डेस्क। बोर्ड परीक्षा के लिए समय कम है, पढ़ाई बहुत लोग करते हैं, पर कुछ भी याद नहीं रहता। घबराहट रहती है कि पेपर कैसा होगा, परिवार भी परीक्षा पर फोकस करने को बोलता है, पर असली समस्या अभिभावक समझ नहीं रहे हैं।
सेंट्रल बोर्ड आफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) की ओर से जारी टोल फ्री नंबर पर काउंसलर के पास इन दिनों अधिकांश इस तरह के मामले देश का भविष्य कहे जाने वाले विद्यार्थियों की तरफ से आते ही रहते हैं। ये विद्यार्थी बोर्ड की हेल्पलाइन पर तनाव कम करने के लिए सुझाव व मदद की मांग भी कर रहे हैं।
सीबीएसई की टेली काउंसलर व न्यूरोसाइक्लोजिस्ट डा. सोना कौशल गुप्ता के अनुसार हेल्पलाइन पर प्रतिदिन 10 से 12 फोन में अधिकांश मामले साइकोसिमेट्रिक प्राब्लम, एंजाइटी व फोबिया के कारण आ रहे हैं। शुरुआत में यह समस्या बच्चों का नाटक करने जैसा लगती है, पर अगर इन्हें गंभीरता से नहीं लिया गया तो दिक्कत काफी बढ़ सकती है। परीक्षा के बारे में सोचते ही अथवा प्रश्न पत्र सामने आते ही सब पढ़ा हुआ भूल कर अचानक ब्लैंक आउट हो जाना, हार्ट बीट का बढ़ना, सांस फूलने लगना जैसे लक्षण फोबियो के सूचक होते हैं।
सीबीएसई की हेल्पलाइन पर आए इतने केस
केस-1
राजपुर रोड निवासी एक छात्रा ने ये बताया कि मैं अपने हिसाब से टाइमटेबल बनाकर परीक्षा की तैयारी में लगी हुई हूं, साथ ही घरवाले अपने हिसाब से तैयारी करने को भी बोल रहे हैं। परीक्षा का तनाव व ऊपर से इस तरह के माहौल से बहुत परेशान भी हो चुकी हूं। समझ नहीं आ रहा बेहतर कैसे होगा।
केस-2
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प्रेमनगर निवासी एक अभिभावक ने यह बोला कि उनकी बेटी ने 10वीं की परीक्षा देनी है, लेकिन उसका मन पढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं लग रहा। कहती है उसे बिजनेस करना है, पढ़ाई कराकर समय खराब किया जा रहा है और घर के एक कोने में गुमसुम सी बैठी रहती है। जिससे उनका परिवार काफी परेशान है।
इन बातों पर करें ज्यादा फोकस
-परीक्षा के तनाव से जूझ रहे हैं तो अपने आप को समझाने की कोशिश करें कि यह जीवन की छोटी सी एक अवस्था है, जो हमेशा नहीं रहने वाली।
-समय के अनुसार पढ़ना शुरू करें और टाइम टेबल के अनुसार पढ़ें, हर एक-दो घंटे बाद 10 मिनट का ब्रेक भी लें।
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-पुरानी पढ़ी हुई चीजों पर ध्यान दें वहीं नई चीजों में चैप्टर्स में अपना समय न खराब करें।
-सबसे ज्यादा अहम है कि बच्चा तनाव ग्रस्त माहौल से दूर रहे, साथ ही अभिभावक घर के माहौल को खुशनुमा भी बनाएं।
-दूसरे छात्र अच्छे अंक पाकर आगे निकल गए, घरवाले क्या सोच रहे होंगे इन बातों को कभी भी ज्यादा न सोचें। आगे क्या करना है इसकी तैयारी पर केंद्रित हों।
-बच्चे के करियर को लेकर अभिभावक साथ दें वहीं दूसरे के बच्चों की तुलना कर अनावश्यक दवाब कभी न बनाएं।