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Join Nowउपराष्ट्रपति चुनाव 2025: भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 की तैयारियां पूरे जोर-शोर से चल रही हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। दूसरी ओर विपक्षी INDIA गठबंधन अपने साझा उम्मीदवार की घोषणा करने के लिए मंथन में जुटा है।
इस चुनाव को केवल एक संवैधानिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि लोकतंत्र और विचारधारा की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है। आइए विस्तार से जानते हैं इस पूरे घटनाक्रम, संभावित उम्मीदवारों और राजनीतिक समीकरणों के बारे में।
एनडीए का दांव: सीपी राधाकृष्णन
एनडीए ने इस बार अपने उम्मीदवार के रूप में सीपी राधाकृष्णन को चुना है। वे एक वरिष्ठ भाजपा नेता और वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। उनका राजनीतिक करियर काफी लंबा और सक्रिय रहा है।
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जन्म: 4 अप्रैल 1957, तमिलनाडु
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राजनीतिक सफर: भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष रह चुके हैं।
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लोकसभा सांसद: कोयंबटूर से 2 बार सांसद रहे।
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विशेष पहचान: साफ-सुथरी छवि, संगठनात्मक कौशल और दक्षिण भारत से मजबूत पकड़।
एनडीए का यह फैसला दक्षिण भारत में अपनी पकड़ मजबूत करने और विपक्ष को कड़ा संदेश देने के तौर पर देखा जा रहा है।
पीएम मोदी से मुलाकात और चुनावी तैयारी
उम्मीदवार की घोषणा के तुरंत बाद सीपी राधाकृष्णन दिल्ली पहुंचे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। दिल्ली एयरपोर्ट पर उनका भव्य स्वागत किया गया। भाजपा ने साफ कर दिया है कि वह इस चुनाव को पूरी मजबूती से लड़ेगी और विपक्ष को कोई मौका नहीं देगी।
इंडिया गठबंधन की रणनीति: साझा उम्मीदवार की तलाश
इधर, INDIA गठबंधन (Indian National Developmental Inclusive Alliance) अपने उम्मीदवार की तलाश में बैठकों का दौर चला रहा है।
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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर दोपहर 12:30 बजे बड़ी बैठक बुलाई गई है।
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संभावना है कि बैठक के बाद विपक्षी उम्मीदवार का नाम घोषित किया जाएगा।
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विपक्ष चाहता है कि यह चुनाव केवल एक संवैधानिक प्रक्रिया न होकर लोकतंत्र की रक्षा की जंग के रूप में देखा जाए।
किन नामों पर हो रही चर्चा?
सूत्रों के मुताबिक, विपक्षी दलों ने कई नामों पर विचार किया है। इनमें से कुछ नाम बेहद चर्चित हैं—
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मैलस्वामी अन्नादुरई
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इसरो के पूर्व वैज्ञानिक
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चंद्रयान-1 मिशन के प्रमुख
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वैज्ञानिक पृष्ठभूमि के चलते विपक्ष उनकी उम्मीदवारी को “ज्ञान और प्रगति” की छवि से जोड़ना चाहता है।
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तिरुचि सिवा (डीएमके सांसद)
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दक्षिण भारत से अनुभवी सांसद
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डीएमके और कांग्रेस के बीच मजबूत सहयोग का चेहरा
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संसदीय कार्यों में सक्रिय भूमिका
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तुषार गांधी
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महात्मा गांधी के परपोते और इतिहासकार
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गांधीवादी विचारधारा का प्रतीक
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विपक्ष उनके नाम से चुनाव को वैचारिक लड़ाई के रूप में पेश कर सकता है।
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दलित बुद्धिजीवी (महाराष्ट्र से)
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दलित समुदाय से जुड़े किसी बड़े चेहरे को उतारने पर भी विचार
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सामाजिक न्याय की लड़ाई को और मजबूत करने की रणनीति
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विपक्षी रणनीति: वैचारिक बनाम राजनीतिक संघर्ष
विपक्ष इस चुनाव को सिर्फ सत्ता संघर्ष नहीं, बल्कि लोकतंत्र और संविधान की रक्षा की लड़ाई के रूप में पेश करना चाहता है।
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गांधीवादी विचारधारा बनाम भाजपा की विचारधारा
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विज्ञान और प्रगति बनाम परंपरागत राजनीति
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दलित और सामाजिक न्याय बनाम बहुसंख्यक राजनीति
यानी उम्मीदवार चाहे जो भी हो, संदेश साफ है—विपक्ष चाहता है कि यह चुनाव भाजपा के लिए एक चुनौती बन जाए।
उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया
भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव एक खास प्रक्रिया से होता है।
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उपराष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज करता है।
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इसमें राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों के सांसद शामिल होते हैं।
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कुल मतों में भाजपा-एनडीए का पलड़ा फिलहाल भारी है, क्योंकि लोकसभा में उनका बहुमत है।
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लेकिन विपक्ष एकजुट होकर चुनाव को वैचारिक बहस का मंच बनाना चाहता है।
उपराष्ट्रपति पद की संवैधानिक भूमिका
उपराष्ट्रपति का पद भले ही सीधे तौर पर कार्यपालिका में सक्रिय न दिखे, लेकिन—
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उपराष्ट्रपति ही राज्यसभा के सभापति होते हैं।
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संसद के ऊपरी सदन की कार्यवाही का संचालन करना उनकी जिम्मेदारी होती है।
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इसीलिए, विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों इस पद को बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं।
क्या कहता है राजनीतिक गणित?
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एनडीए के पास: लोकसभा में स्पष्ट बहुमत, राज्यसभा में भी मजबूत उपस्थिति।
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INDIA गठबंधन: कई क्षेत्रीय दलों का समर्थन, लेकिन गणित थोड़ा कमजोर।
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नतीजा: भाजपा का उम्मीदवार जीत के करीब, लेकिन विपक्ष चुनाव को प्रतीकात्मक और वैचारिक लड़ाई बनाएगा।
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 क्यों है खास?
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लोकसभा चुनाव 2024 के बाद पहला बड़ा चुनाव
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यह चुनाव तय करेगा कि विपक्ष कितना एकजुट है।
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वैचारिक जंग
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गांधीवादी विचारधारा बनाम हिंदुत्व की राजनीति
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क्षेत्रीय राजनीति का असर
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दक्षिण भारत के नेताओं और बुद्धिजीवियों की अहम भूमिका
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2029 के लिए संकेत
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यह चुनाव भविष्य की राजनीतिक दिशा तय कर सकता है।
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उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 अब केवल एक संवैधानिक औपचारिकता नहीं रह गया है।
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एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को उतारकर अपनी मजबूती दिखाई है।
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INDIA गठबंधन एक ऐसा उम्मीदवार खड़ा करना चाहता है जो वैचारिक और सामाजिक स्तर पर भाजपा को चुनौती दे सके।
अब सबकी निगाहें विपक्ष की बैठक और उनके उम्मीदवार पर टिकी हुई हैं।