इतिहास के पन्ने

कैसे विदेश में शुरु हुई भारत की आजादी की लड़ाई: गदर आंदोलन 

 

Desk . गदर आन्दोलन भारत की आज़ादी के लिए किये गए गर्म दल के आन्दोलनों में से एक था। लाला हरदयाल, बाबा हरनाम सिंह, बाबा सोहन सिंह और गुरदीत्त सिंह आदि इस आन्दोलन का हिस्सा रहे।

साल 1913 में पंजाबी भारतीयों के एक गुट ने भारत को अंग्रेजो से मुक्त कराने के लिए एक विद्रोह की योजना बनाई। बाद में इसे ‘ग़दर आन्दोलन’ के तौर पर जाना गया।

‘ग़दर’ शब्द के अर्थ पर बात करें तो ये ‘विद्रोह’ का पर्यावाची बताया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में क्रान्ति लाना था; जिसके लिए अंग्रेज़ी नियंत्रण से भारत को स्वतंत्र करना काफी आवश्यक था।

गदर आन्दोलन जिससे गदर पार्टी भी बोला जाता है उसका मुख्यालय सैन फ्रांसिस्को में स्थापित किया गया था। इसने ‘युगान्तर आश्रम’ नाम से एक संस्था की भी स्थापना की थी, जिसका कार्य युवा भारतीयों में देशभक्ति की भावना जगाना और उन्हें विद्रोह के लिए प्रशिक्षित करने का था।

पर ब्रिटिश सरकार ने इस विद्रोह को बलपूर्वक दबा दिया।

फिर भी भारत की आजादी के आंदोलन में गदर आंदोलन (Ghadar Movement) की एक अहम भूमिका बताई जाती है। गदर आंदोलन, भारत की आजादी के लिए हुआ, पर हां इसकी शुरुआत ही विदेश में हुई थी।

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 अमेरिका (USA) में प्रवास के दौरान भारतीय प्रवासियों ने गदर आंदोलन की शुरुआत की, दरअसल एक राजनीतिक क्रांतिकारी संगठन के रूप में इस आंदोलन की शुरुआत हुई वहीं अमेरिका और कनाडा में इस भारतीय राजनीतिक संगठन की नींव रखने में सोहन सिंह, करतार सिंह, अब्दुल मोहम्मद बरकतुल्लाह और रासबिहारी बोस की भी बड़ी ही अहम भूमिका रही थी। 

गदर आंदोलन की शुरूआत

भारत की आजादी की मांग लगातार जोर पकड़ रही थी। साथ ही दुनियाभर में रह रहे भारतीय छात्रों और प्रवासियों के बीच राष्ट्रवाद की भावना उछाल मारती दिखाई दे रही थी। ऐसा ही कुछ भारतीय उपमहाद्वीप में भी हो रहा था साथ ही लाला हर दयाल और तारकनाथ दास जैसे क्रांतिकारी बुद्धिजीवियों ने इन लोगों में राष्ट्रवादी विश्वास को पैदा करते हुए उन्हें संगठित करने का प्रयास भी किया।

कांतिकारी गतिवधियों को अंजाम देने के लिए पूर्व के क्रांतिकारियों ने वैंकुवर में ‘स्वदेश सेवक होम’ और सियाटल में ‘युनाइटेड इंडिया हाउस’ बनाए गए और आखिरकार 1913 में गदर की स्थापना की गई।

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जानिए गदर आंदोलन की शुरुआत कब हुई

गदर आंदोलन की विधिवत शुरुआत 15 जुलाई 1913 को अमेरिका में हुई. लाला हर दयाल, संत बाबा वसाखा सिंह दादेहर, बाबा ज्वाला सिंह, संतोश सिंह और सोहन सिंह भाकना ने अमेरिका में इस आंदोलन की नींव रखी। इसी के साथ ही शुरुआत में इसका नाम पैसिफिक कोस्ट हिंदुस्तान ऑर्गेनाइजेशन (Pacific Coast Hindustan Organization – PCHO) भी रखा गया था। अमेरिका, कनाडा, पूर्वी अफ्रीका और एशियाई देशों में गदर पार्टी को बड़े पैमाने पर समर्थन प्राप्त हुआ।

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फिर इसी साल 1913 में PCHO का नाम बदलकर विधिवत तौर पर गदर पार्टी का गठन किया गया तो सोहन सिंह भाकना इस संस्था के प्रेसिडेंट बने। इस पार्टी में बहुत से प्रवासी भारतीय भी शामिल हुए, जिनमें से ज्यादातर पंजाबी थे।

 लाला हर दयाल, तारक नाथ दास, करतार सिंह सरभा और वी.जी. पिंगल सहित बहुत से क्रांतिकारियों ने कैलीफॉर्मिया यूनिवर्सिटी, बार्कले में पढ़ाई की थी और प्रवासी भारतीयों का गदर पार्टी को अच्छा समर्थन मिला।

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