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Join NowUP News: उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले से एक मार्मिक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। बस्ती जिले के कलवारी थाना क्षेत्र के बैडारी मुस्तहकम गांव की रहने वाली मीरा देवी, पत्नी स्वर्गीय ध्रुवचन्द्र, अपने तीन बेटियों और 12 वर्षीय बेटे के साथ न्याय की गुहार लगाने डीएम कार्यालय पहुंचीं।
उनकी व्यथा इतनी दर्दनाक है कि सुनने वाले हर किसी का दिल पसीज जाए। पति की चिता की आग ठंडी भी नहीं हुई थी कि मीरा देवी अपने बेटे विपिन (जिसके हाथ में पिता की चिता देने के बाद अभी भी कुल्हाड़ी थी) को साथ लेकर डीएम और एसपी से न्याय मांगने पहुंचीं।
मीरा देवी का आरोप: शराब पिलाकर लिखवाई जमीन
मीरा देवी ने अपने शिकायत पत्र में गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि ग्राम प्रधान अभिषेक कुमार ने उनके पति को नशे में धुत करके उनकी जमीन और दुकान हड़पने की साजिश रची।
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20 अगस्त को, ग्राम प्रधान ने ध्रुवचन्द्र को इतनी अधिक शराब पिलाई कि वह मरणासन्न हो गए।
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उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
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मीरा देवी का आरोप है कि प्रधान ने पहले उनके पति से “नुमाइसी वैनामा” लिखवा लिया था, जिसका कोई कानूनी महत्व नहीं है।
विधवा की व्यथा: “जीविका का सहारा भी छीनना चाहते हैं”
मीरा देवी ने कहा कि उनकी एक छोटी सी दुकान है, जिससे परिवार का गुजर-बसर चलता है। लेकिन ग्राम प्रधान उस दुकान पर जबरन कब्जा करना चाहते हैं।
उन्होंने बताया कि दस्तावेज़ में दिखाया गया पैसा प्रधान पहले ही वापस ले चुके हैं। अब वह उनकी संपत्ति पर भी कब्जा करना चाहते हैं।
ग्राम प्रधान का पक्ष: आरोप निराधार
इस मामले में जब ग्राम प्रधान अभिषेक कुमार से बात की गई, तो उन्होंने सभी आरोपों को खारिज कर दिया।
उनका कहना है:
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“मीरा द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह निराधार हैं। चुनाव नजदीक है, इसलिए यह मेरे खिलाफ एक राजनीतिक साजिश है।”
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“मैंने ध्रुवचन्द्र को 8 लाख रुपये दिए थे, जिसमें कुछ नकद और बाकी बैंक खाते के जरिए दिया गया था।”
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“जांच होगी तो सब सच सामने आ जाएगा।”
डीएम ने दिए जांच के आदेश
जैसे ही मीरा देवी ने डीएम रवीश कुमार गुप्ता को प्रार्थना पत्र सौंपा, उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित अधिकारियों को जांच के आदेश दे दिए।
बस्ती जिले में जमीन विवाद और राजनीति
बस्ती जिले में यह कोई पहला मामला नहीं है। ग्रामीण इलाकों में जमीन विवाद अक्सर सामने आते रहते हैं। कई बार इसमें ग्राम प्रधान, स्थानीय दबंग और राजनीति से जुड़े लोग शामिल पाए जाते हैं।
यह मामला खास इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें आरोप एक निर्वाचित ग्राम प्रधान पर लगे हैं।
समाज पर असर: न्याय की आस में विधवा
मीरा देवी और उनके बच्चे आज न्याय की आस लगाए बैठे हैं। उनकी स्थिति बताती है कि कैसे ग्रामीण स्तर पर सत्ता और राजनीति मिलकर गरीब और कमजोर लोगों का शोषण कर सकते हैं।
कानूनी नजरिया: क्या वैनामा मान्य है?
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि वैनामा दबाव, धोखाधड़ी या नशे की हालत में लिखा गया है, तो उसका कोई कानूनी महत्व नहीं होता।
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ऐसे मामले में अदालत में चुनौती दी जा सकती है।
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यदि जांच में यह साबित हो जाता है कि जमीन हड़पने की नीयत से शराब पिलाई गई थी, तो यह गंभीर आपराधिक मामला बन सकता है।
चुनावी राजनीति और साजिश का सवाल
ग्राम प्रधान ने खुद माना कि आरोप उनके खिलाफ चुनावी साजिश है। यह सवाल उठाता है कि क्या वाकई यह एक राजनीतिक चाल है या फिर गरीब विधवा की सच्ची पुकार?
ग्रामीणों की राय
गांव के कुछ ग्रामीणों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ध्रुवचन्द्र शराब पीने के आदी थे। वहीं कुछ का कहना है कि प्रधान और ध्रुवचन्द्र के बीच पैसों का लेन-देन हुआ था। सच क्या है, यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा।
बस्ती में ऐसे मामलों की बढ़ती घटनाएँ
उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों की तरह बस्ती में भी जमीन विवाद और दबंगई की खबरें अक्सर सामने आती हैं। प्रशासन इन मामलों में कार्रवाई करता है, लेकिन कई बार राजनीतिक दबाव के कारण पीड़ितों को न्याय मिलने में देर होती है।
मीरा देवी का मामला सिर्फ एक महिला की व्यथा नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण राजनीति और सत्ता के दुरुपयोग का आईना भी दिखाता है। सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष जांच करके विधवा को न्याय दिला पाएगा या फिर यह मामला भी चुनावी साजिश और आरोप-प्रत्यारोप की भेंट चढ़ जाएगा?