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Power Cut in Delhi NCR: क्या अधेरे में डूब जाएगी दिल्ली 

 

 

डेस्क। Power Cut in Delhi NCR: दिल्ली में मंगलवार दोपहर 3.33 पर पीक पावर डिमांड 7717 मेगावाट तक पहुंच गई थी। वहीं यह दिल्ली के इतिहास में पहली बार हुआ है। इससे पहले 29 जून 2022 को 7695 मेगावाट की पीक पावर डिमांड रही थी। मई 2024 में हर दिन दिल्ली की अधिकतम बिजली की मांग मई 2023 की तुलना में काफी ज्यादा है।

दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत में इन दिनों जबरदस्त गर्मी भी पड़ रही है। वहीं बढ़ते तापमान और हीटवेव से लोग बहुत परेशान हैं। अब बिजली कटौती ने भी दिन का चैन और रात की नींद खराब करके रख दी है। दरअसल, गर्मी से बचने के लिए एसी-कूलर और पंखे दिन रात चल रहे हैं और इसकी वजह से दिल्ली में पावर डिमांड बढ़ गई है।

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दिल्ली में बुधवार को पहली बार बिजली की मांग 8000 MW तक हुई। बुधवार दोपहर 3:42 बजे पीक पावर डिमांड 8,000 MW की थी। ये अब तक का हाइएस्ट पॉइंट रहा है।

रिकॉर्ड लेवल पर पावर डिमांड होने से बिजली कटौती का संकट काफी बढ़ गया है। दिल्ली के कुछ इलाकों समेत एनसीआर के नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद के कुछ हिस्सों में भी इन दिनों बिजली कटौती से लोग काफी परेशान हैं।

दिल्ली में बिजली की कितनी हुई खपत?

दिल्ली में मंगलवार दोपहर को 3.33 बजे पीक पावर डिमांड 7717 मेगावाट तक पहुंच गई थी और यह दिल्ली के इतिहास में पहली बार हुआ है। इससे पहले 29 जून 2022 को 7695 मेगावाट की पीक पावर डिमांड रही थी। मई 2024 में हर दिन दिल्ली की अधिकतम बिजली की मांग मई 2023 की तुलना में काफी ज्यादा है। पिछले साल मई के पहले 20 दिनों में, दिल्ली की अधिकतम बिजली की मांग 5781 मेगावाट की थी। 

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मई 2023 में उच्चतम बिजली की मांग 23 मई को 6916 मेगावाट दर्ज करी गई थी। दक्षिणी और पश्चिमी दिल्ली के BRPL इलाके में अधिकतम बिजली की मांग 2023 में 3250 मेगावाट और 2022 की गर्मियों के दौरान 3389 मेगावाट की थी। वहीं, 2024 की गर्मियों के दौरान बिजली की मांग लगभग 3680 मेगावाट तक पहुंचने की उम्मीद थी।

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इतने मेगावाट तक पहुंचेगी डिमांड

दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने बुधवार को मीडिया ब्रीफिंग में यह कहा कि दिल्ली में सबसे ज्यादा पावर डिमांड जुलाई और अगस्त के महीने में काफी ज्यादा बढ़ जाती है। मई के महीने में ही पावर पीक 7717 तक पहुंच गई है। इसके यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि जुलाई और अगस्त में यह पीक आखिर कितनी बढ़ सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि मई के महीने की अपेक्षा जुलाई अगस्त में 20 प्रतिशत तक डिमांड बढ़ जाती है। वहीं इससे स्पष्ट है कि इस साल यह डिमांड 8 हजार मेगावाट से ऊपर भी जा सकती है।

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