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Join NowUttar Pradesh: क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार गाय पालन को एक नए स्तर पर ले जा रही है? यह सिर्फ पशुपालन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राज्य की कृषि और अर्थव्यवस्था में एक स्थायी क्रांति लाने की क्षमता रखता है। सरकार का लक्ष्य प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना है, और इस मिशन के केंद्र में ‘गाय’ है। आइए विस्तार से जानें कि यह योजना किसानों और राज्य के लिए कैसे फायदेमंद साबित हो सकती है।
गाय आधारित प्राकृतिक खेती: एक टिकाऊ भविष्य की ओर
उत्तर प्रदेश सरकार ने जन, जमीन और जल के स्वास्थ्य को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बनाया है। इसका सबसे प्रभावी समाधान प्राकृतिक खेती में निहित है। सरकार की मंशा है कि गोवंश को प्राकृतिक खेती का आधार बनाया जाए। गाय के गोबर और गोमूत्र का उपयोग करके किसान रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों से मुक्त खेती कर सकते हैं। इससे न केवल भूमि की उर्वरता बढ़ेगी, बल्कि लोगों को स्वस्थ और रसायन-मुक्त भोजन भी मिलेगा। यह एक ऐसा सुधार है जो टिकाऊ, ठोस और स्थायी होगा, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए भी फायदेमंद होगा।
सरकारी प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता
किसानों को गाय पालने के लिए प्रेरित करने हेतु सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस साल के बजट में आवारा पशुओं की देखभाल के लिए 2,000 करोड़ रुपये का एक बड़ा प्रावधान किया गया है। यह दर्शाता है कि सरकार इस मुद्दे को लेकर कितनी गंभीर है।
इसके अलावा, ‘अमृत धारा योजना’ की शुरुआत की गई है, जो पशुपालकों के लिए एक वरदान साबित हो सकती है। इस योजना के तहत, 2 से 10 गाय पालने वाले किसानों को 10 बैंकों के माध्यम से 10 लाख रुपये तक का आसान ऋण मिल सकेगा। सबसे खास बात यह है कि 3 लाख रुपये तक के अनुदान के लिए किसी गारंटर की भी आवश्यकता नहीं होगी, जिससे छोटे किसानों के लिए यह प्रक्रिया और भी सरल हो जाएगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोवंश के संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। निराश्रित गायों के लिए गौ आश्रय स्थल खोले गए हैं और उनके भरण-पोषण के लिए धन मुहैया कराया जा रहा है। सरकार ने गायों के कल्याण के लिए 1001 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट भी आवंटित किया है। इसका उद्देश्य गोबर और गोमूत्र को आर्थिक रूप से उपयोगी बनाना है, ताकि गोवंश संरक्षण को और मजबूती मिल सके।
कौशल विकास और अन्य योजनाएं
सरकार केवल वित्तीय सहायता ही नहीं दे रही है, बल्कि किसानों के कौशल विकास पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है। समय-समय पर स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ताकि किसान आधुनिक और वैज्ञानिक तरीकों से पशुपालन और प्राकृतिक खेती कर सकें। मनरेगा के तहत भी पशुपालकों को सस्ते में कैटल शेड, पशु बाड़ा और गोबर गैस प्लांट लगाने की सुविधा दी जा रही है। ‘मिनी नंदिनी योजना’ भी गोवंश के संरक्षण और संवर्धन को ध्यान में रखकर ही बनाई गई है।
कृषि निर्यात में वृद्धि: एक वैश्विक अवसर
आज के समय में लोगों के खान-पान की आदतों (Food behaviour) में वैश्विक स्तर पर बदलाव आया है। लोग जैविक और प्राकृतिक उत्पादों को अधिक पसंद कर रहे हैं। इस बदलाव के कारण प्राकृतिक खेती से उगाए गए उत्पादों की मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बढ़ सकती है। केंद्र सरकार का भी कृषि उत्पादों के निर्यात पर विशेष ध्यान है। ऐसे में यह उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए एक सुनहरा मौका हो सकता है।
आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं। पिछले सात वर्षों में उत्तर प्रदेश से कृषि उत्पादों का निर्यात दोगुना हो गया है। 2017-2018 में जहां यह निर्यात 88 हजार करोड़ रुपये था, वहीं 2023-2024 में यह बढ़कर 170 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ने से हमारे अन्नदाता किसान और भी खुशहाल होंगे।
यह योजना न केवल किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और लोगों के स्वास्थ्य में भी सुधार लाएगी। यह एक समग्र दृष्टिकोण है जो उत्तर प्रदेश को कृषि के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा।