डेस्क। सुप्रीम कोर्ट में 18 अप्रैल को समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को कानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो चुकी है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की अगुवाई वाली 5 जजों की बेंच याचिका पर सुनवाई भी कर रही है। पहले ही दिन सुनवाई की शुरुआत गरमागरमी के साथ हुई है और केंद्र सरकार ने बोला कि वह इस बात पर विचार करेगी कि कार्यवाही में भाग लेना भी है या फिर नहीं।
केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (SG Tushar Mehta) ने चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ से पहले केंद्र सरकार के पक्ष को सुनने का अनुरोध भी किया है। सीजेआई ने एसजी के इस अनुरोध को खारिज भी कर दिया है और बोला है, ‘सॉरी मिस्टर सॉलिसिटर, हम इंचार्ज हैं और हम तय करेंगे…आपको बाद में सुनेंगे। पहले इस मामले के पूरे कैनवास को हमें देख लेने दें।
इसपर SG मेहता ने कहा कि यह बहुत संवेदनशील मसला है ये और हमें कुछ वक्त दीजिए ताकि तय कर सकें कि सरकार का इस पर क्या पक्ष है। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि एडजर्नमेंट के अलावा कुछ भी फैसला ले सकते हैं।
पहले दिन केंद्र सरकार की 5 दलीलें
1- केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी है कि सुप्रीम कोर्ट जिस विषय पर सुनवाई कर रहा है, वह विवाह के सामाजिक-कानूनी संबंध पर केंद्रित है। यह मोटे तौर पर विधायिका के दायरे में भी आता है।
2- तुषार मेहता ने बोला है कि यह विषय समवर्ती सूची में है। ऐसे में इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता है कि एक राज्य इसको मान ले और दूसरा इनकार कर दे। चूंकि राज्य इस मामले में पार्टी नहीं हैं, ऐसे में यह याचिका बरकरार रखने के योग्य नहीं है।
3- एसजी मेहता ने दलील दी है कि यह कोई ऐसा मसला नहीं है जिस पर एक तरफ के 5 लोग और दूसरी तरफ के लोग बैठकर चर्चा कर लें और बेंच में 5 बेहतरीन माइंड हैं, लेकिन किसी को नहीं पता कि इस मसले पर दक्षिण भारत का कोई किसान आखिर क्या सोचता है या उत्तर भारत के एक बिजनेसमैन की इसपर क्या राय है।
4- सॉलिसिटर जनरल ने बोला, ‘मेरा इतना अनुरोध है कि यह देखा जाना चाहिए कि कौन सा इकलौता संवैधानिक फोरम है, जहां इस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए और फैसला भी दे सकता है। इस मुद्दे को उठाते वक्त हम इसके गुण-दोष पर ध्यान नहीं दे सकते।
5- केंद्र के वकील और एसजी मेहता ने दलील दी कि हमें इस मसले में जनवरी में नोटिस मिला था और इस याचिका को बनाए रखने का मसला नहीं उठा पाए। हमें यह देखना होगा कि अगर अदालत इस मसले पर कोई फैसला लेती है तो उसका आखिर क्या असर पड़ेगा।
जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह इस मसले के व्यक्तिगत कानूनी पहलुओं को नहीं छुएगी और कोर्ट ने इस बात का भी संज्ञान लिया है कि इस पूरे मामले में विधायी तत्व भी शामिल है। इस मामले में 19 अप्रैल (बुधवार) को भी सुनवाई जारी रहेगी।
कानूनी मान्यता देने के पक्ष में कुल इतनी याचिकाएं
आपको बता दें कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में कुल 20 याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें हैदराबाद का एक कपल भी शामिल है। वहीं उच्चतम न्यायालय की 5 जजों की पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही है। पीठ में सीजेआई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जस्टिस एस. रवींद्र भट्ट और जस्टिस हिमा कोहली भी शामिल हैं।