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Join NowNarendra Modi: जब दुनिया की दो बड़ी ताकतों के नेता मिलते हैं, तो वैश्विक राजनीति में हलचल मचना तय है। सोमवार (1 सितंबर) को चीन की धरती पर कुछ ऐसा ही हुआ। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के मंच पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की गर्मजोशी भरी मुलाकात हुई। दोनों नेताओं के बीच एक विशेष बैठक भी हुई, जिसमें उनकी मुस्कुराहटें और सहज बातचीत ने दुनिया भर का ध्यान खींचा। लेकिन इस दोस्ती की तस्वीर ने सात समंदर पार अमेरिका के सीने पर सांप लोटा दिए हैं।
व्हाइट हाउस इस मुलाकात से बुरी तरह तिलमिला गया है और उसने अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बेहद करीबी और मुखर व्यापार सलाहकार, पीटर नवारो ने इस पर एक बेहद तल्ख टिप्पणी की है, जिसने भारत-अमेरिका संबंधों में एक नई बहस छेड़ दी है।
‘फ्री प्रेस जर्नल’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, पीटर नवारो ने सीधे शब्दों में कहा, “भारत को हमारे (अमेरिका के) साथ खड़ा होना चाहिए, रूस के साथ नहीं। यह बेहद शर्मनाक है कि प्रधानमंत्री मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।”
नवारो का यह बयान सिर्फ एक सामान्य टिप्पणी नहीं, बल्कि अमेरिका की उस गहरी चिंता को दर्शाता है जो उसे रूस, चीन और भारत की बढ़ती नजदीकियों से हो रही है। SCO समिट के दौरान पीएम मोदी की न सिर्फ पुतिन, बल्कि चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ भी तस्वीरें सामने आईं। इन मुलाकातों में दिखी सहजता और गर्मजोशी ने अमेरिका को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या भारत उसके पाले से खिसककर एक नए पूर्वी ध्रुव की ओर जा रहा है?
अमेरिका ने क्यों लगाया भारत पर भारी-भरकम टैरिफ? नवारो ने खोला राज
बात सिर्फ नाराजगी तक ही सीमित नहीं है। पीटर नवारो ने यह भी खुलासा किया कि अमेरिका ने भारत पर अतिरिक्त टैरिफ क्यों लगाए हैं। उन्होंने इसके पीछे दो मुख्य कारण बताए, जो सीधे तौर पर भारत की स्वतंत्र विदेश और व्यापार नीति से जुड़े हैं।
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अनुचित व्यापार (Unfair Trade): नवारो ने आरोप लगाया कि भारत व्यापार में अनुचित प्रथाएं अपना रहा है। उन्होंने कहा, “भारत के साथ पहली दिक्कत यह है कि वह अनुचित व्यापार कर रहा है। इसी वजह से उस पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाया गया है।”
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रूस से तेल की खरीद: दूसरा और सबसे बड़ा कारण, जिससे अमेरिका सबसे ज्यादा चिढ़ा हुआ है, वह है भारत का रूस से लगातार तेल खरीदना। नवारो ने कहा, “दूसरी दिक्कत यह है कि वह (भारत) रूस से तेल खरीद रहा है। इस वजह से भी उस पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाया गया है।”
यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि अमेरिका भारत पर दबाव बना रहा है कि वह पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों का पालन करे। लेकिन भारत ने हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए एक स्वतंत्र विदेश नीति का पालन किया है। भारत का तर्क है कि उसे अपने 140 करोड़ लोगों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए जहां से भी सस्ता तेल मिलेगा, वह खरीदेगा।
यह घटनाक्रम वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते कद और उसकी रणनीतिक स्वायत्तता को रेखांकित करता है। एक तरफ अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश उसे अपने खेमे में खींचना चाहता है, तो दूसरी तरफ रूस जैसा पारंपरिक और समय की कसौटी पर खरा उतरा दोस्त है। ऐसे में, प्रधानमंत्री मोदी की पुतिन से यह मुलाकात सिर्फ एक बैठक नहीं, बल्कि दुनिया को यह संदेश है कि भारत अपनी विदेश नीति किसी के दबाव में तय नहीं करेगा।