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Join NowPM Modi: 79वें स्वतंत्रता दिवस के ऐतिहासिक अवसर पर, जब पूरा देश तिरंगे के रंग में सराबोर था, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से एक ऐसी घोषणा की जिसने देश के दोस्तों को गर्व और दुश्मनों को खौफ से भर दिया. अपने ओजस्वी भाषण में उन्होंने सिर्फ देश की उपलब्धियां ही नहीं गिनाईं, बल्कि उन अदृश्य खतरों पर भी सीधा प्रहार किया जो देश की जड़ों को खोखला कर रहे हैं. उन्होंने देश की डेमोग्राफी (जनसांख्यिकी) को बदलने की “सोची-समझी साजिश” का पर्दाफाश किया और इससे निपटने के लिए एक ‘हाई पावर डेमोग्राफी मिशन’ शुरू करने का ऐतिहासिक ऐलान कर दिया.
घुसपैठियों सावधान! देश की सुरक्षा से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं
प्रधानमंत्री मोदी ने करोड़ों देशवासियों का ध्यान उस गंभीर संकट की ओर खींचा, जिस पर अब तक खुलकर बात करने से बचा जाता था. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा, “मैं आज एक चिंता और चुनौती के संबंध में आगाह करना चाहता हूं. सोची समझी साजिश के तहत देश की डेमोग्रॉफी को बदला जा रहा है, एक नए संकट के बीज बोए जा रहे हैं. ये घुसपैठिए मेरे देश के नौजवानों की रोजी-रोटी छीन रहे हैं, ये घुसपैठिए मेरे देश की बहन-बेटियों को निशाना बना रहे हैं. ये बर्दाश्त नहीं होगा.”
प्रधानमंत्री का यह बयान सिर्फ एक राजनीतिक टिप्पणी नहीं, बल्कि देश की आत्मा को बचाने का एक आह्वान था. उन्होंने आगे बताया कि कैसे ये घुसपैठिये भोले-भाले आदिवासियों को भ्रमित कर उनकी जमीनों पर अवैध कब्जा कर रहे हैं, जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में सामाजिक तनाव और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक भयानक संकट पैदा हो रहा है. उन्होंने भावुक होकर कहा, “कोई देश अपना देश घुसपैठियों के हवाले नहीं कर सकता, तो हम भारत को कैसे कर सकते हैं? हमारे पूर्वजों ने त्याग और बलिदान से आजादी पाई है. उन महापुरुषों के लिए सच्ची श्रद्धा ये है कि हम घुसपैठियों को स्वीकार नहीं करें.”
इसी संकल्प को जमीन पर उतारने के लिए प्रधानमंत्री ने घोषणा की, “हमने एक ‘हाई पावर डेमोग्राफी मिशन’ शुरू करने का निर्णय किया है. इस मिशन के जरिए जो भीषण संकट नजर आ रहा है, उसको निपटाने के लिए यह मिशन तय समय में अपने कार्य को करेगा.” यह मिशन देश की जनसांख्यिकी पर नजर रखेगा और किसी भी तरह के अवैध बदलाव को रोकने के लिए निर्णायक कदम उठाएगा.
नक्सलवाद की टूटी कमर: ‘रेड कॉरिडोर’ अब बना ‘ग्रीन कॉरिडोर’
घुसपैठ के बाहरी खतरे के साथ-साथ, प्रधानमंत्री मोदी ने देश के अंदरूनी दुश्मन, नक्सलवाद पर भी जोरदार हमला बोला. उन्होंने देश को खुशखबरी दी कि जिस नक्सलवाद ने कभी देश के 125 जिलों को अपनी हिंसा की आग में झोंक रखा था, आज वह सिमटकर सिर्फ 20 जिलों तक रह गया है.
उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा को याद करते हुए आदिवासी समाज के विकास का जिक्र किया. पीएम ने कहा, “एक जमाना था जब बस्तर को याद करते ही माओवाद, नक्सलवाद, बम और बंदूक की आवाज सुनाई देती थी. आज उसी बस्तर में, माओवाद से मुक्त होने के बाद, वहां के नौजवान ओलंपिक का आयोजन करते हैं.” यह केवल एक आँकड़ा नहीं, बल्कि एक पीढ़ी के बदलते भविष्य की तस्वीर है.
प्रधानमंत्री ने गर्व से बताया, “जो क्षेत्र कभी ‘रेड कॉरिडोर’ के रूप में जाने जाते थे, वो आज विकास के ‘ग्रीन कॉरिडोर’ बन रहे हैं. भारत के जिन क्षेत्रों को लाल रंग से रंग दिया गया था, हमने वहां संविधान, कानून और विकास का तिरंगा फहरा दिया है.”
यह भाषण एक नए और आत्मविश्वास से भरे भारत की हुंकार है, जो अपनी सीमाओं की रक्षा करना भी जानता है और अपने अंदर के घावों को भरना भी. ‘डेमोग्राफी मिशन’ और नक्सलवाद पर विजय की यह कहानी आने वाले कई सालों तक भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक बनी रहेगी.