डेस्क। Fraud Visa के मामले में बढ़ोतरी के कारण ऑस्ट्रेलिया के पांच विश्वविद्यालयों ने भारतीय छात्रों पर बैन भी लगा दिया गया है। यह खबर उन छात्रों के सपने को तोड़ सकती है जो हाई एजुकेशन के लिए विदेशों में पढ़ाई करने की सोच रहे हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के लोग आस्ट्रेलिया में काम करने के लिए छात्र वीजा का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।
इस कारण से विश्वविद्यालयों ने भारतीय छात्रों को एडमिशन देने से इनकार कर दिया है यानि भारतीय छात्र अब आस्ट्रेलिया के इन विश्वविद्यालयों में पढ़ाई नहीं कर पाएंगे वहीं रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि वीजा में फर्जीवाड़ा चरम पर है, इसलिए अधिकारियों ने यह फैसला भी लिया है।
इस साल ऑस्ट्रेलिया, बड़ी संख्या में भारतीय छात्रों का स्वागत करेगा जो 2019 के मुताबित 75,000 से अधिक है। इसके साथ ही वीजा में फर्जीवाड़ा बढ़ने के भी चांसेस है। इसलिए कई विश्वविद्यालय पर बैन लगा रहे हैं। भारत और ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने भी एक व्यापक समझौते पर हस्ताक्षर करे हैं।
इस समझौते पर दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों- एंथोनी अल्बनीज और नरेंद्र मोदी ने हस्ताक्षर किए जो विश्वविद्यालय अध्ययन के लिए दोनों देशों की यात्रा को आसान कर देगा।
वैश्विक शिक्षा फर्म नवितास के जॉन च्यू ने कहा है आस्ट्रेलिया में शिक्षा के लिए भारतीय छात्रों की संख्या पहले से काफी बड़ी और हमें पता था कि बहुत अधिक मांग होगी, पर ऐसे लोग भी बढ़ गए हैं जो असल में छात्र नहीं हैं। सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड अखबार की एक रिपोर्ट की माने तो, वीजा में अनियमितता ने ऑस्ट्रेलिया के अंतरराष्ट्रीय शिक्षा बाजार की चिंता भी बढ़ा दी है।
रिपोर्ट्स में बोला गया है कि है कि COVID-19 प्रतिबंधों में ढील देने के बाद से वीजा धोखाधड़ी में बाहरी लोग अधूरे आवेदन और धोखाधड़ी के मामले बढ़े हैं और कुछ मामलों में फर्जी दस्तावेज मिले हैं।
असल में फरवीर में पहले ही पर्थ स्थित एडिथ कोवान विश्वविद्यालय ने भारतीय राज्यों-पंजाब और हरियाणा के आवेदकों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके बाद मार्च में विक्टोरिया विश्वविद्यालय ने उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात सहित आठ भारतीय राज्यों के छात्रों के आवेदनों पर प्रतिबंध बढ़ा दिए और अब इस खबर का असर उन छात्रों पर पढ़ेगा जो आस्ट्रेलिया में जाकर पढ़ाई करना चाहते हैं।