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Mumbai News Update: क्या मीरा रोड की हिंसा की जिम्मेदार पुलिस 

 

 

डेस्क । Mumbai News Update: मंगलवार (23 जनवरी) को जब 200-300 से अधिक लोगों की भीड़ मुंबई के मीरा रोड के शांति नगर के सेक्टर-5 में पहुंची तो वे पहले से ही अपने लक्ष्य को अच्छी तरह से जानते थे। जिन दुकानों पर ‘जय श्री राम’ छपे भगवा झंडे लगे थे, उन्हें छोड़ दिया गया, बाकी सभी पर हमला हुआ।

ज्यादातर हमलावर किशोर और 20 साल की उम्र के आसपास के थे, जो बुटीक में घुस गए और पथराव करना शुरू कर दिया। उनमें से लगभग सभी के पास बैकपैक थे और ऐसा लग रहा था कि उन्होंने उनमें बड़े-बड़े पत्थर जमा करके रखे हुए थे। उन्होंने दुकान पर पथराव भी किया, शीशे और बुटीक के बाहर रखे पुतलों को तोड़ दिया गया और आगे भी बढ़ गए।

13 साल पुराने बुटीक के मालिक शमशेर आलम ने द वायर जानकारी दी है कि, ‘यह सब 30 सेकंड के भीतर हुआ।’ वहीं इस हमले में उनका बेटा और साला बुरी तरह घायल हो गए।

इसके बाद भीड़ पड़ोस की गली में मुसलमानों की अन्य दुकानों की ओर चली गई और जब हमला हो रहा था, तब नया नगर थाने की पुलिस सिर्फ 20 मीटर की ही दूरी पर सड़क पर खड़ी थी।

उन्होंने ये भी दावा किया, पर उन्होंने भीड़ को नहीं रोका। यह लगभग ऐसा था मानो पुलिस भीड़ की सुरक्षा के लिए वहां मौजूद हो।’

24 जनवरी को आलम और अन्य दुकान मालिक, जिन्हें हमले में भारी नुकसान हुआ था, पुलिस थाने के लिए गए थे। उन्होंने यह भी दावा किया कि पुलिस ने गंभीर सबूत पेश करने के बावजूद एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया है। द वायर ने जिन अन्य दुकानों का दौरा किया था। वहां दुकान मालिकों के पास बताने के लिए समान कहानियां ही थीं।

छोटे नवाब शू शॉप के मालिक शेख फैयाज अहमद ने उस वक्त का सीसीटीवी फुटेज भी दिखाया, जब उनकी दुकान पर हमला हुआ था। युवा लड़के जो संभवत: किशोर थे, दुकान पर पथराव करते देखे जा सकते हैं। उनके पास भी भारी बैग थे, जो पत्थरों से भरे हुए थे और कुछ ने अपने चेहरे ढके भी थे, तो कईयों ने अपने चेहरे ढकने की परवाह नहीं की।

सेक्टर-3 में भीड़ ने एक टेंपो ड्राइवर पर हमला कर दिया क्योंकि उसके टेंपो के पीछे ‘राशिद टेंपो सर्विस’ लिखा हुआ था। इस हमले में 21 वर्षीय मोहम्मद तारिक और दो अन्य बुरी तरह घायल हो गए। पास ही के एक मोबाइल की दुकान पर 49 वर्षीय एक अन्य व्यक्ति हमले में घायल हो गया था।

मूल रूप से गुजरात के रहने वाले मोहम्मद उमर एक स्थानीय ऑप्टिशियन के यहां काम किया करते हैं। दुकान का नाम ‘ब्लू आई’ तटस्थ-सा लगता था, फिर भी उस पर हमला हुआ।

उमर का कहना है कि ऐसा दो कारणों से हुआ जिसमें पहला, उनकी दुकान के बाहर भगवा झंडा नहीं लगा था और दूसरा दाढ़ी के कारण दुकान पर बैठा एक व्यक्ति ‘मुस्लिम लग रहा था’।

भगवा झंडा न लगाने पर हमले की आशंका समझ में आती है, क्योंकि एक अन्य ऑप्टिकल की दुकान गंगर आईनेशन पर भी हमला हुआ। यह एक हिंदू की दुकान है, पर दुकान के बाहर भगवा झंडा नहीं फहराया गया था।

