PM Modi China visit: पुतिन की कार में मोदी, जिनपिंग के साथ हाथ में हाथ…

Published On: September 2, 2025
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PM Modi China visit: पुतिन की कार में मोदी, जिनपिंग के साथ हाथ में हाथ...

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PM Modi China visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद चीन से भारत लौट आए हैं। लेकिन उनकी इस यात्रा की जो तस्वीरें सामने आई हैं, उन्होंने बीजिंग से लेकर वाशिंगटन डीसी तक की राजनैतिक गलियारों में एक शक्तिशाली बवंडर खड़ा कर दिया है। तियानजिन में पीएम मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तिकड़ी की जो गर्मजोशी और गहरी दोस्ती दिखी, वह अमेरिका की रातों की नींद उड़ाने के लिए काफी है।

यह तस्वीरें एक ऐसे समय में आई हैं जब अमेरिका ने भारत पर 50% का भारी-भरकम टैरिफ लगा दिया है और राष्ट्रपति ट्रंप व पीएम मोदी के बीच संवाद लगभग टूट चुका है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी शायद यह आकलन नहीं किया होगा कि उनके टैरिफ के फैसले के बाद वैश्विक राजनीति इतनी तेजी से एक नया मोड़ ले लेगी। तियानजिन में SCO शिखर सम्मेलन का मंच, ट्रंप की धमकाने वाली रणनीति के खिलाफ एक नई और शक्तिशाली धुरी के उदय का गवाह बना है।

तस्वीरों के वो संदेश, जो शब्दों से ज्यादा ताकतवर थे

इस सम्मेलन की सबसे यादगार और ताकतवर छवियां द्विपक्षीय बैठकों से इतर देखने को मिलीं।

  • पुतिन की कार में मोदी: शायद सबसे बड़ा संदेश तब गया जब पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन अपनी द्विपक्षीय बैठक के लिए एक ही कार में साथ-साथ बैठकर गए। यह कोई सामान्य घटना नहीं थी। पुतिन ने पीएम मोदी के लिए करीब 10 मिनट तक इंतजार किया, सिर्फ इसलिए कि वह चाहते थे कि भारत के प्रधानमंत्री उनके साथ ही कार में सफर करें। दोनों नेताओं ने यात्रा के दौरान और फिर बैठक स्थल पर पहुंचने के बाद कार में ही करीब 45 मिनट तक गहन चर्चा की। यह उस गहरी व्यक्तिगत केमिस्ट्री और रणनीतिक साझेदारी का प्रतीक था, जिसे अमेरिका कभी पसंद नहीं करता।

  • हाथ में हाथ डाले तिकड़ी: एक और तस्वीर जिसने दुनिया का ध्यान खींचा, उसमें पीएम मोदी, राष्ट्रपति पुतिन का हाथ पकड़कर उन्हें राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत के लिए ले जाते दिखे। इन तीनों नेताओं का एक साथ सहज दिखना, स्पष्ट रूप से ट्रंप प्रशासन के लिए एक सीधा संदेश था, जो रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगा चुका है।

  • चीनी इंटरनेट पर मोदी-पुतिन का जादू: पीएम मोदी और पुतिन के गले मिलने का वीडियो चीन के सबसे बड़े सर्च इंजन Baidu पर नंबर वन ट्रेंड बन गया। यह दिखाता है कि इस दोस्ती की गूंज सिर्फ राजनयिकों तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि इसने आम जनता का भी ध्यान खींचा है।

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कूटनीति की मेज पर भारत की बड़ी जीत

यह दौरा सिर्फ प्रतीकात्मक संदेशों तक सीमित नहीं रहा। भारत ने कूटनीतिक मोर्चे पर भी बड़ी सफलताएं हासिल कीं।

  • पहलगाम आतंकी हमला बना वैश्विक मुद्दा: भारत के लिए एक बहुत बड़ी जीत एससीओ के संयुक्त बयान में पहलगाम आतंकी हमले को शामिल करवाना था। सभी सदस्य देशों ने जोर देकर कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में “दोहरे मापदंड” अस्वीकार्य हैं। यह पिछली बैठक के बिल्कुल विपरीत था, जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था क्योंकि उसमें पहलगाम का जिक्र नहीं था।

  • पाकिस्तान को उसी की मौजूदगी में घेरा: पीएम मोदी ने अपने भाषण में सीधे तौर पर पाकिस्तान पर निशाना साधा। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की मौजूदगी में उन्होंने पूछा, “क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद को खुला समर्थन हमें कभी स्वीकार्य हो सकता है?” यह आतंकवाद पर भारत के अडिग रुख को दर्शाता है।

  • सफल द्विपक्षीय बैठकें: पीएम मोदी ने 8 साल बाद चीन दौरे पर राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ करीब 1 घंटे और पुतिन के साथ 50 मिनट तक द्विपक्षीय बैठक की। इन बैठकों के ठोस परिणाम निकले – भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानें शुरू करने पर सहमति बनी और दिसंबर 2025 में राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा की तारीख भी तय हो गई।

रूस-यूक्रेन युद्ध पर मोदी का संतुलित संदेश

एक तरफ रूस के साथ गहरी दोस्ती निभाते हुए भी पीएम मोदी ने यूक्रेन युद्ध पर भारत का पक्ष स्पष्ट रूप से रखा। पुतिन से मुलाकात से ठीक पहले उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से फोन पर बात की, जो पुतिन तक एक सूक्ष्म संकेत पहुंचाने जैसा था। बैठक में मोदी ने पुतिन से सीधे कहा, “यह युग युद्ध का नहीं है। हमें जल्द से जल्द जंग को समाप्त करने और स्थायी शांति स्थापित करने का कोई रास्ता निकालना होगा। यह पूरी मानवता की पुकार है।”

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यह दौरा प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति की एक मास्टरक्लास साबित हुआ है, जहाँ उन्होंने भारत के राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए, दोस्तों के साथ दोस्ती निभाई और वैश्विक शांति की वकालत भी की, और यह सब करते हुए अपने विरोधियों को एक स्पष्ट संदेश भी दिया कि भारत किसी के दबाव में झुकने वाला नहीं है।

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