डेस्क। सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को लीगल करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की अगुवाई वाली संविधान पीठ करीब 20 याचिकाओं पर सुनवाई भी कर रही है। कोर्ट को इस बात पर भी विचार करना है कि समलैंगिक जोड़ों के पास बच्चा गोद लेने का अधिकार भी होना चाहिए या नहीं?
बच्चा गोद लेने का अधिकार
वर्तमान कानून एकल महिला या पुरुष को बच्चा गोद लेने का अधिकार देता है इसके अलावा अगर कोई हेट्रोसेक्सुअल दंपती (पति-पत्नी) बच्चा गोद लेना चाहता है तो उसका दो साल तक स्थायी शादी में रहना भी जरूरी है।
समलैंगिक कपल को लेकर अलग से कोई कानून नहीं है।
Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Act, 2015 विषमलिंगी (heterosexual) विवाहित जोड़ा और तलाकशुदा व्यक्ति को एडॉप्शन का अधिका प्रदान करता है। Hindu Adoption and Maintenance Act, 1956 (HAMA) किसी भी स्वस्थ दिमाग वाले हिंदू पुरुष या महिला को गोद लेने की अनुमति भी देता है। साथ ही शादीशुदा भी सहमति से बच्चा गोद ले सकते हैं। और ध्यान देने वाली बात यह है कि दोनों अधिनियम में एक संभावित गोद लेने वाले जोड़े को विषमलैंगिक और विवाहित होने की परिकल्पना भी की गई है।
ऐसी स्थिति में जहां एक गैर-विषमलैंगिक संबंध में एक साथी एक बच्चे को एकल माता-पिता के रूप में गोद लेता है तो दूसरा साथी बच्चे के पालन-पोषण में समान भूमिका निभाने के बावजूद दत्तक माता-पिता के रूप में कानूनी मान्यता से वंचित ही रह जाता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका में समलैंगिक विवाह को 2015 में वैध कर दिया गया था और समान-लिंग वाले जोड़ों को बच्चा गोद लेने का कानूनी अधिकार भी प्रदान किया गया था।
कनाडा में समलैंगिक जोड़ों को 1999 से कानूनी रूप से बच्चा गोद लेने की अनुमति भी है। जर्मनी में समलैंगिक जोड़ों को 2017 से बच्चा गोद लेने का अधिकार भी प्राप्त है। ऑस्ट्रेलिया की संसद ने 2017 में एक कानून पारित कर समलैंगिक विवाह और एडॉप्शन को लीगल करार दिया था। इटली जैसे कुछ देशों में प्रगति धीमी रही है, जहां समलैंगिक जोड़ों को अभी भी बच्चा गोद लेने की मनाही है।