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Join NowIndian Railways Electrification 2025: क्या आपने कभी सोचा था कि भारतीय रेलवे (Indian Railways) से धुंआ उड़ाते डीजल इंजन इतनी जल्दी इतिहास का हिस्सा बन जाएंगे? जी हां, जिस रफ्तार से भारतीय रेल बदल रही है, उसने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। रविवार को रेल मंत्रालय की तरफ से जो आंकड़े सामने आए हैं, वे न सिर्फ हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा कर देने वाले हैं, बल्कि यह बताते हैं कि ‘न्यू इंडिया’ अब रुकने वाला नहीं है।
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रेलवे ने अपनी महत्वाकांक्षी विद्युतीकरण (Electrification) योजना में एक बड़ा माइलस्टोन हासिल कर लिया है। ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के ब्रॉड-गेज नेटवर्क का 99 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा अब पूरी तरह इलेक्ट्रिक हो चुका है। यानी, डीजल इंजनों पर निर्भरता लगभग खत्म होने की कगार पर है।
6 साल का चमत्कार: जर्मनी जितना बड़ा नेटवर्क खड़ा कर दिया!
यह आंकड़ा सिर्फ एक नंबर नहीं है, बल्कि एक क्रांति है। रेल मंत्रालय ने बताया कि 2019 से लेकर 2025 के बीच भारतीय रेलवे ने जो काम किया है, उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है।
इन 6 सालों में रेलवे ने 33,000 किलोमीटर से ज्यादा रेल मार्गों का विद्युतीकरण किया है। अगर हम इसे रोजाना के हिसाब से देखें, तो भारतीय रेलवे ने हर दिन औसतन 15 किलोमीटर से ज्यादा की पटरी पर बिजली के तार दौड़ाए हैं।
हैरान कर देने वाला तथ्य: इन चंद सालों में भारत ने जितनी दूरी को इलेक्ट्रिफाई किया है, वह जर्मनी (Germany) के पूरे रेलवे नेटवर्क के बराबर है! जहां विकसित देश अपने पुराने सिस्टम से जूझ रहे हैं, भारत ने इतनी तेजी से बदलाव करके दुनिया के बड़े-बड़े और व्यस्त रेल नेटवर्क वाले देशों को पीछे छोड़ दिया है।
अब बदल जाएगी आपकी यात्रा: क्या होगा इसका असर?
यह बदलाव सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं है, इसका सीधा असर आपकी और हमारी यात्रा पर पड़ेगा:
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प्रदूषण से आजादी: डीजल इंजनों के हटते ही कार्बन उत्सर्जन (Carbon Emission) में भारी कमी आई है।
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रफ़्तार में इज़ाफ़ा: इलेक्ट्रिक इंजन डीजल के मुकाबले ज्यादा पावरफुल होते हैं, जिससे ट्रेनों की एवरेज स्पीड बढ़ी है और लेट-लतीफी कम हुई है।
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खर्च में कमी: रेलवे का डीजल का भारी-भरकम बिल बच रहा है, जिससे भविष्य में किराए स्थिर रखने में मदद मिल सकती है।
अब ‘धूप और हवा’ से दौड़ेंगी भारत की ट्रेनें
कहानी सिर्फ बिजली के खंभे गाड़ने पर खत्म नहीं होती। संसद में रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने जो रोडमैप रखा, वह भविष्य की एक सुनहरी तस्वीर है। उन्होंने साफ कर दिया है कि बिजली से ट्रेनें तो चलेंगी, लेकिन वह बिजली भी कोयले से नहीं, बल्कि सौर (Solar) और पवन (Wind) ऊर्जा से बनेगी।
नवंबर 2025 तक के आंकड़े बताते हैं कि रेलवे ने इस दिशा में भी बाजी मार ली है:
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812 मेगावाट (MW) क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जा चुके हैं।
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93 मेगावाट (MW) पवन ऊर्जा संयंत्र काम कर रहे हैं।
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आने वाले समय के लिए 1,500 मेगावाट की ‘ग्रीन एनर्जी’ का इंतजाम अभी से कर लिया गया है।
रेलवे का लक्ष्य पूरी तरह से ‘Net Zero Carbon Emitter’ बनना है, यानी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना देश को गति देना।
जादूई तकनीक: ब्रेक लगाने पर बिजली खर्च नहीं, बल्कि पैदा होगी!
एक और जानकारी जो आपको चौंका देगी, वह है रेलवे की नई टेक्नोलॉजी। भारतीय रेलवे अब थ्री-फेज आईजीबीटी (IGBT Technology) आधारित ऐसे स्मार्ट इंजन (Locomotives) बना रहा है, जो ‘रि-जेनरेटिव ब्रेकिंग’ (Regenerative Braking) से लैस हैं। इसका मतलब है, जब ड्राइवर ट्रेन में ब्रेक लगाएगा, तो ऊर्जा बर्बाद नहीं होगी, बल्कि उस घर्षण से बिजली पैदा होगी और वापस ग्रिड में चली जाएगी। यह तकनीक भारत को तकनीकी रूप से दुनिया के सबसे उन्नत देशों की कतार में खड़ा करती है।
जिस देश में कभी डीजल के धुएं से स्टेशन काले हो जाते थे, वहां आज 99% इलेक्ट्रिफिकेशन और ग्रीन एनर्जी की बात हो रही है। भारतीय रेलवे की यह उपलब्धि हम सभी के लिए गर्व की बात है।










