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Join NowBJP: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अनुशासनहीनता पर कड़ा रुख अपनाते हुए एक बड़ी कार्रवाई की है। पार्टी ने विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ बगावत करने और निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले अपने चार प्रमुख नेताओं को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है।इस फैसले से पार्टी ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि संगठन के खिलाफ किसी भी तरह की गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
बीजेपी ने इस कार्रवाई को “पार्टी विरोधी गतिविधियां” करार देते हुए चारों नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया है। पार्टी का मानना है कि इन नेताओं के बागी तेवर से न केवल गठबंधन धर्म का उल्लंघन हुआ है, बल्कि इससे एनडीए उम्मीदवारों की जीत की संभावनाओं पर भी असर पड़ रहा था।
इन चार नेताओं पर गिरी गाज:
पार्टी द्वारा निष्कासित किए गए नेताओं में कई बड़े और स्थानीय स्तर पर प्रभाव रखने वाले नाम शामिल हैं:
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वरुण सिंह (बहादुरगंज): बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे वरुण सिंह को पार्टी ने बाहर कर दिया है।
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अनूप कुमार श्रीवास्तव (गोपालगंज): गोपालगंज में पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे अनूप कुमार श्रीवास्तव को भी 6 साल के लिए निष्कासित किया गया है।
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पवन यादव (कहलगांव): कहलगांव से विधायक पवन यादव, जो पार्टी के फैसले के खिलाफ जाकर चुनाव लड़ रहे थे, उन पर भी अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई है।
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सूर्य भान सिंह (बड़हरा): बड़हरा में चुनावी मैदान में उतरे सूर्य भान सिंह को भी पार्टी से 6 साल के लिए निलंबित कर दिया गया है।
आखिर क्यों लिया गया यह बड़ा एक्शन?
बीजेपी ने यह कड़ा कदम इसलिए उठाया क्योंकि ये सभी नेता पार्टी और एनडीए गठबंधन द्वारा तय किए गए उम्मीदवारों के खिलाफ ही ताल ठोक रहे थे। पार्टी के आंतरिक नियमों के अनुसार, आधिकारिक उम्मीदवार के विरुद्ध चुनाव लड़ना गंभीर अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। बीजेपी नेतृत्व ने लंबे समय तक इन नेताओं को मनाने की कोशिश की, लेकिन जब वे नहीं माने तो पार्टी की छवि और गठबंधन की एकजुटता को बनाए रखने के लिए यह निर्णायक कार्रवाई की गई।
इस फैसले का मुख्य उद्देश्य संगठन में एक स्पष्ट संदेश देना है कि किसी भी नेता का कद पार्टी से बड़ा नहीं है और पार्टी लाइन का उल्लंघन करने वालों के लिए कोई जगह नहीं है। यह कदम भविष्य में किसी भी नेता को बगावत करने से रोकने के लिए एक उदाहरण के तौर पर भी देखा जा रहा है। इस कार्रवाई से यह भी साफ हो गया है कि बीजेपी अपने सहयोगियों के साथ गठबंधन धर्म को पूरी निष्ठा से निभाने के लिए प्रतिबद्ध है।














