आध्यात्मिक– हिन्दू धर्म मे पूजा के बाद आरती का प्रावधान है। कहते हैं अगर पूजा का बाद आप आरती नही करते हैं तो आपकी पूजा अधूरी रह जाती है और आपको आपके कर्म का फल नही मिलता है।
वही अगर हम धार्मिक ग्रन्थों की माने तो आरती पूजा समापन की विधि है। जिसे करने से भगवान प्रसन्ना होते हैं और हमे उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। वही आज हम आपको इस लेख में बताने जा रहे हैं आरती का महत्व-
अगर हम धार्मिक ग्रन्थों की बात करे तो उसके अनुसार आरती करने से मन के नकारात्मक विचारों का नाश होता है। कहते हैं जिस प्रकार आरती के प्रकाश से अंधकार दूर होता है और वातावरण शुद्ध होता है। ठीक उसी प्रकार आरती के प्रभाव से व्यक्ति के मन का अंधकार खत्म हो जाता है और उसके मन को शान्ति मिलती है।
व्यक्ति को आरती करते समय अपने मन को एकाग्र रखना चाहिए और इधर उधर के भाव से खुद को दूर करते हुए भगवान की साधना में लीन कर देना चाहिए। कहते हैं आरती तेज ध्वनि के साथ शंक व घण्टी बजाते हुए करनी चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से आपका मन विचलित नही होता और आप ईश्वर की आस्था में लीन रहते हैं।