आध्यत्मिक– प्रभु श्री राम भारत के आदर्श पुरूष हैं। उन्हें भारत वासियों का पिता, परमात्मा और आराध्या माना जाता है। भारत का प्रत्येक व्यक्ति भगवान श्री राम की आराधना करता है और उनके सम्मान के लिए खड़ा रहता है। लेकिन भारत के लोग उनके नियमों और आदर्शों पर किंतना चल रहे हैं। यह विचार का विषय है।
प्रभु श्री राम जिन्होंने अपना पूरा जीवन समाज के हित हेतु गुजार दिया। उनके लिए जनता का हित और सभी का सम्मान सर्वोपरि था। प्रभु श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम कहा जाता है। क्योंकि उन्होंने अपने जीवन मे कोई गलत काम नहीं किया। वह सदैव सत्य के मार्ग पर चलते रहे।
प्रभु श्री राम संसार के प्रत्येक व्यक्ति को सम्मान के भाव से देखते थे और सभी को मनुष्य समझते थे। उनके लिए मानवता सबसे बड़ा धर्म था। वह सदैव हिंसा से बचने का प्रयास करते थे और जाति धर्म से ऊपर उठकर मानवता का धर्म निभाते थे।
प्रभु श्री राम ने जाति को कभी सर्वोपरि नहीं माना। इसका उदाहरण रामायण में वर्णित है। क्योंकि उन्होंने सबरी के जूठे बेर खाए। वह भाव प्रेमी थे और प्रेम का भाव उनको सदैव जीत लेता था।
लेकिन आज भारत की समस्या विकट है। लोग प्रभु श्री राम के अनुयायी हैं। लेकिन उनके आदर्शों के मुताबिक नहीं चलते। जाति धर्म के नाम पर हिंसा करते हैं। मानवता के भाव से दूर हटकर अपने नियमों से प्रभु को जोड़ते हैं। परंतु सत्य यह है कि राम का अनुयायी वही है जो मानवता का अनुयायी है।