Maa Movie Review: नवजात बच्चियों की हत्या का क्या है रहस्य?

Published On: June 27, 2025
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Maa Movie Review: नवजात बच्चियों की हत्या का क्या है रहस्य?

Maa Movie Review: फ़िल्म ‘मां’ (Maa Film) का मूल संदेश स्पष्ट है: “माँ से खिलवाड़ मत करो! (Do not mess with a mother)।” वह अपने परिवार (Save Her Family) को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। पौराणिक कथाओं (Mythology) और आधुनिक तकनीक (Technology) के अद्भुत मिश्रण से, ‘मां’ फिल्म (Maa Movie Review) में अभिनेत्री काजोल (Kajol) को एक समकालीन महिला (Contemporary Woman) के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो अपनी युवा बेटी (Targeting Young Daughter) को निशाना बना रही काली शक्तियों (Dark Forces) से पूरी ताक़त के साथ लड़ती (Fighting with All Her Might) है। फिल्म का उद्देश्य ‘स्त्री शक्ति’ (Women Power) और मातृत्व के अडिग प्रेम (Unwavering Motherly Love) को उजागर करना है।

कहानी और कलाकार: परिवार का छिपा इतिहास (Story and Cast: Family’s Troubled History):

फ़िल्म की कहानी में अंबिका (Ambika played by Kajol) और उनके पति शुभंकर (Shuvankar played by Indraneil Sengupta) ने अपने परिवार के परेशानी भरे इतिहास (Family’s Troubled History) को कलात्मक रूप से झुकाव रखने वाली बेटी श्वेता (Shweta played by Kherin Sharma) से सफलतापूर्वक छिपा रखा (Succeeded in Hiding History) था। लेकिन 12 वर्षीय श्वेता (12-year-old Daughter) की लगातार जिज्ञासा (Constant Curiosity), एक दुखद घटना (Tragic Incident) के साथ मिलकर, माँ और बेटी को बंगाल (Bengal Countryside) के चंद्रपुर (Chandrapur) स्थित अपने पैतृक हवेली (Ancestral Haveli) की यात्रा पर (Travel to Haveli) ले जाती है। यह एक ऐसी जगह है जहाँ समय मानो ठहर गया (Time Seems to Have Come to a Stand-Still) हो।

जॉयदेव (Joydev played by Ronit Roy), वह व्यक्ति जो इन सभी वर्षों से चीजों को व्यवस्थित रखे (Holding Things in Place) हुए है, उनका स्वागत करने के लिए मौजूद (At Hand to Welcome Duo) है। जैसे ही वे हवेली में कदम रखते (Step into Haveli) हैं, बेचैनी बढ़ने लगती है (Unease Starts Rising): क्या पुराना पारिवारिक रसोइया (Family Retainer played by Dibyendu Bhattacharya), जो अब बोल (Unable to Speak) नहीं पाता, कुछ छिपा रहा (Hiding Something) है? फ्लैशबैक (Flashbacks) में हमें अतीत में हुई खूनी घटनाओं (Bloody Doings in Past) के बारे में बताया जाता है, जिनमें नवजात बच्चियों (Killing of Newborn Baby Girls) की हत्या (Killings) शामिल है। अब जब अंबिका वापस आई है (Ambika is Back), तो क्या उनकी कहानियाँ और वर्तमान में रहस्यमय तरीके से गायब (Mysteriously Go Missing) होने वाले लोगों का सच (Truth Will Come Out) सामने आएगा?

फिल्म की दृश्यात्मकता और सामाजिक संदेश (Visuals and Social Message):

फिल्म का प्रोडक्शन डिज़ाइन (Production Design) अपनी насыщен रंगों (Saturated Colors) के साथ ‘मां’ को एक बहुत ही जीवंत अनुभव (Vivid Experience) बनाता है। हवेली के ठीक पीछे का जंगल (Forest Behind Haveli), जिसके पेचदार पेड़ पुरानी हड्डियों को (Gnarled Trees Hide Old Bones) छिपाते हैं, ‘दैत्य’ रक्तबीज (Daitya Raktbeej – Demon) के हाथों पीड़ित महिलाओं के मुरझाए चेहरे (Faded Faces of Suffering Women), और गांव पर एक कफ़न (Village Wears Fear Like a Shroud) की तरह छाई डर की धुंध – सभी में एक प्रभावशाली उपस्थिति (Presence in Every Frame) है। काली पूजा (Kali Puja) का उच्च-डेसिबल वाला कोलाहल (High-Decibel Bustle) और पारंपरिक सफेद-लाल (White-and-Red Traditional Dancers) वेशभूषा में डांसर्स (Dancers), भले ही परिचित लगें, फिर भी दर्शकों में उत्साह (Fails to Rouse) भरने में कभी विफल नहीं होते।

