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Join Nowपुतिन-जेलेंस्की : रूस और यूक्रेन के बीच 2022 से जारी युद्ध ने पूरी दुनिया की राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था को हिला कर रख दिया है। लाखों लोग विस्थापित हुए, हजारों जानें गईं और यूरोप से लेकर एशिया तक इस युद्ध का असर देखने को मिला। अब साल 2025 में इस जंग को खत्म करने के प्रयास तेज होते दिख रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहल पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की की संभावित बैठक ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल पैदा कर दी है।
पुतिन-ट्रंप फोन कॉल और शांति वार्ता का संकेत
मंगलवार (19 अगस्त 2025) को डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के बीच फोन पर बातचीत हुई। इस बातचीत के दौरान पुतिन ने जेलेंस्की से मिलने की इच्छा जताई और रूस में बैठक का प्रस्ताव दिया। यह उस समय हुआ, जब जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल वाशिंगटन में ट्रंप से मुलाकात कर रहा था।
अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस फोन कॉल ने वार्ता की नई उम्मीदें जगा दी हैं।
🏛️ व्हाइट हाउस की पुष्टि
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पुतिन और जेलेंस्की की बैठक को लेकर बातचीत जारी है। लेविट के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप इस बैठक को त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन के रूप में आयोजित करना चाहते हैं। यानी मेज़ पर रूस, यूक्रेन और अमेरिका – तीनों देश होंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी प्रशासन “गंभीरता से” इस वार्ता की तैयारी कर रहा है।
🇷🇺 रूस का सतर्क रुख और लावरोव की चेतावनी
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इस पूरी पहल पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि रूस बातचीत से पीछे नहीं हटेगा, लेकिन यह प्रक्रिया धीरे-धीरे और चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़नी चाहिए।
लावरोव ने कहा:
“शांति सम्मेलन से पहले विशेषज्ञ स्तर की बातचीत होनी चाहिए। हमें जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहिए।”
🇺🇦 जेलेंस्की का सकारात्मक रुख
कीव की ओर से भी शांति वार्ता के संकेत मिले हैं। जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन बातचीत के लिए तैयार है और अगले 7-10 दिनों में इस शिखर सम्मेलन की औपचारिक घोषणा हो सकती है।
यह बयान ऐसे समय आया है जब यूक्रेन पश्चिमी देशों से सुरक्षा गारंटी की मांग कर रहा है और यूरोपीय नेता भी इस वार्ता को समर्थन दे रहे हैं।
🇺🇸 अमेरिका की भूमिका और ट्रंप की रणनीति
ट्रंप प्रशासन शुरू से ही यह संदेश देता रहा है कि वह रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए सक्रिय भूमिका निभाना चाहता है।
ट्रंप का मानना है कि लंबा खिंचता यह युद्ध वैश्विक अर्थव्यवस्था और सुरक्षा दोनों के लिए खतरा है। इसी वजह से उन्होंने पहले रूस पर दबाव बनाया और अब वार्ता की मेज पर दोनों नेताओं को लाने का प्रयास कर रहे हैं।
पुतिन की शर्तें
पुतिन ने इस वार्ता से जुड़ी अपनी कुछ शर्तें भी रखी हैं:
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संघर्ष के मूल कारणों पर चर्चा होनी चाहिए।
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यूक्रेन को नाटो में शामिल करने का मुद्दा स्थायी रूप से खत्म किया जाए।
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रूस के खिलाफ लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों पर पुनर्विचार किया जाए।
इन शर्तों से साफ है कि मास्को किसी भी समझौते में अपने हितों की गारंटी चाहता है।
यूरोपीय देशों का नजरिया
यूरोपीय नेताओं ने ट्रंप की पहल का स्वागत किया है। कई नेताओं ने इसे “युद्ध खत्म करने की दिशा में सकारात्मक कदम” बताया है।
हालांकि, जर्मनी और फ्रांस जैसे देश अब भी सतर्क हैं। उनका मानना है कि पुतिन केवल समय खरीदने के लिए बातचीत की बात कर रहे हैं।
युद्ध का असर और शांति की ज़रूरत
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अब तक लाखों लोग शरणार्थी बन चुके हैं।
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यूरोप की अर्थव्यवस्था पर ऊर्जा संकट का असर पड़ा है।
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वैश्विक महंगाई और तेल-गैस की कीमतों में उथल-पुथल हुई है।
इन हालात में सभी पक्षों पर दबाव है कि वे बातचीत की दिशा में कदम बढ़ाएं।
रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए चल रही कूटनीतिक कोशिशें अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही हैं। ट्रंप की मध्यस्थता से पुतिन और जेलेंस्की की मुलाकात अगर वास्तव में होती है, तो यह पिछले तीन सालों में सबसे बड़ी शांति पहल होगी। लेकिन क्या यह पहल युद्ध को खत्म कर पाएगी या फिर यह केवल एक कूटनीतिक चाल साबित होगी – इसका जवाब आने वाले हफ्तों में मिलेगा।