डेस्क। बिहार में नीतीश सरकार अब जाति आधारित जनगणना करवा सकेगी और जनगणना को रोकने के लिए दाखिल याचिका को पटना हाई कोर्ट ने खारिज भी कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले के साथ ही नीतीश सरकार को अब प्रदेश में जातिगत जनगणना करवाने के लिए हरी झंडी भी मिल गई है। इससे पहले इस मामले को लेकर लगातार चर्चा जारी थी और हाईकोर्ट के फैसले का इंतज़ार किया जा रहा था वहीं याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अब वह इस मामले को फिर से सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेंगे।
मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की पीठ ने जाति-आधारित जनगणना को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर यह फैसला भी सुनाया है।
नीतीश सरकार को दिखाई हरी झंडी
बिहार सरकार यह सर्वे जनवरी के महीने में शुरू कर चुकी थी लेकिन हाईकोर्ट ने इसपर रोक भी लगा दी थी। सर्वे दो चरणों में किया जाना था और पहला चरण जनवरी में किया गया था जिसके तहत घरेलू गिनती का अभ्यास किया गया ।
इस सर्वे का दूसरा चरण 15 अप्रैल को शुरू हुआ, जिसमें लोगों की जाति और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों से संबंधित डेटा इकट्ठा करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया था। पूरी प्रक्रिया इस साल मई तक पूरी करने की योजना थी, पर 4 मई को हाई कोर्ट के फैसले के बाद इसे रोक दिया गया था।