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Join NowWorld Sexual Health Day : 4 सितंबर—यह सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि एक मौका है उस चुप्पी को तोड़ने का जो हर साल लाखों ज़िंदगियों को ख़ामोशी से ख़त्म कर देती है। हम बात कर रहे हैं विश्व यौन स्वास्थ्य दिवस (World Sexual Health Day) की। यह एक ऐसा विषय है जिसका नाम सुनते ही आज भी हमारे समाज में लोग असहज हो जाते हैं, नज़रें चुराने लगते हैं और बातचीत का मुद्दा बदल देते हैं।
विडंबना देखिए, जिस यौन स्वास्थ्य (Sexual Health) पर हमारा वर्तमान और भविष्य टिका है, उसी पर बात करने में हमारे होंठ कांपते हैं। दिल की बीमारी, डायबिटीज़ या डिप्रेशन की तरह ही यौन संबंधी समस्याएं भी सामान्य शारीरिक परेशानियां हैं। लेकिन सामाजिक कलंक और ‘लोग क्या कहेंगे’ के डर से एक बहुत बड़ा वर्ग इन समस्याओं को अंदर ही अंदर झेलता रहता है। नतीजा? एक छोटी सी लापरवाही, जो सही समय पर डॉक्टर की सलाह से ठीक हो सकती थी, वो एक जानलेवा बीमारी का रूप ले लेती है।
चलिए, आज इस लेख में जानते हैं कि इस महत्वपूर्ण दिन की शुरुआत कैसे हुई, इस साल 2025 की थीम क्या है और क्यों इस विषय पर खुलकर बात करना आपकी और आपके अपनों की जान बचा सकता है।
विश्व यौन स्वास्थ्य दिवस 2025 की थीम: न्याय की मांग
हर साल यह दिन एक ख़ास थीम के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष, 2025 में, विश्व यौन स्वास्थ्य दिवस की थीम है: ‘यौन न्याय: हम क्या कर सकते हैं’ (‘Sexual Justice: What Can We Do’)।
इस थीम का मतलब बहुत गहरा है। यह कहती है कि हर एक व्यक्ति को, बिना किसी भेदभाव, डर या शर्मिंदगी के, अपने यौन अधिकारों और सुख को पाने का पूरा हक़ है। यौन न्याय का अर्थ है कि आपका लिंग, आपकी जाति, आपकी उम्र या आपकी यौन पसंद कुछ भी हो, आपको यौन स्वास्थ्य से जुड़ी सही जानकारी, सुरक्षा और सम्मान पाने का अधिकार है। यह थीम हमें यह सवाल करने पर मजबूर करती है कि एक समाज के रूप में हम यौन समानता और न्याय के लिए क्या कदम उठा सकते हैं।
कैसे हुई इस ‘क्रांतिकारी’ दिन की शुरुआत?
यह सवाल भी बहुत महत्वपूर्ण है कि आखिर इस दिन को मनाने की ज़रूरत क्यों पड़ी? इस दिन की शुरुआत साल 2010 में हुई थी। इसका श्रेय ऑस्ट्रेलिया की रोजमेरी कोट्स (Rosemary Coates) को जाता है, जिन्होंने अपने वर्ल्ड एसोसिएशन फॉर सेक्शुअल हेल्थ (World Association for Sexual Health) के अध्यक्षीय कार्यकाल में इसकी पहल की।
उनका उद्देश्य बिल्कुल साफ़ था—दुनिया को यह समझाना कि आपका यौन स्वास्थ्य भी उतना ही ज़रूरी है, जितना आपका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य है। जिस तरह हम सिरदर्द या पेट दर्द के लिए तुरंत डॉक्टर के पास जाते हैं, उसी तरह यौन संबंधी किसी भी समस्या के लिए बिना झिझक पेशेवर मदद लेना हमारा अधिकार है और हमारी ज़िम्मेदारी भी।
एक दशक का सफ़र: कैसे बदली बातचीत की दिशा
इस दिन की यात्रा को इसकी थीम के ज़रिए बेहतर समझा जा सकता है:
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2010 की थीम: जब इसकी शुरुआत हुई, तो पहली और सबसे बड़ी चुनौती थी—चुप्पी को तोड़ना। इसलिए, 2010 में थीम रखी गई थी “‘आओ, इसके बारे में बात करें’ (Let’s Talk About It)”। इसका एकमात्र लक्ष्य लोगों को इस ‘वर्जित’ विषय पर बातचीत शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करना था।
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2024 की थीम: पिछले साल यानी 2024 में इस दिन की थीम थी “‘सकारात्मक रिश्ते और रिलेशनशिप’ (Positive Relationships)”। यह थीम इस बात पर ज़ोर देती थी कि स्वस्थ यौन जीवन के लिए रिश्तों में आपसी सम्मान, सहमति और सकारात्मकता कितनी ज़रूरी है।
यह सफ़र दिखाता है कि हम ‘बात करने’ की पहली सीढ़ी से आगे बढ़कर अब ‘यौन न्याय और अधिकारों’ जैसे गंभीर और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं, जो एक बहुत बड़ा सामाजिक बदलाव है।