UP: ‘सड़क पर नमाज पढ़ने पर होगा एक्शन’ – मेरठ पुलिस के फैसले पर भड़के जयंत चौधरी

Published On: March 28, 2025
Follow Us

Join WhatsApp

Join Now
UP:  मेरठ पुलिस द्वारा सड़क पर नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध लगाने के फैसले ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। इस फैसले का विरोध करते हुए एनडीए के सहयोगी और केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने इसे ‘ऑरवेलियन 1984’ की पुलिसिंग से जोड़ दिया।

मेरठ पुलिस का आदेश: सड़क पर नमाज पर सख्ती

मेरठ में ईद की नमाज को लेकर पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट आदेश जारी किया है कि सड़क पर नमाज पढ़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस संबंध में एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने कहा कि जो लोग सार्वजनिक स्थानों पर नमाज अदा करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

उन्होंने आगे बताया कि,
“अगर कोई सड़क पर नमाज पढ़ता है, तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। पिछली बार भी 200 लोगों पर मामला दर्ज किया गया था, इस बार भी नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई होगी।”

इसके अलावा, यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज होता है, तो उसका पासपोर्ट और लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है।

जयंत चौधरी का कड़ा विरोध

जयंत चौधरी ने मेरठ पुलिस के इस फैसले की आलोचना करते हुए इसे ‘ऑरवेलियन 1984’ की तानाशाही पुलिसिंग करार दिया। उन्होंने ट्वीट कर सरकार और प्रशासन के इस कदम पर सवाल उठाए और इसे लोकतंत्र विरोधी बताया।

उनका कहना है कि धार्मिक आज़ादी हर नागरिक का अधिकार है, और यदि सरकार सड़कों पर धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगाना चाहती है, तो यह नियम सभी धर्मों पर समान रूप से लागू होना चाहिए।

मुस्लिम समुदाय ने जताई नाराजगी

मेरठ पुलिस के इस फैसले को लेकर मुस्लिम समुदाय ने भी नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि यदि सड़कों पर धार्मिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है, तो यह सभी धर्मों पर समान रूप से लागू होना चाहिए।

READ ALSO  Mamata Banarjee Oxford University:ऑक्सफोर्ड में ममता बनर्जी पर तीखे सवालों की बौछार, जवाब में बोलीं- "मैं बंगाल टाइगर"

एक स्थानीय मुस्लिम नेता ने कहा:
🗣️ “क्या यह नियम केवल मुसलमानों के लिए है? अगर सड़क पर नमाज नहीं हो सकती, तो फिर अन्य धार्मिक आयोजनों पर भी यही नियम लागू होना चाहिए।”

संभल में भी प्रशासन हुआ सतर्क

मेरठ के अलावा, संभल में भी पुलिस प्रशासन अलर्ट मोड पर है। संभल के एएसपी श्रीश्चंद ने स्पष्ट किया कि सभी धार्मिक कार्यक्रम मस्जिद या ईदगाह के अंदर ही होंगे, सड़क पर किसी भी हाल में अनुमति नहीं दी जाएगी।

संभल में पीस कमेटी की बैठक भी बुलाई गई, जिसमें दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया। प्रशासन ने शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की और स्पष्ट किया कि कानून सभी के लिए समान है।

क्या यह धार्मिक स्वतंत्रता पर पाबंदी है?

इस पूरे मामले पर कई तरह की बहस छिड़ गई है। कुछ लोगों का मानना है कि यह सांप्रदायिक भेदभाव है, जबकि प्रशासन इसे कानून व्यवस्था बनाए रखने की नीति के रूप में देख रहा है।

क्या यह फैसला सभी धर्मों के लिए समान रूप से लागू होगा?
क्या यह कदम धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं है?

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now