Who is Anuparna Roy: कौन हैं अनुपर्णा रॉय? IT की नौकरी छोड़ बंगाल के गांव से निकलीं और वेनिस में रच दिया इतिहास

Published On: September 9, 2025
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Who is Anuparna Roy: कौन हैं अनुपर्णा रॉय? IT की नौकरी छोड़ बंगाल के गांव से निकलीं और वेनिस में रच दिया इतिहास

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Who is Anuparna Roy: सिनेमा की दुनिया में इस वक्त एक नाम की गूंज हर तरफ सुनाई दे रही है – अनुपर्णा रॉय। भारत की इस होनहार फिल्ममेकर ने वो कर दिखाया है, जो किसी सपने के सच होने जैसा है। उन्होंने प्रतिष्ठित वेनिस फिल्म फेस्टिवल (Venice Film Festival) में इतिहास रचते हुए अपनी पहली ही फीचर फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक (Best Director) का प्रतिष्ठित पुरस्कार अपने नाम कर लिया है। यह न केवल अनुपर्णा के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए immense pride (अत्यंत गर्व) का क्षण है।

कौन हैं अनुपर्णा रॉय? कॉर्पोरेट जॉब से सिनेमा तक का सफर

अनुपर्णा रॉय की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है। वह पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के एक छोटे से गांव नारायणपुर से आती हैं। उन्होंने बर्दवान विश्वविद्यालय से ब्रिटिश अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की डिग्री हासिल की और बाद में जनसंचार (Mass Communication) की पढ़ाई की।

लेकिन सिनेमा के लिए उनका जुनून उन्हें कॉर्पोरेट दुनिया में बांधकर नहीं रख सका। दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में आईटी सेल्स एग्जीक्यूटिव जैसी अच्छी कॉर्पोरेट नौकरियों में काम करने के बावजूद, उनका दिल हमेशा फिल्मों के लिए धड़कता था। इसी जुनून ने उन्हें अभिनय की दुनिया में खींच लिया, जहां उन्होंने मुंबई में अनुपम खेर के प्रतिष्ठित एक्टिंग स्कूल ‘एक्टर प्रिपेयर्स’ (Anupam Kher’s Actor Prepares Institute) से एक्टिंग में डिप्लोमा किया और अभिनय की बारीकियों को समझने के लिए कई एक्टिंग वर्कशॉप में भी हिस्सा लिया।

वेनिस में ‘सॉन्ग्स ऑफ फॉरगॉटन ट्रीज’ की ऐतिहासिक जीत

रॉय की पहली फीचर फिल्म, “सॉन्ग्स ऑफ फॉरगॉटन ट्रीज” (Songs of Forgotten Trees), का प्रीमियर जब वेनिस फिल्म फेस्टिवल में हुआ, तो इसने आलोचकों और दर्शकों के बीच तत्काल एक सनसनी पैदा कर दी। ग्रामीण भारत की पृष्ठभूमि पर बनी यह एक मनोरंजक साइकोलॉजिकल ड्रामा (psychological drama) फिल्म है, जो याददाश्त (memory), मानसिक आघात (trauma), और जुझारूपन (resilience) जैसे गहरे और संवेदनशील विषयों की पड़ताल करती है।

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फिल्म में उनके शानदार निर्देशन की जमकर तारीफ हुई, जिसमें उन्होंने आश्चर्यजनक सिनेमैटोग्राफी (stunning cinematography) और कलाकारों के सूक्ष्म अभिनय का एक अनूठा मिश्रण पेश किया। उनकी कहानी कहने की कला ने दुनिया भर के सिनेमा प्रेमियों का दिल जीत लिया और अंततः उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का विश्व-प्रसिद्ध सम्मान दिलाया।

भारतीय सिनेमा के लिए इस जीत के क्या मायने हैं?

अनुपर्णा की यह जीत सिर्फ उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है; यह भारतीय सिनेमा (Indian Cinema) के लिए एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण क्षण है। यह जीत उन भारतीय फिल्मकारों की नई लहर (new wave of Indian filmmakers) पर रोशनी डालती है जो साहसिक, अपारंपरिक और लीक से हटकर कहानी कहने के नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। यह सफलता साबित करती है कि भारतीय कहानियों में वैश्विक दर्शकों को आकर्षित करने की ताकत है और यह दुनिया भर में भारतीय प्रतिभा के लिए नए दरवाजे खोलेगी।

अनुपर्णा रॉय आज उन लाखों युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन गई हैं, जो छोटे शहरों और गांवों में रहकर बड़े सपने देखते हैं। उनकी जीत यह संदेश देती है कि अगर जुनून और प्रतिभा हो, तो कोई भी बाधा आपको दुनिया के मंच पर चमकने से नहीं रोक सकती।

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