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Join NowSagar Kanpur Fourlane: सागर कानपुर फोरलेन, जो 232 किलोमीटर लंबा है और ₹4,290 करोड़ की लागत से बन रहा है, भरतमाला परियोजना के तहत बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास में एक महत्वपूर्ण परिवहन गलियारा है। जनवरी 2023 में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा शुरू की गई यह परियोजना 2026 तक पूरी होने की उम्मीद है, जो कानपुर-सागर के बीच यात्रा समय को 5-6 घंटे से घटाकर केवल 2.5 घंटे कर देगी।
परियोजना विशेषताएं लागत
परियोजना की कुल अनुमानित लागत ₹4,290 करोड़ है, जिसमें 232 किलोमीटर सड़कों का निर्माण शामिल है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा संचालित इस महत्वाकांक्षी परियोजना में छतरपुर जिले के चार तहसीलों – महाराजपुर, छतरपुर, बिजावर और बड़ामलहरा के 57 गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा।
नए हाइवे में आधुनिक अवसंरचना सुविधाओं का समावेश होगा जिसमें 4 बड़े और 6 छोटे पुल, 21 अंडरपास, 4 फ्लाईओवर, 1 रेलवे ब्रिज और 5 कंट्रोल रूम शामिल हैं। यह चार लेन राष्ट्रीय राजमार्ग यमुना एक्सप्रेसवे की तर्ज पर तैयार होगा और वाहन 100 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चल सकेंगे।
पांच चरण विभाजन
परियोजना को पांच अलग-अलग चरणों में विभाजित किया गया है, जिसमें से पहला चरण सागर से मोहारी गांव तक 50 किलोमीटर का है और एनएचएआई की सागर इकाई के अधीन तेजी से चल रहा है। शेष चार चरणों का कार्य छतरपुर डिवीजन के अधीन है, जिसमें दूसरे चरण के तहत मोहारी से साठिया घाटी तक 39 किलोमीटर के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को ₹351 करोड़ का टेंडर मिला है।
तीसरे चरण में साठिया घाटी से चौका गांव तक 55 किलोमीटर के लिए वेल्जी रत्ना सोराठिया इंफ्रास्ट्रक्चर को ₹717 करोड़ का टेंडर मिला है, जबकि चौथे चरण में चौका से कैमाहा बैरियर तक 43 किलोमीटर के लिए एमकेसी इंफ्रास्ट्रक्चर गुजरात को ₹688 करोड़ की लागत से कार्य दिया गया है। पांचवे चरण के तहत कैमाहा बैरियर से महोबा होते हुए कबरई तक 45 किलोमीटर का निर्माण बंसल कंस्ट्रक्शन कंपनी को मिला है।
मुआवजा वितरण चुनौतियां
फोरलेन निर्माण कार्य शुरू करने से पहले 80 प्रतिशत मुआवजा वितरण आवश्यक है, लेकिन अब तक केवल 5 प्रतिशत भी मुआवजा वितरण नहीं हो सका है। इस देरी के कारण परियोजना छह महीने से अधिक पीछे चल रही है, जिससे 2026 के लक्ष्य को पूरा करना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
छतरपुर जिले के 98 किलोमीटर के हिस्से में किसानों ने निर्माण कार्य का विरोध किया है और काम रुकवा दिया है। किसानों का आरोप है कि भूमि अधिग्रहण के दौरान उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया गया और उनकी सिंचित जमीनों को जानबूझकर असिंचित दिखाया गया है, जिससे मुआवजे की राशि में भारी अंतर आया है। ढड़ारी गांव के कुछ किसानों के नाम सर्वे रिपोर्ट में शामिल ही नहीं किए गए हैं, जिससे लगभग 15 दिनों से निर्माण कार्य ठप पड़ा है।
भोपाल कानपुर इकॉनमिक कॉरिडोर
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाला यह 526 किलोमीटर लंबा इकॉनमिक कॉरिडोर भरतमाला परियोजना चरण I के तहत निर्माणाधीन है, जिसका मुख्य उद्देश्य फ्रेट मूवमेंट (सीमेंट, खनिज) की दक्षता में सुधार करना और निर्यात को बढ़ावा देना है। वर्तमान में भोपाल से कानपुर की यात्रा में 11-13 घंटे का समय लगता है जो NH 27 या NH 34 मार्गों से होता है, लेकिन इस एडवांस मल्टी-लेन कॉरिडोर के पूरा होने पर यह समय घटकर केवल 7 घंटे रह जाएगा।
कुल परियोजना की अनुमानित लागत ₹11,300 करोड़ है और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) का लक्ष्य 2026 तक इसे पूरा करना है। इस कॉरिडोर में भोपाल से विदिशा, विदिशा से ग्यारसपुर, सांठिया घाटी से चौका और चौका से कैमाहा पैकेजों के लिए ₹3589.4 करोड़ रुपए की लागत के साथ स्वीकृति मिल चुकी है।