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Join NowIRCTC : क्या आप भी ट्रेन में परिवार या दोस्तों के साथ सफर करते समय इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि कहीं टिकट अपग्रेड होने पर आपको अपनों से अलग न होना पड़ जाए? यह एक ऐसा सवाल है जो लगभग हर उस यात्री के मन में आता है जो ग्रुप में टिकट बुक करता है.
ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों के साथ अक्सर ऐसी स्थितियां बन जाती हैं, जब टिकट बुकिंग के बाद कुछ अनपेक्षित बदलाव देखने को मिलते हैं. खासतौर पर, जब भारतीय रेलवे की तरफ से किसी एक यात्री का टिकट अचानक स्लीपर से एसी क्लास में अपग्रेड कर दिया जाता है, तो खुशी के साथ-साथ एक बड़ी उलझन भी पैदा हो जाती है. सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि अगर चार लोग एक साथ एक ही टिकट पर यात्रा कर रहे हों और उनमें से सिर्फ एक का टिकट AC में अपग्रेड हो जाए, तो क्या बाकी तीन लोग भी उस AC डिब्बे में सफर कर सकते हैं या उन्हें अपने परिवार के सदस्य से अलग होना पड़ेगा? चलिए, आज हम आपकी इसी उलझन को हमेशा के लिए दूर कर देते हैं.
क्या सच में एक व्यक्ति का टिकट अपग्रेड होता है?
अक्सर लोगों में यह धारणा होती है कि रेलवे का कंप्यूटराइज्ड सिस्टम किसी एक PNR में से रैंडम तरीके से किसी एक या दो यात्रियों को अपग्रेड कर देता है. लेकिन यह जानकारी पूरी तरह से सही नहीं है. भारतीय रेलवे के नियमों के अनुसार, टिकट अपग्रेडेशन का एक बहुत ही स्पष्ट और यात्री-हितैषी नियम है.
रेलवे के नियमों के मुताबिक, जब भी किसी टिकट का क्लास अपग्रेड किया जाता है, तो यह उस PNR पर मौजूद सभी यात्रियों पर एक साथ लागू होता है.इसका मतलब है कि अगर आपके PNR में चार लोगों के नाम हैं, तो या तो सभी चारों यात्रियों का टिकट एक साथ अपग्रेड होगा, या फिर किसी का भी नहीं होगा.रेलवे का सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि एक ही PNR पर यात्रा कर रहे परिवार या समूह को अलग-अलग कोच में सफर करने की नौबत न आए.अगर AC क्लास में सभी यात्रियों को एक साथ अपग्रेड करने के लिए पर्याप्त सीटें उपलब्ध नहीं हैं, तो उस PNR का अपग्रेडेशन नहीं किया जाएगा.
कैसे काम करता है रेलवे का ऑटो-अपग्रेडेशन सिस्टम?
आइए, अब विस्तार से समझते हैं कि यह जादुई सिस्टम काम कैसे करता है:
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कंप्यूटराइज्ड और रैंडम प्रक्रिया: रेलवे की टिकट अपग्रेडेशन की सुविधा पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड और ऑटोमेटिक है. चार्ट तैयार करते समय सिस्टम रैंडम तरीके से PNR को अपग्रेडेशन के लिए चुनता है. इसमें किसी भी तरह का मानवीय हस्तक्षेप नहीं होता है.
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कब होता है अपग्रेडेशन? यह अपग्रेडेशन तभी संभव होता है, जब ट्रेन के AC डिब्बों (जैसे 3AC, 2AC) में सीटें खाली रह जाती हैं और स्लीपर क्लास में यात्रियों की संख्या ज्यादा या वेटिंग लिस्ट लंबी होती है.रेलवे का मुख्य उद्देश्य खाली जा रही महंगी सीटों को भरना और वेटिंग लिस्ट वाले यात्रियों को कन्फर्म सीट देना है.
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कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं: इस सुविधा की सबसे अच्छी बात यह है कि इसके लिए रेलवे यात्रियों से कोई भी अतिरिक्त शुल्क नहीं लेता है. यानी आप स्लीपर क्लास के किराए में ही AC क्लास के आरामदायक सफर का आनंद ले सकते हैं.
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कैसे चुनें यह विकल्प? टिकट बुक करते समय (चाहे ऑनलाइन IRCTC वेबसाइट से या काउंटर से) फॉर्म में ‘Consider for Auto Upgradation’ (ऑटो-अपग्रेडेशन के लिए विचार करें) का विकल्प आता है. अगर आप यह सुविधा चाहते हैं तो आपको इस विकल्प पर टिक करना होता है.
अगर आप अपग्रेड नहीं चाहते तो क्या करें?
कई बार ऐसा होता है कि लोग किसी विशेष कारण से स्लीपर क्लास में ही सफर करना चाहते हैं और अपग्रेड नहीं चाहते. यात्रियों की इस सुविधा को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने यह विकल्प भी दिया है. अगर आप नहीं चाहते कि आपका टिकट अपग्रेड हो, तो टिकट बुक करते समय ‘Consider for Auto Upgradation’ वाले चेकबॉक्स को अनचेक (खाली) छोड़ दें. ऐसा करने पर आपका PNR अपग्रेडेशन प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाएगा और आप अपनी मूल बुकिंग वाली क्लास में ही सफर कर पाएंगे.
तो अगली बार जब भी आप परिवार के साथ ट्रेन का टिकट बुक करें, तो इस बात को लेकर बिल्कुल भी चिंतित न हों. रेलवे का सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि आप अपने प्रियजनों के साथ ही सफर करें. अगर आपकी किस्मत अच्छी रही, तो हो सकता है कि आपका पूरा ग्रुप बिना कोई अतिरिक्त पैसा दिए स्लीपर से AC के आरामदायक सफर का मजा ले..