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चुनाव के बीच क्यों छिड़ी हिंदू मुस्लिम जनसंख्या की बहस 

 

डेस्क। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्ययन के मुताबिक 1950 में भारत की जनसंख्या में हिंदुओं की हिस्सेदारी 84 फीसदी की थी, जो 2015 में घटकर 78 फीसदी हो गई और इस दौरान मुसलमानों की हिस्सेदारी 9.84 फीसदी से बढ़कर 14.09 फीसदी की हो गई है।

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट ये बताती है कि 65 साल में हिंदुओं की आबादी में काफी गिरावट आई है। जबकि मुसलमानों की आबादी में बढ़ोतरी हुई है।

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आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट के बाद देश में सियासत गर्म होने लग गई है। सियासी गलियारों से लेकर हिंदुओं की पैरोकारी करने वालों के गलियारों में बोला यह जाने लगा है कि अगर हिंदुओं की आबादी कम हो रही है, तो जनसंख्या नियंत्रण कानून भी बनाए जाने की तैयारी करी जानी चाहिए।

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक अब बचे हुए चुनावों में यह मुद्दा बड़े जोर-शोर से उठने वाला है। इसके सियासी नफा-नुकसान का आकलन राजनीतिक गलियारों में किया जाने लगा है। वहीं कुछ लोगों ने ऐसी रिपोर्ट पर सवालिया निशान लगाते हुए पूछा है कि जब अभी तक जनगणना नहीं हुई है, तो यह आंकड़े कितने आधिकारिक हैं और कितने ही मान्य हैं। इस पर सरकार को अपना रुख स्पष्ट भी करना चाहिए।

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प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्ययन के मुताबिक 1950 में भारत की जनसंख्या में हिंदुओं की हिस्सेदारी 84 फीसदी थी, जो 2015 में घटकर 78 फीसदी हो गई है। इस दौरान मुसलमानों की हिस्सेदारी 9.84 फीसदी से बढ़कर 14.09 फीसदी की हो गई। अखिल भारतीय संयुक्त हिंदू सनातन महासभा के सचिव आचार्य देवेंद्र शुक्ला ये कहते हैं कि जिस तरीके की रिपोर्ट्स मीडिया में लगातार चर्चा में हैं वह बहुत ही चिंता का विषय बन सकती है।

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