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Lok Sabha Election: अमीरों का शासन है लोकतन्त्र 

 

डेस्क। Lok Sabha Election: जानता का, जानता के द्वारा, जानता के लिए, शासन ही लोकतंत्र कहलाता है; अब्राहम लिंकन के द्वारा दी गई ये डिफ्नेशन अक्सर राजनीतिक विज्ञानिकों के द्वारा आलोचना का कारण बनती है। राजनीतिक वैज्ञानिक अक्सर डेमोक्रेसी के असल मायनों पर बहस करते नजर आते हैं। डेमोक्रेसी को पश्चिम से लेकर पूर्व तक कई देशों ने अपनाया हुआ है हालाकि सबकी विधा अलग है जहां पश्चिम का अमेरिका पार्लियामेंट्री डेमोक्रेसी पर कार्य करता है तो वही भारत एक रिपब्लिक डेमोक्रेसी है।

Lok Sabha Election: चौथे चरण के उम्मीदवार करोड़ों के मालिक 

वर्तमान समय में भले ही डेमोक्रेसी को सबसे उदार एवं सुशासित राज्य व्यवस्था माना जाता हो परंतु अगर हम इतिहास की बात करें तो सबसे प्रसिद्ध माने जाने वाले यूनानी दार्शनिक एरिस्टोटल, सुकरात, प्लेटो ने भी डेमोक्रेसी पर तीखे कटाक्ष किए है। उन्होंने तो लोकतंत्र को भीड़ का शासन और अत्याचारो से जोड़कर प्रदर्शित किया। एरिस्टोटल के अनुसार यह शासन का सबसे वर्स्ट फॉर्म है।

Lok Sabha Election: कल इन दिग्गजों का होगा फैसला 

अन्य राजनीतिक सिद्धांतों की बात करें तो भारत के समीकरण को देखते हुए लोकतंत्र को एलिट शासन कहा जाना गलत नहीं होगा। एडीआर की रिपोर्ट्स में राजनेताओं की संपत्ति आपके होश उड़ा देगी। जनता के इस शासन में आपको फाइनेंशियल तौर पर एक बड़ा डिवाइड नजर आएगा। प्रैक्टिकली बात करें तो जनता के द्वारा चुना गया राजनेता जनता के बीच का नहीं कहा जा सकता। लोक सभा के चुनाव जारी हैं कल चौथे चरण का चुनाव होगा। आप अपने क्षेत्र में प्रतिपक्ष एवं विपक्ष दोनों ही प्रत्याशियों पर नजर डालें क्या वो आपके बीच के हैं, उन्होंने आपकी कितनी समस्याओं का ज्ञान है। भविष्य में अपनी समस्याओं को उनके सामने रखने में आप कितने सक्षम हैं।

अब चुनाव दो एलिट प्रत्याशियों के बीच हो रहा है। जिनको न आपसे मतलब है न आपकी समस्याओं से।

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