Join WhatsApp
Join NowMiscarriage symptoms: नौ महीने का इंतज़ार, एक नई ज़िंदगी का सपना, और अनगिनत उम्मीदें… मां बनना किसी भी महिला के जीवन का सबसे खूबसूरत और नाज़ुक दौर होता है। प्रेग्नेंसी की खबर जितनी खुशी लेकर आती है, उतनी ही चिंताएं भी साथ लाती है। इस सफ़र में शरीर हर रोज़ एक नए बदलाव से गुज़रता है, और इन्हीं बदलावों में से एक ऐसा बदलाव है जो किसी भी गर्भवती महिला की दिल की धड़कनें बढ़ा सकता है – प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में होने वाली ब्लीडिंग।
यह एक ऐसा पल होता है जब मन में हज़ारों सवाल उठते हैं: “क्या सब कुछ ठीक है?”, “कहीं यह मिसकैरेज का संकेत तो नहीं?”। प्रेग्नेंसी की शुरुआत में होने वाली हर ब्लीडिंग खतरे का निशान नहीं होती। कुछ ब्लीडिंग पूरी तरह से सामान्य और प्रेग्नेंसी का एक स्वस्थ हिस्सा हो सकती है। लेकिन कब यह एक नॉर्मल संकेत है और कब यह एक गंभीर चेतावनी, इसका फर्क समझना हर होने वाली मां के लिए बेहद ज़रूरी है।
चलिए, इस उलझन को सुलझाते हैं और एक एक्सपर्ट गायनेकोलॉजिस्ट से समझते हैं कि प्रेग्नेंसी की शुरुआती ब्लीडिंग के पीछे का सच क्या है। यह महत्वपूर्ण जानकारी डॉक्टर सोनू खोखर (MBBS Doctor, Health and Wellness Expert) दे रही हैं।
खतरे की घंटी: कब हो सकती है ब्लीडिंग मिसकैरेज का संकेत?
डॉक्टर सोनू के अनुसार, प्रेग्नेंसी की पुष्टि होने के बाद अगर शुरुआती हफ्तों में आपको स्पॉटिंग (हल्के धब्बे) या ब्लीडिंग का अनुभव होता है, तो इसे भूलकर भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। यह एक गंभीर स्थिति या मिसकैरेज (गर्भपात) का शुरुआती संकेत हो सकता है।
इन बातों पर तुरंत ध्यान दें:
-
तुरंत डॉक्टर से मिलें: यह सबसे पहला और सबसे ज़रूरी कदम है। ऐसी स्थिति में किसी भी तरह के घरेलू नुस्खे आज़माने या इंतज़ार करने की गलती न करें। केवल एक डॉक्टर ही आपकी सही जांच कर सकता है।
-
हार्मोन की कमी (बच्चे की कमजोर पड़ती पकड़): इसके पीछे एक बड़ी वजह शरीर में प्रेग्नेंसी को सपोर्ट करने वाले हार्मोन्स की कमी हो सकती है। एचसीजी (hCG) और प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) वो दो मुख्य हार्मोन्स हैं जो गर्भ में बच्चे को सुरक्षित रखते हैं और उसकी पकड़ को मज़बूत बनाते हैं। जब इन हार्मोन्स का स्तर गिरने लगता है, तो गर्भाशय में बच्चे की पकड़ ढीली पड़ जाती है, जिससे ब्लीडिंग शुरू हो सकती है और यह मिसकैरेज का कारण बन सकता है।
-
हार्मोनल सपोर्ट है समाधान: अच्छी खबर यह है कि अगर समय पर डॉक्टर से संपर्क किया जाए, तो जांच के बाद एचसीजी और प्रोजेस्टेरोन के इंजेक्शन या दवाओं के ज़रिए इस स्थिति को संभाला जा सकता है। यह सपोर्ट बच्चे की पकड़ को फिर से मज़बूत करने और प्रेग्नेंसी को आगे बढ़ाने में मदद करता है।
लेकिन हर ब्लीडिंग खतरे का निशान नहीं: कब होती है ‘नॉर्मल’ ब्लीडिंग?
यह जानना आपको राहत दे सकता है कि हर ब्लीडिंग का मतलब मिसकैरेज नहीं होता। कुछ मामलों में यह पूरी तरह से सामान्य है:
-
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग (Implantation Bleeding): यह प्रेग्नेंसी का सबसे पहला और एक ‘अच्छा’ संकेत हो सकता है। गर्भधारण (Conceive) करने के 6 से 12 दिनों के बाद, जब निषेचित अंडा (fertilized egg) खुद को गर्भाशय की दीवार से जोड़ता है, तब कुछ महिलाओं को हल्की स्पॉटिंग या ब्लीडिंग का अनुभव होता है। यह आमतौर पर बहुत हल्की, गुलाबी या भूरे रंग की होती है और एक या दो दिन में अपने आप बंद हो जाती है।
-
हार्मोनल बदलाव: प्रेग्नेंसी की शुरुआत में प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन के स्तर में तेज़ी से बदलाव आते हैं। इन हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण भी गर्भाशय की परत से हल्की ब्लीडिंग हो सकती है, जो अक्सर सामान्य होती है।
फैसला आप नहीं, डॉक्टर करेंगे
सबसे ज़रूरी बात यह है कि ब्लीडिंग सामान्य है या खतरे का संकेत, यह फैसला आप खुद नहीं कर सकतीं। एक डॉक्टर ही कई बातों के आधार पर यह तय करता है:
-
ब्लीडिंग का रंग: क्या यह गुलाबी, भूरा या ताज़ा लाल है?
-
ब्लीडिंग की मात्रा: क्या यह सिर्फ कुछ धब्बे हैं या पीरियड की तरह भारी फ्लो है?
-
दर्द की उपस्थिति: क्या ब्लीडिंग के साथ पेट के निचले हिस्से में दर्द या ऐंठन हो रही है?
इसलिए, अगर आप प्रेग्नेंट हैं और आपको ज़रा सी भी ब्लीडिंग या स्पॉटिंग दिखे, तो बिना घबराए और बिना देर किए तुरंत अपनी गायनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करें। आपका एक सही कदम आपकी प्रेग्नेंसी को सुरक्षित रख सकता है।
Disclaimer: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए पेशेवर चिकित्सा सलाह लेना अनिवार्य है।