डेस्क। भारत में आज बड़ी संख्या में युवा नशे की चपेट में आ रहे हैं। यह संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है, जो चिंता का विषय बन गई है। कुछ राज्यों में यह समस्या काफी गंभीर हो गई है। पर हालांकि नशे के कारोबार को खत्म करने के लिए सरकारें हर संभव प्रयास करने में लगी हुई हैं।
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हाल ही में ड्रग वॉर डिस्टॉर्शन और वर्डोमीटर की चौंकाने वाली रिपोर्ट भी सामने आई है। जिसके अनुसार, देश में अवैध ड्रग्स का कारोबार बढ़कर 30 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का हो गया है। नेशनल ड्रग डिपेंडेंट ट्रीटमेंट रिपोर्ट की माने तो, देश की 10 से 75 साल की उम्र वाली करीब 20 फीसदी आबादी किसी न किसी तरह के नशे की आदी हो गई है। इनमें महिलाओं की भी अच्छी संख्या है। आजकल छोटे बच्चे भी इसके शिकार हो गए हैं।
जानिए भारत में दवा बाज़ार कितना बड़ा है?
संयुक्त राष्ट्र औषधि एवं नियंत्रण कार्यालय ने एक रिपोर्ट जारी करी थी। उस समय दुनिया भर में एक साल में 300 टन मारिजुआना की सप्लाई होती थी जिसमें से लगभग 6 प्रतिशत की खपत अकेले भारत में ही होती थी। 2017 में गांजे की सप्लाई बढ़कर 353 टन की हो गई, जिसमें से करीब 10 फीसदी सप्लाई भारत में हुई। इसी के साथ कई आंकड़ों के मुताबिक, साल 2017 तक भारत का अवैध ड्रग बाजार करीब 10 लाख करोड़ रुपये का भी था।
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साल 2020 की ग्लोबल ड्रग रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में जब्त की गई अफीम के मामले में भारत चौथे स्थान पर है। और यह अनुमान है कि यहां मॉर्फीन की तीसरी सबसे बड़ी खेप है।
भारत में ड्रग्स को लेकर जानिए क्या है कानून?
एनडीपीएस यानी नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 के नियम कहते हैं कि भारत में दवाओं का सेवन और उनसे परहेज दोनों ही कानूनी रूप से सही नहीं है। वहीं इस नियम के अनुसार ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों का गठन किया जाना चाहिए। जहां ऐसा करते पाए गए दोषियों को कम से कम तीन साल की सजा भी दी गई है। वहीं यह नियम कहता है कि सजा अपराध के अनुसार तय करी जाएगी।