डेस्क। इथियोपिया का नाम सुनते ही आपके दिमाग़ में कई प्रकार की तस्वीरें आती होंगी, मगर यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप आखिर कहां खड़ें हैं।
मिसाल के तौर पर अगर आप यूरोप की नज़रों से देखें तो अस्सी के दशक के दौरान इथियोपिया में पसरी भयानक भुखमरी की तस्वीरें साफ़ तौर पर उभरती हैं। मगर अफ़्रीकी लोगों के लिए यह वो ज़मीन है जिस पर उपनिवेशी ताक़तों का क़ब्ज़ा रहा था। उनके लिए यह अफ़्रीका की एकता और आत्मसम्मान का भी चिह्न है।
इथियोपिया अफ़्रीका का दूसरा सबसे बड़ी आबादीवाला आधुनिक देश भी है। इसका नेतृत्व एक ऐसे प्रधानमंत्री के हाथों में है जिन्हें 2019 में नोबेल शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका था मगर उसके एक साल बाद ही इथियोपिया में गृहयुद्ध छिड़ गया। वहीं इसमें हज़ारों आम लोग मारे गए थे। इथियोपियाई समाज में ऑर्थोडॉक्स ईसाई चर्च की महत्वपूर्ण भूमिका हमेशा से हैं।
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गृह युद्ध की वजह से इथियोपियाई ऑर्थोडॉक्स चर्च के भीतर भी कई मतभेद पैदा हो गए। एक समय था जब इस देश के 44 प्रतिशत लोग अपने आपको ऑर्थोडॉक्स ईसाई भी बताया करते थे। इथियोपियाई समाज और राजनीति में ऑर्थोडॉक्स चर्च के प्रभाव को कभी चुनौती नहीं मिली पर अब धीरे धीरे ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है, जो दूसरे पंथों में शामिल भी हो रहे हैं।
इथियोपिया का ऑर्थोडॉक्स तेवाहेडो ईसाई चर्च दुनिया की सबसे पुरानी ईसाई शाखाओं में से एक रही है। तेवाहेडो का अर्थ है ‘एकता’। इसे इथियोपिया में यह धारणा रही है कि उनके शासक, उन राजा सोलोमन और राजा मैकाडा के वंशज हैं जिनका बाइबल में ज़िक्र भी होता है।
लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स के एक वरिष्ठ शोधकर्ता मेब्राटू केलेचा का ऐसा मानना है कि सदियों से ऑर्थोडॉक्स तेवाहेडो चर्च का इथियोपिया पर गहरा प्रभाव रहा है। वह देश की पहचान का महत्वपूर्ण अंग भी है। ऑर्थोडॉक्स चर्च में मतभेद तो पहले से थे लेकिन टिगरे में नवंबर 2020 में गृहयुद्ध की शुरुआत के बाद वो और भी गहरे हो गए। वहीं ओरोमिया क्षेत्र में विद्रोह भी इसका एक बड़ा कारण था।
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”ओरोमिया क्षेत्र में चर्च के प्रशासनिक ढांचें को लेकर आलोचना होती ही रही है। लोगों का यह कहना है चर्च वहां के अनुयाइयों से संवाद के लिए मातृभाषा के प्रयोग को अपनाने में विफल भी रहा है।”
चर्च में गैइज़ भाषा का इस्तेमाल होता है, जो एक प्राचीन भाषा है और इसका संबंध अम्हारिक भाषा से है, जो इथियोपिया के पुराने उच्च वर्ग की भाषा भी रही है। पर 1974 में इथियोपिया के राजा हायले सलासी को सत्ता से हटाए जाने के बाद वह उच्च वर्ग हाशिये पर आ चुका है। उस कार्रवाई में हज़ारों लोग मारे गए थे और इसमें इथियोपिया नरेश एवं चर्च के पेट्रीआर्क यानि चर्च प्रमुख की भी हत्या हुई। उसके बाद आबूना मेरकोरियस को चर्च का नया प्रमुख बनाया गया।
मेब्राटू केलेचा की माने तो चर्च पर आरोप है कि 1974 में राजा सलासी को हटाए जाने के बाद से बदली हुई परिस्थितियों के अनुसार वो ख़ुद को ढालने में असफल भी रहा है। इथियोपिया में सैनिक शासन आ गया था और राजनितिक स्थित काफी बदल गई थी।
कई सालों की अस्थिरता के बाद 1991 में इथियोपिया में नई सरकार आ गई। इस बार इथियोपियाई ओर्थोडॉक्स चर्च के प्रमुख विदेश चले गए और निर्वासन में इथियोपियाई ओर्थोडॉक्स चर्च की स्थापना करी गई।
इथियोपिया में आबूना पाउलस ओर्थोडॉक्स चर्च के पेट्रिआर्क बने और 2018 तक चर्च का कार्यभार भी संभालते रहे। पर 2018 में आबी अहमद प्रधानमंत्री बने और उन्होंने आबूना मेरकोरियस को वापस देश में बुला लिया। इसके आबूना मेरकोरियस और वर्तमान चर्च प्रमुख यानि पेट्रिआर्क आबूना मथायस के बीच समझौता तो हो गया है पर इन दोनों को साथ रखना आसान नहीं था।