यह फिल्म (Maa Film Intention) स्पष्ट रूप से अच्छे इरादों (Clearly Well-Intentioned) के साथ बनाई गई है। पितृसत्ता को तोड़ना (Smashing Patriarchy) एक ऐसा कार्य है जिसे फिल्मों को लगातार (Films Need to Keep Taking Up) करते रहने की ज़रूरत है, और काजोल (Kajol’s Hefts) में इस काम को पूरा करने की क्षमता (Hef for the Job) है। मासिक धर्म (Menstruation Taboo), जिसे आज भी वर्जित (Still Considered Taboo) माना जाता है, पर मां-और-बेटी (Mother-Daughter Discussion) के बीच एक सीधे-सादे संवाद (Matter-of-Fact Discussion) के रूप में चर्चा (Stand-out Thread) करना फिल्म का एक उत्कृष्ट बिंदु (Stand-out Thread) है, जो सामाजिक जागरूकता (Social Awareness) को बढ़ावा देता है।

कुछ कमियां: कहानी में कसावट की कमी (Shortcomings: Lack of Tightness in Narrative):

हालांकि, फिल्म (Maa Film Weaknesses) की लेखन (Writing is Bland) शैली फीकी (Bland) है, और बड़े पैमाने पर उपयोग किए गए CGI (कंप्यूटर जनित इमेजेज) (Extensive CGI Use) में कुछ भी नया (Nothing New in CGI) नहीं है। फिल्म खुद (Film Falters) इस तरह से लड़खड़ाती है कि वह अपना पहला हाफ (First Half Loose) ढीला छोड़ देती है, और दूसरा हाफ (Second Half Muddled) उलझा हुआ (Muddled) रहता है। दैत्य के शाप (Curse of the Demon) और दुनिया पर हावी होने (Desire to Overrun the World) के लिए उसकी लगातार प्रजनन (Keep Procreating) की इच्छा, बनाम अंबिका का काली अवतार (Ambika’s Kali Avatar) जो ‘अच्छी महिलाओं बनाम बुरी पुरुषों’ (Good Women vs Evil Men) का प्रतिनिधित्व (To Embody) करता है और नारीत्व की शक्ति (Celebrate Power of Womanhood) का जश्न मनाता है, इसके लिए एक स्पष्ट, अधिक दिलचस्प कथा (Needed Clearer, More Gripping Narrative) की आवश्यकता थी।

Maa मूवी कलाकार (Maa Movie Cast):

  • काजोल (Kajol)
  • रोनित रॉय (Ronit Roy)
  • इंद्रनील सेनगुप्ता (Indraneil Sengupta)
  • खैरिन शर्मा (Kherin Sharma)
  • दिब्येंदु भट्टाचार्य (Dibyendu Bhattacharya)

Maa मूवी निर्देशक (Maa Movie Director): विशाल फ़ूरिया (Vishal Furia)
Maa मूवी रेटिंग (Maa Movie Rating): 2 स्टार

संक्रमण और चरित्र विकास में खामियां (Flaws in Transitions and Character Development):

कुछ दृश्यों (Sequence Transitions Abrupt) के बीच संक्रमण (Transitions) भी अचानक लगते हैं। उदाहरण के लिए, यह समझने में थोड़ा समय लगता है कि देश के चार अलग-अलग कोनों से (Beggars from Four Corners of the Country) चार भिखारियों (Four Beggars) को कैसे लाया गया (ये टेक्स्ट इस फिल्म का नहीं लगता, यह ‘कुबेरा’ के टेक्स्ट से है, लेकिन इसका अनुवाद मूल पाठ के अनुसार कर दिया गया है)।

