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Join NowIndian office culture: एक रूसी महिला ने जब भारतीय और विदेशी ऑफिस कल्चर के बीच के चौंकाने वाले अंतरों को उजागर किया, तो उनकी पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। इस पोस्ट ने भारत में काम करने के तौर-तरीकों और कॉर्पोरेट जगत की हकीकत पर एक नई बहस छेड़ दी है।
भारत में पिछले 12 सालों से रह रही कंटेंट क्रिएटर यूलिया ने अपने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट साझा की, जिसका शीर्षक था, ‘वो चीजें जो भारतीय ऑफिसों में तो सामान्य हैं, लेकिन विदेशों में नहीं।’ इस पोस्ट में उन्होंने अपने उन अनुभवों को साझा किया जो उन्होंने भारत में अपने प्रोफेशनल करियर के दौरान महसूस किए। यह पोस्ट देखते ही देखते इंटरनेट पर छा गई और लोगों ने इस पर जमकर अपनी प्रतिक्रियाएं दीं।
यूलिया ने अपनी पोस्ट में लिखा, “जब मैंने 12 साल पहले भारत में अपना करियर शुरू किया था, तो मैं यह देखकर हैरान रह गई थी कि मेरे सहकर्मी मेरा कितना ख्याल रखते थे। वे मुझसे पूछते थे कि मैंने नाश्ता किया या नहीं, चाय-कॉफी पी या नहीं, और लंच किया या नहीं।” यूलिया ने इसे अपने पेशेवर जीवन की एक “बेहद प्यारी और स्वागत योग्य शुरुआत” बताया। उन्होंने कहा कि यह भारतीय ऑफिस कल्चर (Indian office culture) का एक बहुत ही सकारात्मक पहलू है, जो विदेशों में कम ही देखने को मिलता है।
हालांकि, यूलिया ने कुछ ऐसे मुद्दों पर भी प्रकाश डाला जो भारतीय कार्य संस्कृति के गहरे और चुनौतीपूर्ण पहलुओं को दर्शाते हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय ऑफिसों में कर्मचारी तब तक ऑफिस से नहीं निकलते, जब तक कि उनके सीनियर या बॉस घर नहीं चले जाते। इसके अलावा, काम के लिए देर रात में भी फोन कॉल उठाना एक ‘सामान्य’ व्यवहार माना जाता है, जो वर्क-लाइफ बैलेंस (work-life balance) को बुरी तरह प्रभावित करता है।
यूलिया का मानना है कि भारत में लोग बेहद मेहनती होते हैं, लेकिन यहाँ का माहौल “अत्यधिक प्रतिस्पर्धी है और काम करने की शैली में अक्सर बहुत अधिक दबाव होता है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय कॉर्पोरेट कल्चर (Indian corporate culture) में एक अजीब सी प्रतिस्पर्धा की भावना है।
उन्होंने आगे लिखा, “[कर्मचारी] अलग-अलग विभागों की टीमों के साथ भी प्रतिस्पर्धा करते हैं। और मुझे लगता है कि ऐसा देश में मौजूद अत्यधिक प्रतिस्पर्धी माहौल और युवा प्रतिभाओं की भारी संख्या के कारण है। यहाँ पर ऑफिस पॉलिटिक्स (office politics) का स्तर तो बिल्कुल ही अलग और दुर्भाग्यपूर्ण है।”
यूलिया ने अपनी पोस्ट में यह भी बताया कि लोग काम करने के लिए एक तरफ से दो घंटे से भी ज्यादा का सफर करते हैं और अपने जवाबों में सीधे ‘नहीं’ कहने से बचते हैं। यह एक ऐसी बात है जो विदेशी ऑफिस कल्चर (foreign office culture) में बिल्कुल अलग है, जहाँ लोग सीधे और स्पष्ट बात करने में विश्वास रखते हैं।
उन्होंने एक बहुत ही गहरी बात कही, “अच्छी जिंदगी के लिए काम करने के बजाय, काम के लिए जीना। कई युवा और महत्वाकांक्षी प्रतिभाएं अपने पूरे परिवार (सिर्फ माता-पिता ही नहीं, बल्कि अन्य रिश्तेदारों) की जिम्मेदारियां भी उठाती हैं। जाहिर है, इससे उन पर बहुत अधिक दबाव पड़ता है, जिसके कारण वे केवल काम पर ही ध्यान केंद्रित कर पाते हैं।”
वायरल पोस्ट यहाँ देखें:
‘एक भारतीय होने के नाते…’
जैसे ही यह पोस्ट वायरल हुई, इस पर लोगों की जबरदस्त प्रतिक्रियाएं आने लगीं। सोशल मीडिया यूजर्स ने काफी हद तक यूलिया के विश्लेषण से सहमति जताई और कहा कि उनके कई बिंदु उन अस्वस्थ कार्य प्रथाओं को उजागर करते हैं जो भारत में वर्क कल्चर (work culture in India) में गहराई तक समा चुकी हैं।
एक यूजर ने लिखा, “ज्यादातर बातें बिल्कुल सही हैं,” जबकि दूसरे ने कहा: “एक भारतीय होने के नाते, मुझे यहाँ का वर्क कल्चर पसंद नहीं है। मैनेजर व्यक्तिगत मामलों में बहुत ज्यादा दखल देते हैं। कोई प्राइवेसी नहीं है। पूरी तरह से पक्षपात होता है। यहाँ तक कि हम अपनी छुट्टियों का भी हक से इस्तेमाल नहीं कर सकते।”
एक तीसरे यूजर ने टिप्पणी की: “यह एक बहुत गहरी ऑब्जरवेशन है। मुझे त्योहारों का सेलिब्रेशन अच्छा लगता है। जब आप बहुत ज्यादा काम करते हैं, तो यही कुछ दिन होते हैं जो उस निराशा को संतुलित करने में मदद करते हैं।”
यूलिया पहली बार 2012 में एक इंटर्नशिप के लिए भारत आई थीं, जिसे उन्होंने पांच महीने में पूरा किया और फिर रूस लौट गईं। हालांकि, कुछ साल बाद, वह एक सर्कस के लिए हाथी खरीदने लौटीं और यहीं बस गईं। तब से, उन्होंने यहाँ अपना परिवार बसाया है और अपना खुद का व्यवसाय भी शुरू किया है। उनकी यह कहानी भी भारत में एक विदेशी (foreigner in India) के अनुभव को दर्शाती है।