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Join NowMen get romantic at night: दिनभर की भागदौड़, काम का तनाव और दुनिया की जिम्मेदारियों से थक-हारकर जब एक इंसान रात के सन्नाटे में अपने पार्टनर के पास लौटता है, तो प्यार भरी दो-चार बातें करना एक बेहद स्वाभाविक और खूबसूरत प्रक्रिया है। यही वो अनमोल पल होते हैं, जिन्हें इंसान ताउम्र अपनी यादों की तिजोरी में सहेजकर रखता है, वरना खाने-पीने और काम करने की इस दौड़ में आजकल पूरी जिंदगी कब निकल जाती है, पता ही नहीं चलता।
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लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि दिनभर के शोरगुल के बाद, खासकर रात 12 बजे के बाद, माहौल के शांत होते ही पुरुषों का मूड अचानक बदल जाता है? वे अक्सर ज़्यादा रोमांटिक, भावुक और बात करने के मूड में आ जाते हैं। यह सिर्फ एक आदत या संयोग नहीं है, बल्कि इसके पीछे शरीर में चल रही हार्मोन्स की अनोखी केमिस्ट्री और मनोविज्ञान का एक गहरा विज्ञान छिपा है। चलिए, इस रहस्य से पर्दा उठाते हैं और जानते हैं कि आखिर वो कौन से कारण हैं, जिनकी वजह से आधी रात के बाद पुरुषों का मूड इतना बदल जाता है।
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1. हार्मोन्स का अनोखा खेल: शरीर की अंदरूनी घड़ी का सच
हमारे शरीर के अंदर एक बायोलॉजिकल घड़ी (Biological Clock) काम करती है, जिसे सर्कैडियन रिदम (Circadian Rhythm) कहते हैं। यह घड़ी तय करती है कि दिन और रात के अलग-अलग समय पर हमारे हार्मोन्स का स्तर कैसा रहेगा।
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सुबह का हीरो – टेस्टोस्टेरोन: एंडोक्राइनोलॉजी सोसाइटी के अनुसार, पुरुषों का प्रमुख सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) सुबह के समय अपने चरम पर होता है। यही कारण है कि सुबह का वक्त ऊर्जा, सक्रियता और आत्मविश्वास से भरपूर माना जाता है।
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रात का बदलाव: दिनभर की थकान और व्यस्तता के बाद, जैसे-जैसे रात गहराती है और शरीर आराम की मुद्रा में आता है, हार्मोन्स का समीकरण बदलने लगता है। ‘जर्नल ऑफ न्यूरोसाइकोफार्माकोलॉजी’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट बताती है कि देर रात नींद आने से ठीक पहले, शरीर में गोनैडोट्रॉफिन हार्मोन्स (LH, FSH) में उतार-चढ़ाव होता है, जो सीधे तौर पर हमारे मूड, भावनाओं और लगाव को प्रभावित कर सकते हैं।
2. रात का जादू: टेस्टोस्टेरोन, मेलाटोनिन और ‘लव हार्मोन’ का कनेक्शन
हालांकि टेस्टोस्टेरोन का स्तर सुबह सबसे ज़्यादा होता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि रात में यह खत्म हो जाता है।
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नींद और रोमांस का साथी – मेलाटोनिन: साइंस डायरेक्ट में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, जब रात बढ़ती है, तो हमारे शरीर में नींद लाने वाला हार्मोन मेलाटोनिन (Melatonin) सक्रिय हो जाता है। मेलाटोनिन न सिर्फ हमें नींद के लिए तैयार करता है, बल्कि यह शरीर को गहरा आराम देता है, तनाव हार्मोन (कोर्टिसोल) को कम करता है और थकान मिटाता है। इस तनाव-मुक्त और relajado अवस्था में पुरुष ज़्यादा सहज महसूस करते हैं, और यही सहजता उन्हें रोमांटिक बातचीत और पार्टनर के साथ नज़दीकियों की ओर ले जाती है।
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प्यार का रसायन – ऑक्सीटोसिन: WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार, जब तनाव कम होता है, तो शरीर में ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) यानी ‘लव हार्मोन’ या ‘कडल हार्मोन’ का स्तर प्राकृतिक रूप से बढ़ता है। यह हार्मोन आपसी जुड़ाव, विश्वास और प्यार की भावनाओं को मजबूत करता है। रात के शांत पलों में जब पुरुष अपने पार्टनर के साथ होते हैं, तो ऑक्सीटोसिन का बढ़ा हुआ स्तर उन्हें ज़्यादा स्नेही और इमोशनल बना सकता है।
3. मनोवैज्ञानिक कारण: जब दिनभर का ‘कवच’ उतर जाता है
यह सिर्फ हार्मोन्स का खेल नहीं है, बल्कि पुरुषों की मानसिक स्थिति भी इसमें एक अहम भूमिका निभाती है।
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भावनाओं का खुला आसमान: दिन के उजाले में पुरुष अक्सर समाज और काम की उम्मीदों के कारण एक ‘भावनात्मक कवच’ (Emotional Armor) पहने रहते हैं। वे अपनी कमजोरियों और भावनाओं को खुलकर व्यक्त करने से हिचकिचाते हैं। रात का एकांत और अपने पार्टनर का साथ उन्हें एक सुरक्षित माहौल देता है, जहाँ वे इस कवच को उतारकर अपनी भावनाओं, डर और प्यार को बिना किसी झिझक के व्यक्त कर पाते हैं।
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शांत माहौल का असर: रात के 12 बजे के बाद का समय अक्सर शांति और सुकून भरा होता है। फोन की घंटियाँ बंद हो जाती हैं, काम की चिंता नहीं रहती, और पूरा ध्यान सिर्फ आपके पार्टनर पर होता है। यह डिस्ट्रेक्शन-फ्री माहौल गहरे और सार्थक भावनात्मक कनेक्शन (Emotional Connection) के लिए सबसे अनुकूल होता है। नेशनल स्लीप फाउंडेशन की रिपोर्ट भी यही कहती है कि नींद से ठीक पहले का वक्त कई लोगों के लिए दिन का सबसे ज़्यादा इमोशनल समय होता है। यही वजह है कि कई कपल्स देर रात को अपनी दिनभर की बातें साझा करने, लंबी बातचीत करने या रोमांटिक पलों का आनंद लेने के लिए सबसे अच्छा समय मानते हैं।










