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Electoral Bond: आज आएगा SC का फैसला 

 

डेस्क। Electoral Bond: सुप्रीम कोर्ट चुनावी बांड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार यानी की आज अपना फैसला सुनाने वाली है। पिछले साल नवंबर में सीजेआई डी.वाई.चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने इस मामले पर सुनवाई करी थी।

पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बी.आर. गवई, जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने लगातार तीन दिनों तक दलीलें सुनने के बाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत के समक्ष तर्क भी दिया था कि चुनावी बॉन्ड योजना अनुच्छेद 19 (1) के तहत नागरिकों के सूचना के मौलिक अधिकार का हनन भी करती है, यह पिछले दरवाजे से लॉबिंग को सक्षम बनाती है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है। इसके साथ ही, विपक्षी राजनीतिक दलों के लिए समान अवसर को समाप्त करती है।

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सभी चुनौती का जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह तर्क दिया था कि इस योजना का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया में नकदी को कम करना है।

 एस-जी मेहता ने जोर देकर बताया है कि चुनावी बांड के जरिए किए गए दान का विवरण केंद्र सरकार तक नहीं जान सकती। उन्होंने एसबीआई के चेयरमैन द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र को रिकॉर्ड पर रखते हुए बोला था कि अदालत के आदेश के बिना विवरण तक नहीं पहुंचा जा सकता।

सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने बताएं, पांच महत्वपूर्ण विचार हैं :

1. चुनावी प्रक्रिया में नकदी तत्व को कम करने की जरूरत

2. अधिकृत बैंकिंग चैनलों के उपयोग को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता

3. गोपनीयता द्वारा बैंकिंग चैनलों के उपयोग को प्रोत्साहित करने का

4. पारदर्शिता

5. रिश्‍वत का वैधीकरण

इसके अलावा, सीजेआई ने टिप्पणी करी थी कि यह योजना सत्ता केंद्रों और उस सत्ता के हितैषी लोगों के बीच रिश्‍वत और बदले की भावना का वैधीकरण भी नहीं बननी चाहिए।

जानें आखिर क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड योजना?

वर्ष 2018 में सरकार द्वारा अधिसूचित इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को पॉलिटिकल फंडिंग में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे के विकल्प के रूप में देखा जा रहा था।

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पर केवल वे राजनीतिक दल ही इन्हें प्राप्त कर सकते हैं, जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत रजिस्टर्ड हुए हैं और जिन्हें पिछले लोकसभा या राज्य चुनाव में एक प्रतिशत से अधिक वोट भी मिले हों।

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