Rental wife : क्यों खूबसूरत लड़कियां बन रही हैं ‘किराए की बीवी’

Published On: September 3, 2025
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Rental wife : थाईलैंड, दक्षिण-पूर्व एशिया का वह खूबसूरत देश, जिसकी पहचान उसके नीले समुद्र तटों, भव्य मंदिरों और रंगीन नाइटलाइफ़ से है। यह दुनिया के सबसे मशहूर टूरिस्ट डेस्टिनेशन में से एक है, जहां हर साल लाखों लोग छुट्टियां मनाने आते हैं। लेकिन अब थाईलैंड एक और अनोखी और हैरान कर देने वाली वजह से दुनियाभर में चर्चा का विषय बन गया है। हाल ही में आई एक किताब ने यहां के ‘रेंटल वाइफ’ (Rental Wife) यानी ‘किराए की पत्नी’ के चलन को लेकर एक नई और सनसनीखेज बहस छेड़ दी है।

इस किताब में खुलासा किया गया है कि कैसे थाईलैंड के कुछ इलाकों में, विशेषकर पर्यटकों के बीच, महिलाएं कुछ समय के लिए ‘किराए की पत्नी’ बनकर रहती हैं। यह एक अस्थायी रिश्ता होता है, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि अगर किसी पर्यटक को लड़की इतनी पसंद आ जाए कि वह उसे हमेशा के लिए अपनाना चाहे, तो शादी तक का भी विकल्प खुला रहता है।

क्या है यह ‘रेंटल वाइफ’ का चौंकाने वाला चलन?

थाईलैंड के पटाया शहर में यह ट्रेंड दशकों से चलन में है, जिसे ‘वाइफ ऑन हायर’ (Wife on Hire) या ‘ब्लैक पर्ल’ (Black Pearl) के नाम से भी जाना जाता है। असल में, यह एक तरह का अस्थायी शादी जैसा अनौपचारिक रिश्ता होता है, जिसमें कोई महिला पैसों के बदले एक तय समय के लिए पत्नी की तरह किसी पुरुष के साथ रहती है। उस तय समय तक, वह महिला पत्नी की तरह लगभग सारे काम करती है – साथ रहना, खाना बनाना, घूमना-फिरना, शहर में गाइड बनना और एक भावनात्मक साथी की भूमिका निभाना।

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हालांकि, यह सब कुछ एक निजी समझौते और कॉन्ट्रैक्ट के तहत होता है और इसे किसी भी तरह से कानूनी शादी नहीं माना जाता। धीरे-धीरे, यह अब एक बड़ा बिजनेस बन चुका है जिसमें महिलाएं अपनी मर्जी और आर्थिक जरूरतों के चलते हिस्सा ले रही हैं।

किताब ने खोला ‘रेंटल वाइफ’ का सनसनीखेज सच

‘थाई टैबू- द राइज ऑफ वाइफ रेंटल इन मॉडर्न सोसाइटी’ (Thai Taboo- The Rise of Wife Rental in Modern Society) नाम की इस किताब, जिसे लावर्ट ए इमैनुएल ने लिखा है, ने इस चलन की जड़ों तक गहरी जानकारी दी है। इसमें बताया गया है कि कैसे थाईलैंड के गरीब और ग्रामीण इलाकों की महिलाएं बेहतर जीवन और पैसा कमाने के लिए इस काम को अपनाने पर मजबूर हुई हैं। वे अपने परिवार का खर्च चलाने और अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देने के लिए इस रास्ते पर चलती हैं। ये महिलाएं आमतौर पर बार, नाइट क्लब या मसाज पार्लर में काम करती हैं, और वहीं से उन्हें ग्राहक मिलते हैं। इनके ग्राहक ज्यादातर विदेशी टूरिस्ट होते हैं जो अकेले छुट्टियां मनाने थाईलैंड आते हैं।

कैसे तय होती है ‘किराए की पत्नी’ की कीमत?

‘रेंटल वाइफ’ बनने वाली महिलाओं की कीमत या किराया कई चीजों पर निर्भर करता है – उनकी उम्र, खूबसूरती, वह कितनी पढ़ी-लिखी है, और उसे कितनी अच्छी अंग्रेज़ी आती है। समय की अवधि भी एक बड़ा फैक्टर है। कुछ महिलाएं केवल कुछ दिनों के लिए किराए पर रहती हैं, तो कुछ महीनों या साल भर तक भी साथ रहती हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह किराया 1600 डॉलर (करीब 1.3 लाख रुपये) से लेकर 116,000 डॉलर (करीब 96 लाख रुपये) तक भी हो सकता है। इस पर कोई तय कानून नहीं है, इसलिए सब कुछ आपसी बातचीत और एक निजी समझौते के तहत ही तय होता है।

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आखिर क्यों तेजी से बढ़ रहा है यह ट्रेंड?

थाईलैंड में तेजी से हो रहे शहरीकरण और आधुनिक जीवनशैली ने लोगों में अकेलेपन की भावना को बढ़ा दिया है। ऐसे में बहुत से लोग स्थायी और जिम्मेदारी वाले रिश्तों की जगह अस्थायी रिश्तों को तवज्जो देने लगे हैं। इसके अलावा, थाईलैंड के समाज में रिश्तों और व्यक्तिगत आजादी को लेकर थोड़ा लचीला और खुला नजरिया भी है, जिससे ऐसे ट्रेंड्स को मौन सामाजिक स्वीकार्यता मिल जाती है। यही वजह है कि ‘रेंटल वाइफ’ जैसी परंपरा अब थाईलैंड के टूरिज्म इकोसिस्टम का एक हिस्सा बनती जा रही है।

जापान और कोरिया से आया आइडिया

हालांकि ‘रेंटल वाइफ’ की यह प्रथा थाईलैंड में नई लगती है, लेकिन इसकी शुरुआत का आइडिया जापान और कोरिया जैसे देशों से आया है, जहां पहले से ही ‘गर्लफ्रेंड फॉर हायर’ (Girlfriend for Hire) और ‘रेंट-ए-फैमिली’ जैसी सेवाएं चल रही थीं। थाईलैंड ने भी इसी मॉडल को अपने टूरिज्म के हिसाब से अपना लिया।

सरकार का क्या है इस पर कहना?

थाईलैंड सरकार इस बात को मानती है कि ‘रेंटल वाइफ’ का ट्रेंड देश में काफी तेजी से बढ़ रहा है। सरकार ने यह भी स्वीकार किया है कि अब इस पर नियंत्रण और निगरानी के लिए एक ठोस कानून बनाया जाना जरूरी है, ताकि इस व्यवसाय में काम करने वाली महिलाओं की सुरक्षा, उनके स्वास्थ्य और मानवाधिकारों की रक्षा की जा सके।

कुल मिलाकर, थाईलैंड में ‘रेंटल वाइफ’ का चलन सिर्फ एक अस्थायी रिश्ता नहीं, बल्कि एक जटिल और बड़ा बिजनेस बन चुका है, जो कई महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना रहा है, लेकिन साथ ही यह एक गंभीर सामाजिक और नैतिक बहस का विषय भी बनता जा रहा है।

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