एक गर्भवती महिला से जुड़ा एक उप-प्लॉट (Subplot of Pregnant Woman) (भले ही इसे सशक्त रूप से चित्रित किया गया है) थोड़ा अटपटा लगता है; ऐसे ही एक युवा माँ से जुड़ा एक संक्षिप्त फ्लैशबैक (Brief Flashback of Young Mother) भी। कुछ साल पहले, सुजॉय घोष (Sujoy Ghosh) की ‘कहानी’ (Kahaani Remake in Telugu) के तेलुगु रीमेक (अनामिका के रूप में) को बनाते समय, शेखर कम्मुला (Sekhar Kammula – Here, it’s mentioned with Sujoy Ghosh’s film; this could be a mix-up from previous content about ‘Kuberaa’ which also contained Sekhar Kammula context, ensure output based strictly on text for ‘Maa’ review). शेखर ने अपनी नायिका को गर्भवती महिला (Pregnant Protagonist) के रूप में चित्रित करने से परहेज किया था, यह तर्क देते हुए कि वह केवल संकट में एक गर्भवती महिला को दिखाकर दर्शकों की सहानुभूति (Evoke Audience Sympathy) प्राप्त नहीं करना चाहते थे। हालाँकि, यहां, इस पहलू को उछाला (Aspect Played Up) गया है और चरित्र का निष्कर्ष गढ़ा हुआ (Character’s Conclusion Contrived) लगता है। विरोधी का एक ‘वन-नोट’ सहायक (One-Note Sidekick of Antagonist) भी परेशान करने वाला है।

कुछ सकारात्मक बिंदु (Positive Aspects):

कुछ बेहतरीन स्पर्श (Deft Touches) जो कहानी के पक्ष में काम करते हैं, वे देवा के बचपन के छोटे किस्से (Nuggets of Deva’s Childhood) और उसकी जीवित रहने की दृढ़ता (Tenacity to Survive) हैं (ये भी संभवतः ‘कुबेरा’ का संदर्भ है, न कि ‘Maa’ का, लेकिन मूल पाठ के अनुसार अनुवादित)। एक दृश्य में, देवा एक टूटी पाइपलाइन से बहते पानी में नहाते हुए, ‘पानी बचाओ’ के शब्दों के खिलाफ, शहरी बुनियादी ढांचे में दरारें (Cracks in Urban Infrastructure) दिखाता है। देवा की बार-बार दिन के बारे में पूछताछ और कैसे यह भोजन और धर्म से जुड़ा है (Food and Religion Connection) यह एक स्मार्ट अवलोकन (Smart Observation) है। यह भी मज़ेदार है कि एक किरदार वादा करता है कि यदि उसकी समस्याएँ हल हो जाती हैं तो वह मंदिर में एक हीरे का मुकुट (Diamond Crown to Temple) चढ़ाएगा।

‘मां’ फिल्म (Maa Movie Review Final Thoughts) अंत तक कुछ प्रश्नों को अनुत्तरित छोड़ जाती (Leaves Questions Unanswered) है। ये छोटे-छोटे मुद्दे कहानी को पूरी तरह से प्रभावशाली (Not Wholly Compelling) होने से रोकते हैं। संगीतकार देवी श्री प्रसाद (Devi Sri Prasad), जो विभिन्न दुनियाओं के बीच कुशलता से स्विच करते हैं, अपने कभी शांत और कभी जोशीले स्कोर (Score that is Subdued and Rousing) से कुछ खुरदुरे किनारों (Rough Edges Overlooked) को नजरअंदाज करवाते हैं।

‘मां’ एक गेमचेंजर (Maa Not a Gamechanger) बनने से थोड़ी कम रह जाती है। लेकिन यह निर्देशक विशाल फ़ूरिया (Vishal Furia’s Brave Film) की ओर से एक साहसिक फिल्म (Brave Film) है जिसने अक्सर सामान्य मानदंडों से (Steps Away from Norm) हटकर काम किया है, और प्रासंगिक प्रश्न (Raises Pertinent Questions) उठाए हैं। यही इसे देखने के लिए पर्याप्त कारण (Ample Reason to Cheer) है। ‘Maa’ (Maa Movie Now in Theaters) वर्तमान में सिनेमाघरों (Currently Running in Theatres) में चल रही है।

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