Hapur police: ‘सुबह से एक भी ग्राहक नहीं आया…’ रोती अम्मा के पास पहुंचा पुलिस अफसर, और फिर जो हुआ…

Published On: October 19, 2025
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Hapur police: 'सुबह से एक भी ग्राहक नहीं आया...' रोती अम्मा के पास पहुंचा पुलिस अफसर, और फिर जो हुआ...

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Hapur police: त्योहारों का असली मतलब सिर्फ अपने घर को रोशन करना नहीं, बल्कि किसी और की दुनिया में भी रोशनी भरना होता है। इस बात को सच कर दिखाया है उत्तर प्रदेश के हापुड़ में, जहाँ एक पुलिसवाले की दरियादिली ने एक मायूस बैठी बुजुर्ग महिला के चेहरे पर मुस्कान लौटा दी। यह कहानी सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि इंसानियत और संवेदना का एक जीता-जागता उदाहरण है।

बाजार की रौनक में एक उदास चेहरा

धनतेरस का दिन था। हापुड़ के बाजार में चारों तरफ रौनक और चकाचौंध थी। लोग अपने-अपने घरों को सजाने, लक्ष्मी पूजा की तैयारी करने और दीयों की खरीदारी करने में व्यस्त थे। इसी भीड़भाड़ वाली गली के एक कोने में, सड़क किनारे अपनी छोटी सी दुकान सजाए बैठी थीं एक वृद्ध महिला, धर्मवती, और उनका पोता। उनकी आँखों में एक उम्मीद थी कि आज त्योहार के दिन उनके मिट्टी के दीये बिकेंगे और घर में दो पैसे आएंगे।

लेकिन वक्त बीतता गया। सुबह से दोपहर हो गई, पर अम्मा की दुकान पर एक भी ग्राहक नहीं रुका। बाजार की भीड़ उनके पास से गुजर जाती, लेकिन कोई भी उन हाथ से बने मिट्टी के दीयों को खरीदने के लिए आगे नहीं आया। धीरे-धीरे उनकी उम्मीद निराशा में बदल गई और चेहरे पर गहरी मायूसी छा गई।

जब खाकी में आया इंसानियत का फरिश्ता

इसी बीच, हापुड़ देहात थाना प्रभारी (SHO) विजय गुप्ता अपनी टीम के साथ बाजार में पैदल गश्त पर निकले थे। उनकी नजर उस कोने पर पड़ी, जहाँ अम्मा उदास बैठी थीं। एक अनुभवी पुलिसवाले की पारखी नजरों ने चेहरे की उस मायूसी को तुरंत पढ़ लिया। वह खुद को रोक नहीं पाए और अम्मा के पास पहुंच गए।

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उन्होंने बड़े स्नेह से पूछा, “अम्मा, क्या बात है? क्यों परेशान हो?” धर्मवती ने भर्राए गले से अपनी पीड़ा बताई कि सुबह से उन्होंने एक भी दीया नहीं बेचा है।

एक फैसला, जिसने लौटा दी मुस्कान

अम्मा की कहानी सुनकर थाना प्रभारी विजय गुप्ता का दिल पिघल गया। उन्होंने एक पल भी नहीं सोचा और अम्मा से कहा, “आप चिंता मत करो! आपके सारे दीये मैं खरीदूंगा।” यह सुनते ही अम्मा की आँखों में हैरानी और खुशी की एक चमक आ गई। थाना प्रभारी ने बिना देर किए अम्मा के सजाए हुए सभी मिट्टी के दीये खरीद लिए। यह सिर्फ कुछ दीयों की खरीद नहीं थी; यह एक बुजुर्ग की मेहनत का सम्मान था, उसकी उम्मीदों को जिंदा रखने की एक कोशिश थी।

दिल से निकला आशीर्वाद

अपने सारे दीये बिकते देख अम्मा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उनकी आँखों में खुशी के आंसू थे। उन्होंने थाना प्रभारी विजय गुप्ता और उनकी पूरी टीम को दिल से आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा, “ये पुलिस वाले फरिश्ता बनकर आए। मैं इनको खूब आशीर्वाद देती हूं कि इनके परिवार में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहे और ये जीवन में खूब तरक्की करें।” अम्मा की सच्ची दुआओं और उनकी आँखों की चमक ने वहां मौजूद हर किसी का दिल जीत लिया।

लोगों ने भी पुलिस के इस मानवीय चेहरे की जमकर तारीफ की और कहा कि ऐसे छोटे-छोटे कदम ही समाज में इंसानियत और उम्मीद को जिंदा रखते हैं। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि पुलिस सिर्फ कानून और व्यवस्था की रक्षक नहीं, बल्कि समाज की भावनाओं और जरूरतों को समझने वाली एक संवेदनशील कड़ी भी है।

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सोशल मीडिया पर वायरल हुई इंसानियत की मिसाल

इस पूरी घटना का वीडियो और तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। लोग थाना प्रभारी विजय गुप्ता के इस कदम की सराहना करते नहीं थक रहे और कह रहे हैं कि कैसे एक छोटे से प्रयास ने एक बुजुर्ग महिला के लिए धनतेरस को सचमुच यादगार बना दिया। यह कहानी हमें याद दिलाती है कि असली खुशी देने में है, लेने में नहीं।


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