डेस्क। बात करें तो हुआ कुछ यूं कि एक दिन गवली का दोस्त रामा नाइक एक गैंगवार में मारा गया था। दोस्त की मौत से बदले की आग में जल रहे अरुण गवली (Arun Gawli) ने अपना गैंग बनाने का फैसला कर लिया…और यहां से शुरू हुआ दाऊद और गवली की दुश्मनी का एक दौर।
शिवसेना नेता की हत्या मामले में नागपुर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे अरुण गवली (Gangster Arun Gawli) की रिहाई की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा और अरुण गवली ने महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग की ओर से 2006 में जारी एक सर्कुलर का हवाला भी दिया है, जिसमें यह कहा गया था कि जिन दोषियों ने चौदह साल की कैद की सजा काट ली है और उनकी उम्र 65 साल हो चुकी है, उन्हें जेल से रिहा किया जा सकता है। साथ ही अब बहुत से लोगों के मन में यह सवाल होगा कि आखिर ये अरुण गवली कौन हैं?
दाऊद के खासमखास से बन गया जानी दुश्मन
आपको बता दें कि ये वही अरुण गवली है जो कभी मुंबई का डॉन और दाऊद इब्राहिम का खासमखास माना जाता था, फिर एक दिन दोनों जानी दुश्मन बन बैठे। वहीं उसका पूरा नाम अरुण गुलाब गवली है जिसकी उम्र अब 69 साल हो चुकी है। गवली के पिता मध्य प्रदेश के खंडवा के रहने वाले थे, वह काम की तलाश में खंडवा से महाराष्ट्र जा बस गए थे।
महाराष्ट्र के अहमदनगर में उसका जन्म हुआ था और एक छोटी सी उम्र में घर की खराब माली हालत की वजह से गवली को घर-घर जाकर दूध भी बेचना पड़ा। फिर धीरे-धीरे वह गैंगस्टर की दुनिया से जुड़ गया। इसी दौरान वह दाऊद और छोटा राजन के करीब आने लगा और देखते ही देखते वह दाऊद के कंसाइनमेंट का काम देखने लग गया। फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि दाऊद के गवली की दोस्ती अचानक दुश्मनी में बदली।
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1980 के दशक में उसकी जुर्म की दुनिया में एंट्री हुई और वह स्कूल में अपने ही साथ पढ़ने वाले रामा नाइक के गैंग से जुड़ गया। यह गैंग फिरौती और तस्करी किया करता था वहीं यह वो वक्त था जब डॉन वरदराजन और मुंबई छोड़कर चेन्नई चला गया और करीब लाला ने जुर्म की दुनिया को ही अलविदा बोल दिया। अब जुर्म की काली दुनिया में सिर्फ रामा नाइक, दाऊद इब्राहिम और गवली गैंग ही बचे रह गए थे।