के राजदूत चेन जू ने बोला, “इस्लामोफोबिया बढ़ रहा है, कुछ देशों में पवित्र कुरान का अपमान करने वाली घटनाएं बार-बार हुई हैं।” इन देशों ने धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए अपने घोषित सम्मान को लागू करने के लिए कुछ नहीं किया गया है। इस प्रस्ताव का समर्थन करने के बावजूद, अर्जेंटीना के राजदूत फेडेरिको विलेगास ने स्वीकार किया है कि: “हम अधिक सर्वसम्मति और स्पष्टता के साथ एक पाठ पर पहुंचना पसंद करते. ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी सहित यूरोपीय संघ के देशों, साथ ही कोस्टा रिका और मोंटेनेग्रो ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान भी किया।