राजनीति

Rahul Gandhi ने मुस्लिम लीग को यूं ही नहीं बताया सेक्युलर, जानिए राजनीतिक कारण 

 

डेस्क। राहुल गांधी ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को एक सेक्युलर पार्टी बताया है। उनके इस बयान के बाद बीजेपी और कई संगठनों की तरफ से राहुल पर निशाना साधा गया है।

ऑल इंडिया मुस्लिम लीग ने आजादी से पहले पाकिस्तान के लिए आंदोलन में हिस्सा लिया था और यह संगठन विभाजन के बाद भंग कर दिया गया था। इसके भारतीय पार्ट ने AIML के बैनर तले 1948 में अपनी पहली बैठक की और तीन साल बाद इस संगठन का नाम बदलकर IUML रख दिया गया था।

IUML पहली बार साल 1967 में केरल कैबिनेट में शामिल हुई और तब केरल में सीपीआई एम की सरकार थी। हालांकि पिछले चार दशकों से IUML केरल में कांग्रेस के साथ भी है और यह UDF गठबंधन का हिस्सा रही है। बता दें IUML के लोकसभा में तीन सदस्य हैं- ई टी मोहम्मद बशीर, एमपी अब्दुस्समद समदानी और के नवस कानी।

इसके अलावा IUML का राज्यसभा में भी एक सदस्य है- पीवी अब्दुल वहाब। बात अगर केरल विधानसभा की करें तो 140 सदस्यों में से उसके 15 विधायक भी हैं। IUML का वायनाड में प्रभाव है और यहीं से राहुल गांधी साल 2019 में सांसद चुने गए थे। यहां से राहुल गांधी को 4 लाख वोटों से जीत हासिल हुई थी।

राहुल गांधी द्वारा IUML को लेकर दिए गए बयान पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इसकी तुलना मुहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग से की है जो “भारत के विभाजन के लिए काफी जिम्मेदार” भी थी।

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