हमले के पीड़ितों की ओर से पेश वकील सचिन साल्वी ने द वायर को जानकारी दी है कि पुलिस को लंबे समय तक समझाने के बाद आखिरकार उन्होंने चार मामलों में एफआईआर दर्ज की है । उनमें से एक उस भीड़ के खिलाफ थी, जिसने 16 साल के एक लड़के के ऊपर सड़क पर ही हमला कर दिया था।

साल्वे ने यह बताया, ‘हमले के बाद लड़के को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था और पुलिस एफआईआर दर्ज करना नहीं चाहती थी, पर जब हमने पीछे हटने से इनकार कर दिया तो उन्होंने आखिरकार एफआईआर लिखी’

इस क्षेत्र में अभी भी बड़ी मात्रा में खाली जमीन है और कई रियल एस्टेट डेवलपर्स की इस क्षेत्र पर नजर भी बनी हुईं है। द वायर ने जिन कई मुस्लिम स्थानीय लोगों से बात की, उन्होंने हमले और क्षेत्र में तेजी से बढ़ते रियल एस्टेट कारोबार के बीच संबंध भी बताया है।

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद खालिद सिद्दीकी ने बोला है, ‘अगर आपके क्षेत्र में अधिक मुस्लिम नहीं हैं तो खरीदारों को आकर्षित करना हमेशा आसान लगता है। इस तरह से संपत्ति अधिक महानगरीय लगती है और रियल एस्टेट की कीमतें भी काफी बढ़ जाती हैं।’

22 जनवरी की घटना किसी अचानक उकसावे की वजह से नहीं हुई थी बल्की स्थानीय की माने तो यह सुनियोजित था। दरअसल पुलिस शहर की प्रमुख सड़कों पर गश्त कर रही थी, लेकिन वे हमलों को रोकने में नाकाम रहे साथ ही हमले से ठीक एक घंटे पहले मीरा-भायंदर नगर निगम ने कई ‘अवैध संरचनाओं’ को जमींदोज करने का फैसला भी किया था।

मीरा रोड के नया नगर इलाके में हैदरी चौक पर निगम के बुलडोजरों ने सात कच्चे ढांचों को जमींदोज भी कर दिया। ये संरचनाएं इस क्षेत्र में दो दशकों से अधिक समय से मौजूद हैं, पर उनका इस्तेमाल करने वालों को एक बार भी नोटिस या पूर्व चेतावनी नहीं दी गई, ऐसा उन्होंने बोला।

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10 वर्षों से एक टीन शेड में दोपहिया वाहनों की वर्कशॉप चला रहे शमीम अहमद ने बताया कि शाम लगभग 5 बजे स्थानीय पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की एक बड़ी टीम के साथ स्थानीय निगम के कुछ अधिकारी उनकी दुकानों पर पहुंचे थे।

अहमद ने कहा, ‘उन्होंने हमें बलपूर्वक बाहर निकाला और संरचनाओं को तोड़ना शुरू कर दिया। ‘

उन्होंने आगे कहा, ‘जिन लोगों ने अपनी दुकानें खो दीं, उनका मीरा रोड के अन्य हिस्सों में हुए हमलों से कोई लेना-देना नहीं है पर हम आसान लक्ष्य बन गए थे।’

घटना के तुरंत बाद ही महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने घोषणा की थी कि राज्य में कानून और व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ ‘कड़ी कार्रवाई’ होगी।

इसके तुरंत बाद 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया। उनमें से दो जुलेखा के बेटे हैं. जुलेखा यह कहती हैं, ‘पुलिस हमारे बच्चों को ले गई. लेकिन उन लोगों से पूछताछ नहीं की गई जो इलाके में घुस आए थे और देर रात जय श्री राम के नारे भी लगा रहे थे।’

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गिरफ्तार किए गए लोगों में दो नाबालिग हैं और उन्हें भिवंडी के बाल गृह में भेज दिया गया है साथ ही 23 जनवरी को कुछ और गिरफ़्तारियां भी की गईं।

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