राजनीति– बिहार की राजनीति में इस समय शराबबंदी बड़ा मुद्दा बनकर उभर रही है। जब से नीतीश कुमार ने बीजेपी का दामन छोड़कर तेजस्वी से हाथ मिलाया है। तब से बीजेपी लगातार नीतीश कुमार की शराबबंदी नीति पर सवाल खड़े कर रही है और बीजेपी सरकार की आलोचना कर रही है।
सदन सत्र में भी बीजेपी के नेताओं द्वारा शराब बंदी का मुद्दा उठाकर हंगामा काटा जा रहा है। वही नीतीश कुमार इस हंगामे पर जमकर बीजेपी पर बिफर रहे हैं और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का कहना है कि विपक्ष मुद्दों पर बात न हो इस कारण इस तरह के हंगामे कर रहा है।
लेकिन अब सवाल यह है कि आखिर आज जब नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ मिलकर अपनी सरकार बना ली है। तो नीतीश कुमार की शराबबंदी नीति में भाजपा को कमी क्यों दिखाई दे रही है। वही अभी तक जब बिहार में भाजपा के साथ मिलकर सरकार चलाई जा रही थी तो भाजपा द्वारा इस प्रकार के सवाल क्यों नहीं किए गए।
क्या है शराबबंदी का खेल और इससे बीजेपी का मेल-
अभी तक जो भाजपा नीतीश कुमार की शराबबंदी नीति पर मौन धारण करके बैठी थी। वही अब शराबबंदी पर सवाल उठा रही है और सरकार को घेरने से बाज नहीं आ रही है। नीतीश कुमार की शराब बंदी नीति पर उठाए जा रहे सवाल कहीं कहीं न कहीं यह इशारा भी कर रहे हैं कि यदि सत्ता की बागडोर हमारे साथ से नीतीश चला रहे हैं तो उनकी नीतियां हमे सवाल उठाने के काबिल नहीं लगती हैं।
लेकिन अगर नीतीश कुमार पलटी मारते हैं तो हम उनकी नीतियो पर सवाल भी उठाएंगे और उन्हें घेरने से बाज नहीं आएंगे। वही भाजपा द्वार बिहार में जिन मुद्दों को इस समय उठाया जा रहा है वह भाजपा की रणनीति पर भी सवाल उठा रहे हैं। कि क्या सत्ता में रहते हुए भाजपा की आंखों पर पट्टी बंध जाती है और सत्ता से जैसे ही उसे बेदखल किया जाए उसे समस्याएं दिखाई देने लगती है।