Join WhatsApp
Join NowBihar Panchayat Election: बिहार के गांवों की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। चौक-चौराहों पर अभी से कयास लगने शुरू हो गए हैं कि अगला ‘मुखिया’ कौन होगा? लेकिन इसी चुनावी शोर के बीच सोशल मीडिया पर पंचायत चुनाव 2026 (Bihar Panchayat Chunav 2026) को लेकर कई तरह की भ्रामक खबरें फैलाई जा रही थीं। इन अटकलों पर विराम लगाते हुए राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission, Bihar) ने बुधवार (17 दिसंबर) को एक महत्वपूर्ण प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पूरी तस्वीर साफ़ कर दी है।
अगर आप भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं या एक जागरूक मतदाता हैं, तो आयोग द्वारा दी गई एक-एक जानकारी आपके लिए बेहद अहम है।
अफवाहों पर प्रहार: कब होंगे असली चुनाव?
आयोग ने देखा कि इंटरनेट और सोशल मीडिया पर 2026 के आम निर्वाचन की तारीखों और आरक्षण रोस्टर को लेकर झूठ फैलाया जा रहा है। इसे गंभीरता से लेते हुए आयोग ने “दूध का दूध और पानी का पानी” कर दिया है।
-
चुनाव का समय: आयोग ने स्पष्ट किया है कि वर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल दिसंबर 2026 में खत्म हो रहा है।
-
प्लान: नियम के मुताबिक, कार्यकाल ख़त्म होने से पहले चुनाव करा लिए जाएंगे। आपको याद दिला दें कि पिछला चुनाव अगस्त से दिसंबर 2021 के बीच हुआ था और शपथ ग्रहण जनवरी 2022 तक चला था। इसलिए, 2026 के अंत तक नई पंचायत सरकार का गठन हर हाल में कर लिया जाएगा।
-
अपील: आयोग ने बिहार की जनता से अपील की है कि व्हाट्सएप या फेसबुक पर वायरल हो रहे फर्जी रोस्टर और तारीखों पर भरोसा न करें।
आरक्षण पर बड़ा धमाका: 10 साल बाद बदलेगा समीकरण
सबसे बड़ी खबर उन लोगों के लिए है जो आरक्षण (Reservation Roster) के भरोसे बैठे हैं। निर्वाचन आयोग ने एक बड़ा संकेत दिया है जो कई पुराने चेहरों को मायूस कर सकता है और नए चेहरों को मौका दे सकता है।
-
नियम क्या कहता है? बिहार पंचायत राज अधिनियम के अनुसार, “लगातार दो क्रमिक चुनावों” (Two Consecutive Terms) के बाद आरक्षण की स्थिति बदली जाती है।
-
इतिहास: पिछला आरक्षण रोस्टर 2016 में तय किया गया था। उसी आधार पर 2016 और 2021 के चुनाव हुए।
-
बदलाव तय है: अब 2026 के चुनाव में पुराना आरक्षण लागू नहीं होगा। 2011 की जनगणना के आधार पर नया आरक्षण रोस्टर तैयार किया जाएगा। इसका सीधा मतलब है कि जो सीट पिछले 10 साल से ‘आरक्षित’ थी, वह ‘अनारक्षित’ हो सकती है और सामान्य सीट आरक्षित हो सकती है।
जनगणना का पेच: 2011 या 2021?
बहुत से लोग कंफ्यूज हैं कि परिसीमन (Delimitation) किस आधार पर होगा। आयोग ने साफ़ कर दिया है कि 2021 की जनगणना अभी पूरी नहीं हुई है और आंकड़े प्रकाशित नहीं हैं। इसलिए, 2011 की जनगणना को ही आधार मानकर सीटों और पदों की संख्या तय की जाएगी। फ़िलहाल पंचायत के नक्शे या परिसीमन में किसी बड़े बदलाव का प्रस्ताव नहीं है।
हाम-टेक चुनाव: धांधली करने वालों की खैर नहीं
बिहार में पंचायत चुनावों में अक्सर गड़बड़ी की शिकायतें आती हैं, लेकिन 2026 में तकनीक (Technology) का पहरा सख्त होगा।
-
मल्टी पोस्ट EVM: ग्राम पंचायत सदस्य, मुखिया, समिति सदस्य, ज़िला परिषद, पंच और सरपंच—सभी 6 पदों के लिए वोटिंग EVM के जरिए ही होगी। राज्य सरकार ने इस पर मुहर लगा दी है।
-
वेबकास्टिंग (Live Monitoring): इस बार बूथ लुटेरों की खैर नहीं। आयोग ने फैसला किया है कि मतदान केंद्रों और मतगणना हॉल में 100% वेबकास्टिंग होगी। यानी हर हरकत कैमरे में कैद होकर सीधे आयोग के कंट्रोल रूम में दिखेगी।
-
OCR तकनीक: वोटों की गिनती में गड़बड़ी रोकने के लिए काउंटिंग के समय EVM में दिखने वाले आंकड़ों को OCR (Optical Character Recognition) तकनीक से सीधे कंप्यूटर में दर्ज किया जाएगा, ताकि मानवीय भूल या छेड़छाड़ की गुंजाइश न रहे।
बिहार पंचायत चुनाव 2026 सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि राज्य के ग्रामीण लोकतंत्र का एक महापर्व होगा। आरक्षण में बदलाव से नए नेतृत्व के उभरने की पूरी संभावना है। इसलिए अफवाहों पर ध्यान देने के बजाय, आधिकारिक घोषणाओं पर नजर बनाए रखें।










