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Join NowMP Land Pooling Scheme: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के हजारों किसानों के लिए आज का दिन किसी त्यौहार से कम नहीं है। अपनी पुश्तैनी जमीन को बचाने के लिए चल रहा उनका संघर्ष आखिरकार रंग लाया है। उज्जैन सिंहस्थ कुंभ 2028 (Simhastha Kumbh Mela 2028) की तैयारियों के नाम पर लाई गई विवादित ‘लैंड पूलिंग योजना’ (Land Pooling Scheme) को राज्य सरकार ने पूरी तरह से वापस ले लिया है।
किसानों के उग्र प्रदर्शन और भारतीय किसान संघ (BKS) की चेतावनी के बाद, सीएम डॉ. मोहन यादव (Dr. Mohan Yadav) के नेतृत्व वाली सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा। सरकार ने आधिकारिक आदेश जारी कर किसानों को बड़ी राहत दी है।
सरकार को पीछे क्यों हटना पड़ा? (Why MP Govt Scrapped the Scheme)
यह मामला सिर्फ जमीन का नहीं, बल्कि किसानों के अस्तित्व और आस्था का बन गया था। सरकार ने उज्जैन में 2028 में होने वाले महाकुंभ (Singhatha) के लिए बुनियादी ढांचे के विकास हेतु किसानों की जमीन अधिग्रहित करने के लिए यह योजना बनाई थी। लेकिन किसान इसके सख्त खिलाफ थे।
मामला तब गरमाया जब भारतीय किसान संघ (Bharatiya Kisan Sangh) ने ऐलान कर दिया कि अगर यह योजना पूरी तरह खत्म नहीं की गई, तो 26 दिसंबर 2025 से एक ऐतिहासिक आंदोलन शुरू होगा। इस चेतावनी ने प्रशासन की नींद उड़ा दी। बात यहीं नहीं रुकी, बीजेपी के अपने ही विधायक (BJP MLA) अनिल जैन कालूहेड़ा ने किसानों के समर्थन में मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिख दी। उन्होंने साफ़ कहा कि अगर 26 दिसंबर को किसान सड़कों पर उतरते हैं, तो वह भी सरकार के खिलाफ उनके साथ धरने पर बैठेंगे। अपनों के बागी तेवर और किसानों के आक्रोश को देखते हुए, सरकार ने लोकहित में कदम पीछे खींचने में ही भलाई समझी।
आधिकारिक आदेश में क्या कहा गया?
मध्यप्रदेश के राज्यपाल (Governor of MP) के आदेशानुसार, नगरीय विकास एवं आवास विभाग के उपसचिव सी. के. साधव ने आदेश जारी किया। इसमें स्पष्ट लिखा गया है कि उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा प्रस्तावित नगर विकास योजना क्रमांक 8, 9, 10 और 11 को, जो पहले केवल संशोधित किया गया था, अब ‘लोकहित’ (Public Interest) में पूरी तरह से निरस्त (Cancelled) किया जाता है।
आखिर क्या है यह विवादित ‘सिंहस्थ लैंड पूलिंग योजना’?
इसे समझना जरूरी है ताकि आप जान सकें कि किसान क्यों डरे हुए थे।
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पुराना नियम: महाकाल की नगरी उज्जैन में हर 12 साल बाद सिंहस्थ कुंभ लगता है। इसके लिए पहले सरकार किसानों से 5-6 महीनों के लिए जमीन अस्थायी रूप से लेती थी और मेला खत्म होने पर वापस लौटा देती थी।
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नया विवाद: इस बार सरकार ने परमानेंट कंस्ट्रक्शन और विकास के नाम पर ‘लैंड पूलिंग’ के जरिए जमीन को हमेशा के लिए अपने पास रखने या लैंड बैंक बनाने की योजना बनाई थी।
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डर: किसानों को डर था कि वे अपनी उपजाऊ जमीन से हमेशा के लिए हाथ धो बैठेंगे और बदले में मिलने वाला मुआवजा उनकी आजीविका के लिए काफी नहीं होगा।
BKS का ‘डेरा डालो, घेरा डालो’ आंदोलन और जीत
इस जीत की पटकथा 18 नवंबर को ही लिख दी गई थी। भारतीय किसान संघ (BKS) ने ‘डेरा डालो, घेरा डालो’ (Dera Dalo Ghera Dalo) आंदोलन का नारा दिया था। उस समय सरकार दबाव में आई और कहा कि योजना को रद्द किया जा रहा है।
लेकिन पेंच तब फंसा जब दो दिन बाद जारी सरकारी चिट्ठी में “रद्द” (Cancelled) शब्द की जगह “संशोधित” (Modified) शब्द का इस्तेमाल हुआ। किसान समझ गए कि यह केवल एक छलावा है। उन्होंने ठान लिया कि जब तक लिखित में ‘पूर्ण निरस्तीकरण’ नहीं मिलेगा, आंदोलन नहीं रुकेगा।
अंततः, 26 दिसंबर की डेडलाइन और विधायक के दबाव के चलते सरकार ने यू-टर्न लिया और अब किसानों के पास जश्न मनाने की वजह है।
अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए क्या है इसका मतलब?
जो लोग USA या UK से 2028 में उज्जैन आने का प्लान बना रहे हैं, उन्हें बता दें कि सिंहस्थ मेला अपने तय समय पर ही होगा। यह हिंदुओं का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है। लैंड पूलिंग रद्द होने का मतलब है कि सरकार अब जमीन के लिए पुराने मॉडल (Temporary acquisition) या किसी वैकल्पिक रास्ते का चुनाव करेगी, लेकिन आस्था के इस महाकुंभ की भव्यता में कोई कमी नहीं आएगी।















