डेस्क। मथुरा में मकर संक्रांति इस बार 15 जनवरी को मनाई जानी है। शतभिषा नक्षत्र में कुंभ राशि के चंद्रमा होंगे। 15 जनवरी को भोर में 2:44 बजे भगवान भास्कर सूर्य देव मकर राशि में संक्रमण करने वाले हैं।
इसके साथ ही मकर संक्रांति शुरु हो जाएगी। विवाह सहित अन्य मंगल कार्य भी इसी के साथ आरंभ हो जाएंगे।
बता दें दीपक ज्योतिष भागवत संस्थान मथुरा के निदेशक ज्योतिषाचार्य कामेश्वर चतुर्वेदी ने यह बताया कि जब सूर्य भगवान धनु राशि को भोग करके मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस संक्रमण समय के लिए मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। साथ ही इस बार 15 जनवरी को सूर्योदय इसी राशि में होगा। जिसके कारण 15 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनाई जाएगी। इसी दिन से उत्तरायण भी प्रारंभ हो जाते हैं। 6 महीना तक उत्तरायण रहता है और देवयान का प्रारंभ हो जाता है। दिन बड़े होने लग जाते हैं और रात्रि भी छोटी होने लग जाती हैं। उत्तरायण के होने पर विवाह, यज्ञोपवीत, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य भी शुरु हो जाते हैं।
शरद चतुर्वेदी साहित्याचार्य ने ये बताया है कि मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवता गण पृथ्वी पर वेष बदलकर आते हैं और मनुष्य द्वारा किए दान धर्म पुण्य का 100 गुना फल भी देते हैं। इस दिन गंगा-यमुना अथवा नदी आदि स्थानों पर स्नान करना चाहिए वहीं खिचड़ी, गर्म वस्त्र, सौभाग्य वस्तुएं, गुड़, तिल, चना, दक्षिणा आदि दान दिया जाता है।
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इन नामों से जानी जाती है मकर संक्रांति
मकर संक्रांति पर्व को अनेक नामों से जाना जाता है जिसमें एक दिन पूर्व लोहड़ी नाम से तथा मकर संक्रांति को उत्तर भारत में खिचड़ी, महाराष्ट्र में ताल गुल, दक्षिण भारत में पोंगल के नाम से बुलाया जाता है।
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दधि मंथन दान से होती है संतान की प्राप्ति
ज्योतिषाचार्य सौरभ शास्त्री ऋषभदेव ने ये बताया कि मकर संक्रांति के दिन से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करके एक मटकी में माखन और दही रखकर दान करना चाहिए। इसे दधि मंथन दान भी कहते हैं। इससे सुंदर संतान की प्राप्ति होती है। जसोदा मैया और नंद बाबा ने भी मकर संक्रांति को दही मंथन का दान किया था जिसके चलते भगवान गोविंद की उनको प्राप्ति हुई।